Bareilly : एक तरफ कोरियर कंपनी लगातार अपना व्यवसाय बढ़ा रही हैं और कंज्यूमर्स से ज्यादा पैसे वसूल रही हैं जबकि वे इस व्यवसाय को बढ़ाने के लिए पोस्टल डिपार्टमेंट के रिसोर्सेज का सहारा ही ले रहे हैं. कोरियर संचालक दूर-दराज के मेट्रो सिटी की स्पीड पोस्ट को पोस्ट ऑफिस से ही भेजते हैं वहीं इसके बदले वे स्पीड पोस्ट करने वाले उपभोक्ताओं को तमाम प्रकार की फैसिलिटीज का भरोसा दिलाकर दाम वसूलते हैं. जबकि वह किसी भी सामान को सरकारी रेट पर पोस्ट ऑफिस के जरिए पोस्ट करते है. आपको बता दे कि पोस्ट ऑफिसेज को अपग्रेड करने व उपभोक्ताओं को सस्ती और सुरक्षित सर्विस प्रदान करने के लिए एरो प्रोजेक्ट के तहत पोस्ट ऑफिस को कम्प्यूटराइज्ड किया जा चुका है जिसका फायदा कोरियर कंपनियां बखूबी उठा रही है.


कुछ ऐसे होता है खेलसिटी में वर्क कर रहीं कोरियर कंपनीज पैकेट्स व स्पीड पोस्ट भेजने में पोस्ट ऑफिस का सहारा लेती हैं। वे कस्टमर्स से अच्छे-खासे रुपए वसूलती हैं। इसके बाद कोरियर सर्विस मैन सभी पैकेट्स को इकठ्ठा कर पोस्ट ऑफिस में स्पीड पोस्ट व पार्सल को भेज देते हैं। सिटी में लगभग छोटी-बड़ी कोरियर कंपनियों की 40-50 कोरियर सर्विस चल रही हैं। Company  के बारे में पता नहींपोस्टल डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स की मानें तो कोरियर कंपनीज उनके यहां से जो भी सामान स्पीड पोस्ट व पार्सल के जरिए भेजती हैं, वह पैकेट्स में होती हैं। इसके चलते किस कंपनी का कोरियर है यह पता नहीं चल पाता। सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक कोरियर कंपनीज पैकेट्स के अंदर कंपनी का लोगो व मुहर लगाकर सामान भेजती हैं।Charges में है काफी फर्क


कोरियर कंपनी और पोस्टल डिपार्टमेंट से सामन भेजने के रेट में काफी अंतर है। पोस्ट ऑफिस से ऑल ओवर इंडिया 500 ग्राम तक का कोई सामान भेजने पर टोटल 36 रुपए पार्सल का लगता है। वहीं दूसरी ओर इतने ही वेट वाले सामान को कोरियर कंपनी से भेजने पर 100 से लेकर 155 रुपए तक का खर्च आता है।Insure parcel भी वजह

पोस्टल डिपार्टमेंट के जरिए सामान भेजने के पीछे इंश्योर पार्सल भी एक मेन वजह है। दरअसल पोस्टल डिपार्टमेंट की तरफ से इंश्योर पार्सल के तहत पार्सल की जितनी कॉस्ट होती है, उसका मुआवजा कस्टमर को दिया जाता है। सर्विस प्रोवाइड कराने के दौरान पार्सल गुम होता है या फिर डैमेज होता है तो कोरियर कंपनीज की जेब से कुछ नहीं जाता है।

Posted By: Inextlive