Bareilly: हमारे एजुकेशन सिस्टम में बेसिक स्ट्रक्चर की हालत ही खस्ता है. स्टूडेंट्स को ऐसे टीचर्स की जरूरत है जो प्रैक्टिकल्स के जरिए एजुकेशन दें. लेकिन मौजूदा समय में पढ़ाई के नाम पर टीचर्स किताबों का कोर्स मैटेरियल स्टूडेंट्स को समझा भर देना ही एजुकेशन देना समझ रहे हैं. यह ज्ञान देना नहीं महज इंफॉर्मेशन देना है. स्टूडेंट्स को ऐसे टीचर्स की जरूरत नहीं. ऐसी एजुकेशन तो स्टूडेंंट्स इंटरनेट से भी ले सकते हैं. स्टूडेंटस को टीचर्स की नहीं बल्कि टीचर्स को स्टूडेंट्स की जरूरत है. टीचिंग मेथेड्स की खामी से जूझ रहे एजुकेशन सिस्टम पर यह चिंता यूपीटीयू के वाइस चांसलर प्रो. आरके खांडल ने जताई. सैटरडे को एसआरएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी के 13वें कॉन्वोकेशन में बतौर स्पेशल गेस्ट वह दीक्षांत लेने आए स्टूडेंट्स को एड्रेस कर रहे थे.

मनाया 13वां कॉन्वोकेशन

एसआरएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी ने सैटरडे को अपना 13वां कॉन्वोकेशन मनाया। इसके साथ ही एसआरएमएस वूमेन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी का तीसरा कॉन्वोकेशन भी मनाया गया। कॉन्वोकेशन में प्रो। किशन लाल, प्रेसीडेंट, इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी, प्रो। आर के खांडल, वीसी, यूपीटीयू और प्रो एचएस धामी, वीसी, कुमांऊ यूनिवर्सिटी बतौर स्पेशल गेस्ट शामिल रहे। डीन एकेडमिक डॉ। प्रभाकर गुप्ता ने इंस्टीट्यूट की एनुअल रिपोर्ट जारी की। चेयरमैन देवमूर्ति ने स्टूडेंट्स को अपने बिहैवियर में विनम्रता लाने का सुझाव दिया।


मजबूत हो आर एंड डी इंफ्रास्ट्रक्चर

कॉन्वोकेशन में आए प्रो। किशन लाल ने देश के डेवलेपमेंट में साइंस और टेक्नोलोजी के अहम रोल का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इंडिया पिछले 2000 सालों में से 1500 सालों तक सबसे बड़ी इकोनॉमी वाला इकलौता देश रहा। पिछले 200 सालों में एकेडमिक और रिसर्च व डेवलपमेंट के इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी की वजह से देश की इकोनोमी पिछड़ गई। उन्होंने तमाम इंस्टीट्यूशंस से स्टूडेंट्स को हाई क्वालिटी एजुकेशन दिए जाने और आर एंड डी मजबूत करने की वकालत की। वहीं, प्रो एचएस धामी ने कहा कि ग्लोबल प्रॉŽलम्स को सुलझाने के लिए दुनिया इंडियन यूथ की ओर ही देख रही है। उन्होंने स्टूडेंट्स को इमेजिनेशन को नॉलेज से बेहतर बताते हुए नए आइडियाज पर काम करने की सलाह दी।

247 डिग्री, 34 गोल्ड-सिल्वर मेडलिस्ट

कॉन्वोकेशन में दोनों इंस्टीट्यूट्स के कुल 247 स्टूडेंट्स को उनकी दीक्षा पूरी होने पर डिग्रियों से नवाजा गया। इनमें से एसआरएमएस वूमेन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी से 99 स्टूडेंट्स को उनकी डिग्री मिली। वहीं एसआरएमएस कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी से 148 स्टूडेंट्स शामिल रहे। इनमें बीटेक के 75, बीफार्मा के 26, एमबीए के 24 और एमसीए के 23 स्टूडेंट्स रहे। वहीं अपने पूरे एकेडमिक सेशन में सबसे बेहतरीन परफॉर्मेंस देने वाले होनहारों को 34 गोल्ड व सिल्वर मेडल से सम्मानित किया गया।

करियर और कामयाबी की डिग्री

चेहरे पर कामयाबी की खुशी और बेहतर भविष्य की उम्मीदें, साथियों को गले लगा बधाई देने का सिलसिला और डिग्री पाकर टोपी को हवा में उछालने की रस्म। कॉन्वोकेशन में भी वह सबकुछ था जो अपनी दीक्षा पूरी कर आमतौर पर स्टूडेंट्स के साथ होता है। कॉन्वोकेशन में कुल 247 स्टूडेंट्स को उनकी सालों की मेहनत के बाद कामयाबी की डिग्री हाथ में लेने का मौका मिला। स्टेज पर बीटेक, बीफार्मा, एमबीए व एमसीए स्टूडेंट्स को डिग्री दिए जाते बाकी स्टूडेंट्स ने तालियां बजाकर उन्हें बधाई दी।

गोल्ड मेडल पाकर खुश हूं। आगे के लिए हौसला मिला है। एकेडमिक्स में करियर बनाना चाहती हूं। आईआईटी मुबंई से पीएचडी की तैयारी है।
 - शुभि मरियम, गोल्ड मेडलिस्ट, एमबीए

बीफार्मा में एडमिशन करियर के लिहाज से बेहद चुनौती भरा था। लोगों को समझना होगा कि बेहतर इलाज संग अच्छी दवाओं की जरुरत होती है।
- अमरीन बानो, गोल्ड मेडलिस्ट, बीफार्मा
इंडिया आज भी सस्ती और अच्छी दवाएं बनाने में पीछे हैं। फार्मा कोर्सेज को आज भी सेकेंड कटेगरी का माना जाता है। इस बारे में लोगों की सोच बदलनी होगी।
- साक्षी शर्मा, गोल्ड मेडलिस्ट, बीफार्मा

मैनेजमेंट आज भी करियर में एक्सप्लोर करने लायक फील्ड है। मार्केट से नई चीजों को एडॉप्ट करने की टेंडेंसी कम है। आज इंडिया में कई ग्लोबल कंपनीज आगे बढ़ रही हैं।
 - गौरव श्रीवास्तव, गोल्ड मेडलिस्ट, एमबीए

Posted By: Inextlive