- सर्विलांस को चकमा देने में महारत हासिल कर चुका था बजरंगी गिरोह

-असलहे और शिकार के लिए भी इस्तेमाल होते थे कोड

पूर्वाचल में आतंक का पर्याय बन चुके मुन्ना बजरंगी ने गिरोह को चलाने के लिए मुंबई अंडरव‌र्ल्ड की तर्ज पर कई हथकंडे अपनाए थे। सर्विलांस को चकमा देने के लिए गिरोह कोड वर्ड में बातें करता था। इसके साथ ही गिरोह से जुड़ने वाले रंगरूटों को बाकायदा ट्रेनिंग और तनख्वाह तक दी जाती थी। इन्हीं हथकंडों के जरिए बजरंगी ने एक समय पूर्वाचल में सबसे बड़ा और सक्रिय आपराधिक गिरोह तैयार कर लिया था।

भिंडी और नौ नंबर की चप्पल

पुलिस सूत्रों की मानें तो कुछ गुर्गो के एनकाउंटर के बाद बजरंगी गिरोह ने असलहे, शिकार और अपने लोगों के लिए कुछ कोड रख लिए थे। फोन पर बातचीत में इन्हीं का इस्तेमाल किया जाता था। जैसे 9 एमएम की पिस्टल को नौ नंबर की चप्पल कहा जाता था और एके-47 को भिंडी। कारतूस के लिए दाना और भूजा शब्द का इस्तेमाल किया जाता था। गिरोह बजरंगी को कोड में 'वीआईपी' कहता था। इसी तरह शार्प शूटर अन्नू त्रिपाठी को उसके दुस्साहस की वजह से यमराज कहा जाता था। शिकार के लिए मरीज और शूटरों के लिए डॉक्टर शब्द का इस्तेमाल होता था। हालांकि पुलिस की सर्विलांस सेल ने बाद में इस कोड को तोड़ ही लिया था।

मुंबई में फरारी, गोवा रोड से कॉल

मुंबई के मलाड से 29 अक्टूबर -2009 को गिरफ्तारी के बाद बजरंगी ने चार साल तक पुलिस के रडार से गायब होने का राज बताया था। टेंपो चालक बनकर मुंबई में छिपा बजरंगी कभी मोबाइल साथ नहीं रखता था और न ही उसका इस्तेमाल करता था। किसी करीबी से बातचीत या कहीं धमकी वाली कॉल करनी हो तो अपनी पुरानी जेन कार से वह गोवा रोड पर जाता था। यहां से कॉल करने के बाद सिम और मोबाइल वहीं तोड़कर फेंक दिया करता था।

Posted By: Inextlive