RANCHI : रिम्स में इलाज के लिए डेली हजारों मरीज आते हैं। यहां राशन कार्ड वाले मरीजों का आयुष्मान कार्ड भी बनाया जाता है। इसके लिए प्रबंधन ने चार आयुष्मान काउंटर चालू किये थे। इसके अलावा मरीजों के लिए बेड टू बेड आयुष्मान कार्ड बनाने की सर्विस शुरू की गई थी। लेकिन कुछ ही दिनों बाद ये सभी व्यवस्थाएं गायब हो गई। चार काउंटरों की बजाय सिर्फ एक काउंटर पर ही मरीजों का आयुष्मान कार्ड बनाया जा रहा है। इससे जहां परिजनों को परेशानी हो रही है। वहीं इलाज में देरी हो रही सो अलग।

बेड टू बेड बनना भी बंद

आयुष्मान योजना की जब शुरुआत हुई तो रिम्स में बेड तक जाकर एडमिट मरीजों का गोल्डन कार्ड बनाया जा रहा था। इसके लिए रिम्स के नोडल आफिसर ने लैपटॉप के साथ स्टाफ को बायोमीट्रिक मशीन भी उपलब्ध कराई थी। लेकिन समय बीतने के साथ ही यह सर्विस बंद हो गई। अब परिजन घंटों लाइन में खड़े होकर अपना कार्ड बनवा रहे हैं।

लाभ दिलाने में सदर से पीछे रिम्स

गोल्डन कार्ड से इलाज में मरीजों का एक रुपया भी खर्च नहीं होता। इस वजह से भी रिम्स में मरीजों का लोड काफी बढ़ गया है। लेकिन आयुष्मान योजना के जरिये इलाज कराने में मरीजों के पसीने छूट रहे हैं। कई मरीजों को तो अब भी अपनी बारी का इंतजार है। इस चक्कर में रिम्स सदर हॉस्पिटल से भी पीछे हो गया है। जबकि सदर हॉस्पिटल में 80 परसेंट से अधिक मरीजों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत किया जा चुका है।

Posted By: Inextlive