Kanpur: जिला रोजगार कार्यालय...वो जगह जो कभी वीरान रहा करती थी...जहां काम इतना कम था कि वहां के कर्मचारियों को मजाक में सैलरी पाने वाले बेरोजगार कहा जाता था. उसी ऑफिस में बेरोजगारी भत्ते के नाम पर दलाली का रोजगार चल रहा है. जिला रोजगार कार्यालय के हालात आरटीओ ऑफिस जैसे हो चुके हैैं जहां दलाल सक्रिय हैैं.ये दलाल ऑफिस के बाबुओं की मदद से रिश्वतखोरी का एक तंत्र बनाकर काम कर रहे हैैं.

भत्ते की आड़ में भ्रष्टाचार के जरिए किस तरह का रोजगार चल रहा है ये जानने के लिए आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने कई दिनों तक एम्प्लॉएमेंट ऑफिस का जायजा लिया। कई दिनों की मेहनत के बाद आई नेक्स्ट ने भत्ते के पीछे की वो सच्चाई पता लगाई। क्या है भत्ते के पीछे का ये खेल। पढि़ए इस सनसनीखेज रिपोर्ट में।

टाइम: दोपहर के 1.05 बजे

जगह: इंप्लॉएमेंट ऑफिस

आई नेक्स्ट रिपोर्टर एम्प्लॉएमेंट ऑफिस पहुंचा। काफी देर इधर-उधर टहलने के बाद रिपोर्टर को एक व्यक्ति मिला। उसके हाथ में एक काला बैग था। आई नेक्स्ट रिपोर्टर से वो बोला, भइया क्या काम है। रिपोर्टर ने बताया कि रजिस्ट्रेशन करवाना है। समझ में नहीं आ रहा है। कहां जाऊं? किसके पास फॉर्म मिलेगा? कहां जमा होगा? इतना सुनते ही वो बोला, अरे भाई परेशान मत हो, मैं हूं न? रिपोर्टर ने पूछा, भाई साहब आप कौन हैं? वो बोला इससे आपको क्या लेना देना है। आप तो बस अपने काम से मतलब रखिए। आपका सारा काम हो जाएगा। बस मार्कशीट्स दीजिए और आधे घंटे बाद आइए। इतना सुनते ही रिपोर्टर ने पूछा कि आप मेरा काम करवा देंगे। इसके बदले आपको क्या देना होगा। कुछ नहीं भाई साहब आपका काम करवाएंगे तो बस तीन-चार सौ रुपए दे दीजिएगा। रजिस्ट्रेशन के बाद भी अगर कोई काम पड़ेगा तो मैं करा दूंगा। खैर रिपार्टर ने उससे थोड़ा समय मांगा और ऑफिस घूमने का बहाना करके इधर-उधर घूमने लगा।

फिर मिल गया वो 

रिपोर्टर ऑफिस का जायजा ले ही रहा था कि तभी वो शख्स फिर रिपोर्टर से टकरा गया। खैर उस वक्त वो एक महिला से बात कर उनको अपने जाल में फंसाने की कोशिश कर रहा था। वो उनको बता रहा था कि रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ नहीं करना है। बस उसके बताए डॉक्यूमेंट्स और मेहनताने के रूप में चार-पांच सौ रुपए। खैर जैसे ही आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने उस शख्स के पास खड़ी महिला से बात की। वो बोली, मैं क्यों बताऊं मैं उस व्यक्ति से क्या बात कर रही थी। बाद में रिपोर्टर को मालूम चला कि वो महिला भत्ते के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवाने आईं थी। उनको काफी घूमने के बाद जब किसी ने रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया नहीं बताई तो उस व्यक्ति के पास आ गईं. 

‘साइकिल स्टैंड है मेरा’

कई बार रिपार्टर को वो शख्स इंप्लॉएमेंट ऑफिस में मिला। रिपोर्टर ने फिर उससे पूछा कि भाई साहब आखिर आप यहां काम करते हैं क्या। तो वो बोला, मेरा साइकिल स्टैंड यहां हैं। रिपोर्टर बोला कि साइकिल स्टैंड है तो यहां क्या कर रहे हैं। वो बोला कि लंच चल रहा है। बाबूओं से दोस्ती है इसलिए उनसे मिलने आया हूं। पूरा ऑफिस मेरा है। जो काम चाहूंगा, तुरंत हो जाएगा।

कर्मचारियों की भी ‘चांदी’

आई नेक्स्ट रिपोर्टर को अपने स्टिंग ऑपरेशन में एक और बड़ा सच जानने को मिला। ये सच जानने के बाद आप खुद समझ जाएंगे कि भ्रष्टाचार खत्म होने के बजाए किस कदर बढ़ता जा रहा है। रिपोर्टर ने एक कर्मचारी से रजिस्ट्रेशन की बात की तो वो बोला कि भाई साहब क्या बताएं? इतने लोग रोज रजिस्ट्रेशन करवाने आते हैं कि बस पूछिए मत। रिपोर्टर बोला कि मेरे घर में करीब पांच लोग बेरोजगार हैं। मैं सोच रहा हूं कि सबका रजिस्ट्रेशन करवा दूं। पर क्या करूं कुछ समझ में नहीं आ रहा है। बाबू बोला, अरे आप परेशान मत होइए, मुझको बताइए कितने रजिस्ट्रेशन होने हैं। मैं करवा दूंगा। बस किसी को बताइएगा नहीं। रिपोर्टर ने सोचा कि बड़ा अच्छा आदमी है। जैसे ही रिपोर्टर ने पूछा कि आपको क्या देना है। वो बोला, सारे डॉक्यूमेंट्स जैसे-मार्कशीट्स की फोटो कॉपी और जाति-प्रमाण पत्र दे दीजिए। मैं रजिस्ट्रेशन करवा दूंगा। पांच लोगों का रजिस्ट्रेशन करवाना है इसलिए 2000 रुपए में काम चल जाएगा। वरना पूरे 2500 रुपए लगते हैं। इतना सुनते ही रिपोर्टर बोला, क्या आप सच कह रहे हैं. 

‘सब कमा रहे हैं’

काफी पूछने के बाद उस बाबू ने भत्ते के पीछे चल रहे खेल की पोल खोल दी। उसने रिपोर्टर को बताया कि सिर्फ मैं ही नहीं सब कमा रहे हैं। कोई रोज दो हजार रुपए कमा रहा है तो कोई तीन हजार। जिसका जैसे टांका फिट हो गया वो हाथ मार रहा है। वो बोला, भाई साहब मैं तो कुछ नहीं कमा रहा हूं। कुछ लोग तो एक दिन में पांच हजार रुपए तक कमा चुके हैं। खेल यहीं पर खत्म नहीं होता है। उनकी पैसे कमाने की ललक जारी है। वो अपना काम जारी रखे हैं।

यहां तो करप्शन चरम पर है

एम्प्लॉएमेंट ऑफिस में भत्ते के नाम पर चल रहे इस खेल को जानने के बाद रिपोर्टर ने पूरी ऑफिस का जायजा लिया तो मालूम चला कि यहां तो करप्शन पूरे चरम पर है। एक बाबू के पास खड़े एक व्यक्ति से रिपोर्टर ने पूछा कि क्या रजिस्ट्रेशन करवाने आए हो। तो वो बोला हां। रिपोर्टर ने पूछा कि हो गया तो वो बोला, मैं तीन दिन से यहां के चक्कर काट रहा हूं। रोज बिल्हौर से आना पड़ता है। बहुत परेशान हो गया हूं। पर कोई ये बताने को तैयार नहीं है कि रजिस्ट्रेशन कैसे होगा? सबके सब इधर-उधर टहला रहे हैं। कोई चार सौ रुपए मांग रहा है तो कोई पांच रुपए मांग रहा है। अब आप ही बताइए एक हजार रुपए भत्ते के लिए पांच सौ रुपए हम कहां से लाएं।

सबकुछ बताऊंगा, एक हजार दे दो

रजिस्ट्रेशन फॉर्म भर रहे एक व्यक्ति से आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने जब बात की तो वो बोला कि बस एक हजार रुपए दे दो। यहां की पूरी हकीकत बता दूंगा। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि जो भाई साहब बेरोजगारी भत्ते के लिए फॉर्म भर रहे थे। वो कहीं से बेरोजगार लग ही नहीं रहे थे। अच्छे खासे घर के कामकाजी आदमी लग रहे थे और भत्ते चाहते हैं। जब उनसे और पूछताछ की तो वो भडक़ गए और अंदर से अपने मिलने-जुलने वाले बाबूओं को बुला लाए और रिपोर्टर और फोटोग्राफर पर दबाव बनाने लगे।

लाखों का खेल हो गया 

बेराजगारी भत्ते की घोषणा के बाद एम्प्लॉएमेंट ऑफिस में काम करने वाले हर एक शख्स की बल्ले-बल्ले हो गई। एक अनुमान के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में यहां लाखों का खेल हो गया। जिसको जितने लोग मिले, अपने कब्जे में लेकर कमाई कर डाली. 

हर कोई पहुंच रहा भत्ते के लिए

एक सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि भत्ते के लिए हर कोई एम्प्लॉएमेंट ऑफिस पहुंच रहा है। भले वो उसके लायक हो या नहीं। साठ हजार रुपए की मोटरसाइकिल पर दो हजार की शर्ट और पैंट पहनकर, काला चश्मा लगाने वाले लोग क्या भत्ते के लिए एलिजिबल हैं। ये एक बड़ा सवाल है।

हकीकत से रुबरु कराना है आपको

आई नेक्स्ट का ऐम किसी को चोट पहुंचाना नहीं है। बल्कि आपको हकीकत से रुबरु कराना है। हमारा मकसद है कि बड़े ऑफिसर्स इस पर कोई ठोस कदम उठाएं, जिससे करप्शन को बढ़ाने के बजाए कम किया जा सके। आप खुद ही सोच लीजिए कि जब सिर्फ भत्ते की घोषणा भर से एम्प्लॉएमेंट ऑफिस का ये हाल हो गया तो करप्शन का क्या आलम है।
Report by Manoj Khare

Posted By: Inextlive