Gorakhpur: 'हम दो हमारे दो'. यूथ की फैमिली प्लानिंग का यह सपना फीमेल्स को ब्रेस्ट कैंसर का मरीज बना रहा है. डॉक्टर की एडवाइस के बिना कान्ट्रसेप्टिव पिल्स का रेगुलर यूज ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ावा दे रहा है. इंडियन में बमुश्किल से होने वाला यह कैंसर समय बीतने के साथ आम होता जा रहा है. गर्ल्स में बढ़ता फैशन और स्लिम बॉडी का क्रेज भी ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में इजाफा कर रहा है.


दो दिन की ब्यूटी, चार दिन की डिजीजकैंसर रोग स्पेशलिस्ट डॉ। एमक्यू बेग ने बताया कि फीमेल में सबसे अधिक ओवरी का कैंसर होता था। मगर पिछले कुछ साल से ब्रेस्ट कैंसर के पेशेंट्स काफी बढ़े हैं, जबकि ओवरी कैंसर के कम। ओवर में कैंसर घटने और ब्रेस्ट कैंसर बढ़ने के पीछे समाज का बदलाव है। पहले कम एज में शादी होती थी और अधिक बच्चे होते थे, जिसका खामियाजा फीमेल्स को चुकाना पड़ता था। अब अधिक एज में शादी होने के साथ कम बच्चे होते हैं। फैशन में फीमेल ब्रेस्ट फीडिंग भी नहीं कराती। जिसके चलते ब्रेस्ट कैंसर के चांसेस बढ़ जाते हंै। साथ ही फैमिली प्लानिंग के लिए यूज की जाने वाली पिल्स भी ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ावा देती है। बढ़ रहे ब्रेस्ट कैंसर पेशेंट्स


डॉ। बेग ने बताया कि कुछ समय पहले तक गोरखपुर में सिर्फ तीन कैंसर के पेशेंट्स ही आते थे। जिसमें बच्चेदानी, गॉलब्लैडर के अलावा गांठ के कैंसर वाले पेशेंट्स होते थे। मगर कुछ साल से ब्रेस्ट कैंसर के पेशेंट्स काफी बढ़ गए है। पिछले कुछ सालों से तो बच्चेदानी कैंसर से अधिक ब्रेस्ट कैंसर के पेशेंट्स आ रहे है। ब्रेस्ट कैंसर की मेन वजह वैसे तो हार्मोंस होते है। मगर गर्भनिरोधक पिल्स के साथ फैशन इसे तेजी से बढ़ा रहा है।

मेडिकल कॉलेज में कैंसर पेशेंट्स का आंकड़ाएक साल में कैंसर पेशेंट्स - 9662ओवरी कैंसर पेशेंट्स - 1230ब्रेस्ट कैंसर पेशेंट्स - 1470इन्हें अधिक होता है कैंसर-लगातार 10 साल तक पिल्स यूज करने वालों में कैंसर के चांसेस अधिक-20 साल की एज में पिल्स का यूज करने वालों में ब्रेस्ट कैंसर के चांस कई गुना बढ़ जाते है।

Posted By: Inextlive