- शिक्षकों का एक ग्रुप मिशन शिक्षण संवाद बदल रहा सरकारी स्कूल्स की तस्वीर

- बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने के साथ ही बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने का कर रहे प्रयास

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बेसिक स्कूलों के स्टूडेंटस को कान्वेंट जैसा एजुकेशन मिलेगा। ये पढ़कर आपको थोड़ा हैरानी तो हो रही होगी पर ये सच है। कुछ शिक्षकों ने अपने प्रयास से ऐसा करने का बीड़ा उठाया है। टीचर्स का एक समूह मिशन शिक्षण संवाद प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन दे रहा है। प्रोजेक्टर और लैपटॉप से पढ़ाने के साथ ही डेली ब्लैक बोर्ड पर सुविचार, जनरल नॉलेज, इंग्लिश और महापुरुषों के जीवन की जानकारी दी जा रही है। साथ ही 31 मार्च को रिजल्ट देते समय परफॉर्मेस के आधार पर बच्चों को मेडल देकर प्रोत्साहित किया गया। यह सब शिक्षकों ने बिना सरकारी सहयोग के अपने रिर्सोसेज से किया है। जिले में 50 स्कूल्स के 125 टीचर्स मिशन से जुड़ कर अपना स्कूल बेहतर करने में लगे हैं।

गार्जियन को कर रहे मोटिवेट

अक्सर देखने में आता है कि बेसिक स्कूलों में एडमिशन के समय बच्चों का नॉमिनेशन कम होता है। तमाम बच्चे कान्वेंट स्कूलों में एडमिशन ले लेते हैं। ऐसे में मिशन शिक्षण संवाद से जुड़े टीचर्स शैक्षिक सत्र शुरू होते ही गार्जियन को मोटिवेट करके बच्चों को स्कूल भेजने की अपील करते हैं। ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल आएं।

चमका रहे विद्यालय

शिक्षा का उत्थान, शिक्षक का सम्मान की थीम के साथ शुरू हुआ मिशन शिक्षण संवाद टीचर्स का एक ग्रुप है। मिशन से जुड़े टीचर सबसे पहले एजुकेशन की क्वालिटी बढ़ाने पर ध्यान देते हैं। ताकि कान्वेंट स्कूलों से मुकाबले को स्टूडेंटस तैयार हो सकें। इसके लिए तमाम स्कूलों में लैपटॉप और प्रोजेक्टर से पढ़ाने की व्यवस्था है। दूसरा, स्कूलों में रंगरोगन, डेस्क, बेंच, फूल-पौधों के गमले समेत अन्य बुनियादी सुविधाएं बढ़ाने का भी प्रयास कर रहे हैं।

संवाद प्रशिक्षण से हुई शुरुआत

प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों को नियमित संवाद प्रशिक्षण दिया जाता है। कानपुर के एक शिक्षक ने इससे प्रेरणा लेकर मिशन शिक्षण संवाद की शुरुआत की। इसके बाद धीरे-धीरे शिक्षकों का कारवां बढ़ता गया। यह अभियान उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों में भी चल रहा है।

करते हैं कार्यो की समीक्षा

मिशन शिक्षण संवाद से जुड़े शिक्षक रवीन्द्र कुमार सिंह के मुताबिक हर तीन महीने में कार्यशाला आयोजित होती है। जिसमें कार्यो की समीक्षा की जाती है। साथ ही टीचर्स लर्निग मैटेरियल का भी प्रदर्शन किया जाता है। कुछ महीने पहले कपिलवस्तु में हुए प्रदेशस्तरीय शैक्षिक उन्नयन सेमिनार में इस अभियान को सराहना भी मिल चुकी है। इसमें वाराणसी के तीन शिक्षकों ने भी भाग लिया था।

मिशन शिक्षण संवाद के तहत टीचर्स सराहनीय काम कर रहे हैं। इससे बेसिक स्कूलों की व्यवस्था में बदलाव आ रहा है। अन्य टीचर्स को भी इस अभियान से प्रेरणा लेनी चाहिए। विभाग उनका पूरा सहयोग करेगा।

बृजभूषण चौधरी, बीएसए, वाराणसी

- जिले में 1014 प्राइमरी स्कूल हैं।

- जनपद में 314 अपर प्राइमरी स्कूल हैं।

- प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में करीब 6800 टीचर्स हैं।

- मिशन शिक्षण संवाद 50 स्कूलों में शुरू हो चुका है।

- मिशन शिक्षण संवाद से अब तक 125 शिक्षक जुड़ चुके हैं।

Posted By: Inextlive