- 10 दिवसीय महोत्सव में अपेक्षा के अनुरुप नहीं पहुंच रहे दर्शक

- शिल्पियों, दुकानदारों के माथे पर चिंता की लकीरें

आगरा। इस बार ताज महोत्सव में शिरकत करने देश के कोने-कोने से आए शिल्पी और दुकानदार पसोपेश में हैं। दर्शकों की बेरुखी उनके माथे पर शिकन बढ़ा रही हैं। जिस उम्मीद को लेकर शिल्पकार और अन्य दुकानदार ताज महोत्सव में आए थे, यहां उनकी आशाओं पर पानी फिरता नजर आ रहा है। आधा महोत्सव बीत चुका है, लेकिन दर्शकों में कोई खासा इजाफा नहीं हुआ है। अब शिल्पियों और दुकानदारों को आधे दिनों से कुछ लाभ होने की उम्मीद है।

जहां पहले आते थे हर रोज 10 हजार अब सिर्फ चार हजार

पर्यटन विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो पिछली बार के ताज महोत्सव में प्रतिदिन हर दिन 8 से 10 हजार तक दर्शक ताज महोत्सव में पहुंचते थे। इस बार आधा ताज महोत्सव गुजर जाने के बाद भी दर्शकों की संख्या बेहद कम है। वीक एंड होने के बाद भी शनिवार को चार हजार सैलानी दर्शक ही ताज महोत्सव में पहुंचे। अब संडे को दर्शकों की भीड़ बढ़ने की उम्मीद जताई गई है।

शिल्पी दुकानदार मान रहे दर्शकों के न पहुंचने की ये वजहें

ताज महोत्सव का इस बार कोई खास प्रचार-प्रसार नहीं हुआ

हर बार बजट में प्रचार के लिए दो से पांच लाख रुपये होर्डिग साइनेज, पंपलेट आदि पर खर्च किए जाते रहे हैं

साल दर-साल ताज महोत्सव की टिकटों में इजाफा किया गया।

टिकट मंहगी होने से आम पब्लिक ताज महोत्सव से दूर होती गई

अफसर ताज महोत्सव को इंटरनेशनल महोत्सव बताते रहे, लेकिन इंटरनेशनल स्तर जैसा कुछ नहीं दिखा।

- शिल्पकारों का कहना था कि पिछली बार स्टॉल 15 हजार में ली थी। इस बार 20 हजार दिए हैं

- ताजमहल पर महोत्सव का प्रचार-प्रसार होना चाहिए था, जो नहीं हो सका।

- इस बार महोत्सव में कोई बड़ी सेलीबिट्रीज को नहीं बुलाया गया।

अब तक इतनी टिकट बिकीं

ताज महोत्सव में पहले दिन 300 टिकटों की बिक्री हुई। इसके बाद 19 फरवरी को 4 हजार टिकटों की बिक्री हुई। बीच कि दिनों में साढ़े तीन हजार से चार हजार के बीच ही ताज महोत्सव के टिकट बिक्री का रेशियो रहा। 23 फरवरी को भी चार हजार टिकट बिके। ये स्थिति जब है, तब वीक एंड में ताज का दीदार करने हजारों की संख्या में सैलानी आ रहे हैं।

क्या कहते हैं शिल्पकार

इस बार बड़ी उम्मीद लेकर आए थे, लेकिन कोई खास रिस्पांस नहीं मिल रहा है। पहले 15 हजार रुपये की स्टॉल ली थी। इस बार 20 हजार रुपये चुकाने पड़े हैं। मंहगाई के चलते कई दुकानें खाली पड़ी हैं। बिक्री उतनी हो नहीं पा रही है, जबकि खर्चा दुगना हो रहा है।

उमेर रामपुर सूट, जरदोजी स्टॉल

हम बिहार से आए हैं। हमारे दोस्त ने बताया था कि बहुत अच्छा रिस्पांस मिलता है, लेकिन कोई खरीददार आ ही नहीं रहा है। इस बार कोई खास कार्यक्रम नहीं हो रहा है। देखो उम्मीद लगाए बैठे हैं।

संजय कुमार पेटिंग विक्रेता बिहार

मैं पिछली बार के ताज महोत्सव में आया था, बहुत अच्छा-खासा रिस्पांस मिला था। इस बार ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। इसका बड़ा कारण पुलवामा की घटना भी है। ताज महोत्सव समिति ने टिकट और स्टॉल के रेट भी बढ़ा दिए हैं।

फेकनराम बंबू स्टॉल विक्रेता दिल्ली

मैं पिछले कई वर्षो से ताज महोत्सव में आ रहा हूं। हर बार अच्छा रिस्पांस मिलता था। इस बार कम है। वैसे तो कोई दिक्कत नहीं है। ऐसा लग रहा है कि महोत्सव का ठीक से प्रचार-प्रसार नहीं हुआ है।

शंकर भाई सहारानपुर शिल्पकार

क्या कहते हैं अधिकारी

इस बार ताज महोत्सव की समयावधि में कोई इजाफा नहीं किए जाने का विचार है। अभी दर्शकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।

अमित कुमार, उप निदेशक पर्यटन आगरा

Posted By: Inextlive