देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक पर नियुक्तियों में अमेरिकियों से भेदभाव का आरोप लगा है. इस मामले में कंपनी के खिलाफ अमेरिका में मुकदमा दर्ज कराया गया है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि कंपनी दक्षिण एशियाई लोगों को तरजीह देने के लिए नौकरी में अमेरिकियों के साथ भेदभाव करती है.


राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव का आरोपविस्कांसिन की जिला अदालत में एक अगस्त को दाखिल की गई याचिका में याचिकाकर्ता ब्रेंडा कोहलर ने कहा कि इंफोसिस लोगों की राष्ट्रीयता के आधार पर व्यापक और संरचनागत तरीके से भेदभाव कर रही है. अमेरिकी नागरिक कोहलर ने कहा कि उसने इंफोसिस में भर्ती के लिए आवेदन किया था और संबंधित पद के लिए उसने सभी जरूरतें पूरी की थीं. लेकिन इंफोसिस ने भेदभाव करते हुए इस पद पर दक्षिण एशियाई मूल के व्यक्ति की नियुक्ति की. कोहलर ने कहा कि इंफोसिस ऐसे लोगों के साथ भेदभाव करती है, जो दक्षिण एशियाई नहीं होते. कंप्लेन को क्लास एक्शन का दर्जा मिले


शिकायतकर्ता ने मांग की है कि उसकी याचिका को क्लास एक्शन मामले का दर्जा दिया जाए. हालांकि, ऐसे मामले को क्लास एक्शन का दर्जा दिया जाता है जिसमें लोगों का एक बड़ा समूह सामूहिक रूप से अदालत में याचिका दायर करता है. इस मामले पर इंफोसिस के प्रवक्ता ने कहा कि यह मामला क्लास एक्शन मुकदमे के लिए उपयुक्त होने का कोई सुबूत उपलब्ध नहीं कराता है. साथ ही किसी भी अदालत ने इस मामले को क्लास एक्शन ट्रीटमेंट के लिए उपयुक्त नहीं माना है. मसले का समाधान अदालत में

प्रवक्ता ने कहा कि इंफोसिस सभी को समान अवसर देने वाली कंपनी है. इस मसले का समाधान अदालत में किया जाएगा. आम जनता के बीच इस पर बहस नहीं की जाएगी ताकि तथ्यों का अफवाहों और अटकलों के साथ घालमेल न हो.  अमेरिका में इंफोसिस के 15,000 से ज्यादा कर्मचारी हैं, इनमें से 90 फीसद  दक्षिण एशियाई मूल के हैं. पिछले साल भी अमेरिका में इंफोसिस के खिलाफ अमेरिकी नियमों के उल्लंघन के कथित आरोप में मुकदमा दर्ज कराया गया था. बाद में इस मामले में समझौता किया गया था.

Posted By: Satyendra Kumar Singh