'टिंडर' के चंगुल में फंस रहे पटनाइट्स
ऑनलाइन मैरेज की तरह पटना में ऑनलाइन डेटिंग एप का चलन बढ़ गया है। युवा जिसका सही नाम तक नहीं जानते है उनसे ना सिर्फ चैटिंग करते है बल्कि अपनी तस्वीरें और निजी जानकारियां शेयर करते है। पटनाइट्स में भी इन दिनों एक ऑनलाइन डेटिंग एप टिंडर काफी ट्रेड कर रहा है। खास कर यूथ और महिलाएं आसानी से इसके चक्कर में फंस रही हैं। वे न सिर्फ इसपर चैटिंग करते हैं बल्कि फोटोज भी शेयर कर रहे हैं जिससे ये अनजान लोगों की ब्लैकमेलिंग का शिकार भी हो रहे है।
प्राइवेसी के चक्कर में लग रही आदतएक्सपर्ट बताते है इस एप में यूजर को प्राइवेसी तो मिलती है लेकिन सामने वाला कौन है ये समझना मुश्किल होता है। धीरे-धीरे युवा इसमें फंसते जा रहे हैं। यहीं नहीं इस एप की लत को छुड़ाने के लिए काउंसलिंग सेंटर के चक्कर लगा रहें है। फेक आईडी बनाकर असमाजिक तत्व इसका गलत फायदा उठा रहें है। इसके साथ ही लोगों में इसकी लत नशे की तरह फैल रही है।
फर्जी नाम से तैयार किया जाता है आईडीसाइबर एक्सपर्ट की माने तो टिंडर जैसे कई नामों वाले ये एप एडल्ट के लिए है। जिसमें फोटो, नाम, एज, जेंडर की छोटी सी प्रकिया के बाद ही अकाउंट बन जाता है। तस्वीरों के द्वारा ही सेलेक्शन और चैटिंग होती है। इस एप में लोकेशन सर्च होता है। अगर व्यक्ति ने गलत नाम और तस्वीर डाली है तो इसकी जांच के लिए कोई उपाय नहीं होता है। इसपर फर्जी आई बनाने वालों की संख्या ज्यादा रहती है । नाम और फोटो किसी की भी लगाकर आईडी तैयार की जाती है। यही नहीं एप में ज्यादा लोगों से चैटिंग के लिए चार्ज का भी सिस्टम होता है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों से चैटिंग हो सके ।
कौन करता है इस्तेमाल इस एप का इस्तेमाल ज्यादातर कॉलेज और कोचिंग जाने वाले छात्र- छात्राएं और घरेलू महिलाएं कर रही है। ये अपनी पहचान छिपा कर चैटिंग करना चाहते है जिसका फायदा फेक आईडी यूजर उठाते है। इन्हें लगता है कि ये चैट कर लेंगे लेकिन इनके घर और आसपास को इसकी जानकारी नहीं होगी। लेकिन अपराधी तत्वों का शिकार बन रहे हैं यूथ के साथ महिलाएं और पुरुष भी इस एप के एडिक्शन का शिकार हो रहे हैं। शुरुआत में उनको लगता है कि उनकी पहचान छिपा कर वो कुछ भी कर सकते है लेकिन अपराधी तत्व इसका फायदा उठाते है। -डॉ। बिन्दा सिंह, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट