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BAREILLY:

सरकारी स्कूलों की दुर्दशा और प्राइवेट स्कूल ओनर्स की लूटखसोट से पेरेंट्स पसोपेश में हैं। वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा कैसे दिलाएं यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है। खासतौर पर मध्यम वर्ग के लिए जो स्कूलों की हाथों लुटने के लिए मजबूर हैं। स्कूल आए दिन एक्स्ट्रा कैरिकुलम के नाम पर रुपए मांगते हैं। कब मिलेगी महंगी शिक्षा से आजादी कैम्पेन के तहत दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने शहर में सरकारी स्कूलों और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई का सच खंगाला तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। पढि़ए रिपोर्ट

सरकारी स्कूलों में बच्चे हैं तो टीचर नहीं

सरकारी स्कूलों पर सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन पठन-पाठन का स्तर दिन-ब-दिन गिरता ही जा रहा है। नतीजा यह है कि आर्थिक रूप से थोड़ा भी सम्पन्न व्यक्ति अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ा रहा है। क्योंकि इन स्कूलों में उनके बच्चों का भविष्य सिक्योर नहीं है। इसकी वजह शिक्षा विभाग में फैले भ्रष्टाचार को कहेंगे, जिसका उदाहरण गंगापुर प्राथमिक स्कूल में एक भी बच्चा नहीं है। और वहां दो टीचर्स को तैनात हैं, तो नगर क्षेत्र का अनाथालय स्कूल 14 बच्चे है और उसमें दो टीचर्स तैनात हैं। इससे साफ है कि अधिकारियों का मकसद बेहतर शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल भी नहीं है।

प्राइवेट पब्लिशर्स की पढ़ा रहे बुक

सीबीएसई बोर्ड का साफ निर्देश है कि सभी स्कूलों में एनसीआरटी की बुक्स पढ़ाई जाएं। बावजूद इसके स्कूल प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी बुक पढ़ा रहे हैं। इतना ही नहीं कोर्स से ज्यादा बुक्स भी पेरेंट्स को खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। वैसे तो किताबें जीएसटी से मुक्त हैं, लेकिन कलर नोटबुक पर जीएसटी चार्ज होती, जिनकी कीमत काफी अधिक होती है। इन बुक्स की जरूरत स्टूडेंट्स को नहीं होती है, लेकिन कमीशन के लिए स्कूल पेरेंट्स पर एक्स्ट्रा बोझ डाल रहे हैं।

स्कूल बस किराया के नाम पर लूट

स्कूल ओनर्स स्कूल फीस और एक्स्ट्रा कैरीकुलम ही नहीं बल्कि स्कूल बस किराया के नाम पर भी पेरेंट्स को भारी चपत लगा रहे हैं। हर साल न सिर्फ किराया की दरों में इजाफा कर रहे हैं। समर वैकेशन जिस वक्त बसों का इस्तेमाल नहीं होता, उसका भी तीन माह का किराया पेरेंट्स से जबरिया वसूल करते हैं।

लेट फीस पर पेनाल्टी

स्कूल हर महीने फीस लेने की बजाय तीन महीने की एकमुश्त फीस लेते हैं। तय समय पर यदि पेरेंट्स फीस जमा नहीं कर पाते हैं, तो स्कूल तीनों महीने की फीस पर लेट फीस पेनाल्टी वसूल करते हैं। ऐसे में, पेरेंट्स दो माह की एडवांस फीस देकर भी पेनाल्टी देने को मजबूर हैं।

2100 है बेसिक स्कूल

2,42,809 स्टूडेंट

8883 टीचर

794 माध्यमिक स्कूल

71300 स्टूडेंट

2928 टीचर

क्या कहना है अधिकारी का

स्कूलों में मंहगी पढ़ाई होती जा रही है। गवर्मेंट स्कूलों में पेरेंट्स अपने बच्चों को भेजना नहीं चाहते इस बारें में क्या कहते है अधिकारी

गवर्मेंट स्कूलों की हालत एकदम खस्ता होती जा रही, टीचर्स भी नहीं है। तो कैसे होगी पढ़ाई

गवर्मेंट स्कूलों को लेकर सरकार काफी काम कर रही है। सितम्बर महीने तक सभी स्कूलों में टीचर्स तैनात हो जाएंगे। टीचर्स की भर्ती हो चुकी है। अच्छे टीचर्स ही इसमें स्लेक्ट किए गए है।

स्कूलों की फीस बढ़ती जा रही है। सरकार के अध्यादेश का भी कोई असर नहीं है।

निजी स्कूलों के फीस के मामले को जेडी और कमिश्नर साहब देख रहे है। उन्ही को फैसला लेना है कि इस मामले में क्या करना है।

पेरेंट्स गवर्मेंट स्कूल में अपने बच्चे को क्यों भेजे

अब गवर्मेंट स्कूलों को पूरी तरह से चेंज कर दिया गया है। अगले दो महीने के अंदर अच्छे टीचर्स की तैनाती वहां पर की जाएगी। उनकी बिल्डिंग को भी अच्छे इंजिनियर से तैयार कराया जा रहा है। अब स्कूलों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी हुई है। साथ ही हर स्टूडेंट को स्कॉलरशिप भी मिलेगी।

अचल कुमार मिश्र

डीआईओएस

पेरेंट्स

देश तो आजाद हो गया, लेकिन स्कूल हमें आजाद नहीं कर रहे है। हर बार फीस की मार मारते रहते है। किसी न किसी बहाने फीस लेते ही रहते है। चार्ज तो लेते है एसी रुम का लेकिन लाइट जाने के बाद पंखे तक नहीं चलते।

पंकज भट्ट

पेरेंट

एक्स्ट्रा फीस चार्ज में इलैक्ट्रानिक, मेडिकल, सबका बिल जोड़ देते है। लेकिन सुविधा एक पेट दर्द भी नहीं है। जब कोई सुविधा ही नहीं देनी तो फीस क्यों लेते है। जरा सी मेडिकल की बात आए तो तुरंत पेरेंट्स को फोन कर दिया जाता है।

शैलेश

पेरेंट

सरकारी स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर तो कुछ होता ही नहीं है। कहीं टीचर ज्यादा तो कहीं टीचर बिल्कुल कम ना तो पढ़ाई होती है। और ना ही टीचर्स पढ़ाते है। ऐसे कैसे बच्चों को स्कूल में भेज दें

संगीता

पेरेंट

हर महीने स्कूलों को किसी ना किसी बहाने एक्स्ट्रा चार्ज चाहिए, हर तहर से लूटने की कोशिश करते है। वहीं गवर्मेंट स्कूल में बच्चों पर कोई ध्यान हीं नही दिया जाता है। कैसे पढ़ाएं कहा पढ़ाए कुछ समझ ही नहीं आता

अंजू

पेरेंट

Posted By: Inextlive