सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय का चौथा दीक्षांत समारोह राज्यपाल बीएल जोशी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ.

MEERUT : सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय का चौथा दीक्षांत समारोह राज्यपाल बीएल जोशी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। धर्मेंद्र और राहुल जैसे होनहारों की काबिलियत का सम्मान किया गया। 203 छात्रों को डिग्रियां दी गईं। इस विश्वविद्यालय से निकले होनहारों की आंखों में बस यही सपना है कि वो देश के किसानों के लिए कुछ करें। उन्हें कर्ज, आत्महत्या जैसे अंधेरों से संपन्नता के उजियारे की तरफ ले जाएं।

गांव से ताल्लुक
धर्मेंद्र कुमार को बीएससी एजी ऑनर्स में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर आज चांसलर मेडल और वाइस चांसलर गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया। धर्मेंद्र के पिता किसान हैं। धर्मेंद्र बचपन से ही अपने पिता को खेतों में मेहनत करते देखता था। ये भी देखता कि गांव में रहने वाले युवा शहरों की तरफ भाग रहे हैं। खेती-किसानी में बरक्कत नहीं रही। ये टीस उसे गांव की पगडंडियों से शहर ले आई। वो शहर आया आंखों में सपना लेकर। सपना इस देश के अन्नदाता को उसका हक दिलाने का। वो आईएआरआई, नई दिल्ली से पीजी कर रहा है। हरित क्रांति के जनक डॉ। एमएस स्वामीनाथन धर्मेंद्र के रोल मॉडल हैं। वो भारत में रहकर ही माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में शोध करना चाहता है।

वेजीटेबल साइंस
राहुल कुमार वर्मा को बीएससी एजी ऑनर्स में तीसरे स्थान पर रहने पर वाइस चांसलर ब्रांज मेडल दिया गया। राहुल वेजीटेबल साइंस के क्षेत्र में शोध करना चाहता है। वो मसालों पर काम कर रहा है। हल्दी के लिए नए जर्म प्लाज्म लाने के लिए काम करना चाहता है जिससे इसकी खेती करने वालों को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले। राहुल एनडीएलएटीयू, फैजाबाद से एमएससी हॉर्टिकल्चर कर रहा है। इसी तरह बीएससी एजी करने वाले हर छात्र की इच्छा कृषि प्रधान देश के अन्नदाता को उसकी शान लौटाने की है. 
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क्यों है जरूरत

- पिछले एक दशक में नेशनल जीडीपी की ग्रोथ रेट जहां सात से नौ प्रतिशत रही वहीं, एग्रीकल्चर ग्रोथ में भारी गिरावट दर्ज की गई।
- दुनिया के एक चौथाई गरीब और भूख से तड़प रहे लोग अकेले भारत में रहते हैं।
- दुनिया के चालीस प्रतिशत से ज्यादा कुपोषित बच्चे भारत में हैं।
- किसानों और गैर किसानों की कमाई का अंतर लगातार बढ़ रहा है।
- पिछली पंच वर्षीय योजनाओं में चार प्रतिशत एग्रीकल्चर ग्रोथ का टारगेट था, जो पूरा नहीं हो पाया।

कृषि शिक्षा में परिवर्तन की जरुरत

- राज्यपाल बीएल जोशी ने कहा, ग्लोबल जरूरतों का रखें ध्यान

MEERUT कृषि शिक्षा में भूमंडलीय आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए परिवर्तन या संशोधन किया जाना चाहिए। कृषि विवि ने कृषि शिक्षा में नए-नए कोर्स प्रस्तावित किए हैं, यह सराहनीय प्रयास है। ये बातें कुलाधिपति बीएल जोशी ने कृषि विश्वविद्यालय के चौथे दीक्षांत समारोह में कही। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयास करना होगा।

आधुनिक खेती पर जोर
जोशी ने कहा कि मेरठ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बहुत समीप है और राजधानी में फूलों की अच्छी खपत होती है, अच्छी कीमत भी मिलती है। किसान फूलों की आधुनिक खेती करके अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि कृषि विश्वविद्यालय ने इस ओर गंभीर प्रयास करते हुए हाईटेक फ्लोरीकल्चर केंद्र शुरू किया है। उन्होंने उत्पादों में वेल्यू एडीशन करने पर जोर दिया। परंपरागत तरीके से पापड़, चिप्स, बड़ी आदि बनाने की तकनीकों में संशोधन करने की बात कही।

ट्रेनिंग पर सलाह
उन्होंने ग्रामीण महिलाओं के आय सृजन के लिए विशेष कोर्स और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय एक-एक इंच जमीन का सदुपयोग कर अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा कर सकता है। इसके लिए राज्य सरकार स्तर से जो भी मदद होगी की जाएगी।

एवरग्रीन रेवोल्यूशन
सिंह ने कहा कि ग्रीन रेवोल्यूशन का असर नब्बे के दशक रहा। अब एवरग्रीन रेवोल्यूशन की जरूरत है। इसका रोड मैप तैयार किया जा चुका है। भारत में हमें गरीबी और भूख से लंबी लड़ाई के लिए तैयार होना होगा। कहा कि भारत में युवाओं की सबसे ज्यादा संख्या है लेकिन बदकिस्मती से एक चौथाई से ज्यादा बेरोजगार हैं। उन्होंने मिलेनियम डेवलपमेंट गोल, सबके लिए खाद्य, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार को पूरा करने पर बल दिया।

Posted By: Inextlive