- मालवीय जी का जीवन परिचय

- उनकी प्रेरणा से बना था भारती भवन पुस्तकालय

मालवीय जी का जीवन परिचय

- उनकी प्रेरणा से बना था भारती भवन पुस्तकालय

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: ख्भ् दिसंबर क्8म्क् में इलाहाबाद के अहियापुर इलाके में पंडित ब्रजनाथ मालवीय के घर जन्मे महामना मदन मोहन मालवीय बचपन से खेलकूद और व्यायाम के शौकीन थे। बाद में इनकी जन्मशती पर नगर पालिका ने मोहल्ले का नामकरण मालवीय नगर कर दिया। उनका प्रारंभिक जीवन काफी कठिनाई भरा था। वह आगे पढ़ना चाहते थे लेकिन आर्थिक संकट के चलते उन्हें जीविकोपार्जन में लगना पड़ा। उनकी माता का नाम मूना था और महामना की शादी क्878 में कुंदन देवी के साथ हुई। क्88ब् में कोलकाता से बीए करने के बाद वह राजकीय हाईस्कूल इलाहाबाद में अध्यापक नियुक्त हुए।

हिंदी साहित्य सम्मेलन में था योगदान

महामना राष्ट्रभाषा हिंदी के प्रबल समर्थक थे। वह देश की उन्नति में हिंदी के महत्व को स्वीकार करते थे। हिंदी साहित्य सम्मेलन की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था और इस पुनीत कार्य के लिए उन्होंने महर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन को चुना। इसी तरह हिंदी साहित्य सम्मेलन क्0 अक्टूबर क्9क्0 को काशी में आरंभ हुआ और वह इसके सभापति चुने गए। दूसरा सम्मेलन इलाहाबाद में आयोजित हुआ।

प्रयाग को दी ये सौगातें

- क्889 में भारती भवन पुस्तकालय प्रयाग की स्थापना में सहयोग

- क्90क् में हिंदू बोर्डिग हाउस की स्थापना

- क्9क्क् में मिंटोपार्क की स्थापना

-क्9क्ब् में प्रयाग में सेवा समिति और व्यायामशाला की स्थापना

- क्907 में दैनिक समाचार पत्र अभ्युदय का संपादन

-क्909 में विजय दशमी के दिन लीडर अखबार निकाला

-क्9क्0 में मर्यादा समाचार पत्र का संपादन

- क्90ब् में बालकृष्ण भट्ट, पुरुषोत्तम दास टंडन के साथ गौरी पाठशाला की स्थापना

बीएचयू को समर्पित कर दिया जीवन

बनारस हिंदू विवि के निर्माण की कल्पना महामना ने छात्र जीवन में की थी। स्थापना के पूर्व उन्होंने गायत्री मंत्र का एक करोड़ बार जाप किया और क्08 बार श्रीमदभागवत गीता का पारायण किया। शुरुआत उन्होंने पिता जी से दो रुपए भिक्षा मांगकर की जो आगे चलकर लाखों रुपए में परिवर्तित हो गई। बीएचयू का शिलान्यास क्ब् फरवरी क्9क्म् को बसंत पंचमी के दिन तत्कालीन गवर्नर जनरल वाइसराय लार्ड होर्डिग्स ने किया और क्9क्9 को वह वाइस चांसलर बने। इस तरह से उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन विवि को समर्पित कर दिया। आजादी से ठीक पहले क्ख् नवंबर क्9ब्म् में उनका देहांत हो गया।

Posted By: Inextlive