Dehradun: सवाल यह है कि क्या बीते दो वर्ष में पुलिस ने वास्तव में ऐसा काम किया कि घटनाएं काफी कम रहीं या फिर मामले दर्ज करने में कंजूसी बरती गई. तीन वर्ष के तुलनात्मक आंकड़े ना केवल हैरान करने वाले हैं बल्कि दून पुलिस की वर्किंग पर सवालिया निशान भी खड़े करते हैं. क्राइम ग्राफ बढ़ा ही नहीं बल्कि यहां अपराध की आंधी सी आ गई. चोरी चेन लूट मर्डर नकबजनी हत्या हर वारदात में जबरदस्त इजाफा हुआ.


क्या कहते हैं आंकड़ेसबसे पहले आपको रूबरू कराते हैं बीते तीन वर्ष के टोटल क्राइम ग्र्राफ से, जिसे जानकर कोई भी दंग रह जाए। हालांकि महकमे के अधिकारी काफी समझदार होते हैं। उनके पास बढ़े आंकड़ों का जवाब भी रहता है। वर्ष 2010 में टोटल अपराध की संख्या 897 रही। 2011 में ये आंकड़ा घट कर 749 पर आ गया। लेकिन सबसे चौकाने वाली बात यह है कि इस वर्ष के मई माह तक का टोटल क्राइम का ग्र्राफ 903 तक पहुंच चुका है। वर्ष के आखिर तक ये संख्या कहां पहुंचेगी बड़ा सवाल है।खूब हुए एक्सीडेंट


दून में एक्सीडेंट का होना आम बात है। इस पर रोक लगाने के लिए प्लान तो कई बने, लेकिन घटनाएं कम नहीं हो सकी। स्टेट के मौजूदा और एक्स सीएम भी यहां होने वाले हादसों पर चिंता जाहिर कर चुके हैं। तेजी से बढ़ती आबादी और वाहन सिटी के लिए बड़ी समस्या बन चुके हैं। ट्रैफिक कर्मी यहां क्या करते हैं। किसी से छिपा नहीं है। ऊपर से डंडा आया तो एक्टिव वरना साइलेंट मोड में पड़े रहना इन्हें खूब भाता है। वर्ष 2010 में 57 घातक एक्सीडेंट हुए.11 में इनकी संख्या बढ़ते हुए 62 पहुंच गई। जबकि इस वर्ष के पांच माह में आकड़ा अभी ही 63 पहुंच चुका है।चोर पड़े सब पर भारी अपराध की घटनाएं कई हैं। लेकिन इन सबके बीच अगर किसी ने पुलिस की नाकामी का मजा सबसे अधिक उठाया, तो वे है चोर गिरोह। जिन्होंने कभी दिनदहाड़े तो कभी रात के समय अपनी कारस्तानी को मन मुताबिक अंजाम दिया। आलम ये है कि इस वर्ष के मई माह तक चोरी की कुल 224 वारदातें हो चुकी हैं, जबकि 2011 पूरे वर्ष में 173 चोरी हुई थीं। वहीं 2010 में 185 घटनाएं घटित हुई। उधर, नकबजन भी चोरों के साथ ताल से ताल मिलाते हुए कामयाबी का परचम लहरा रहे हैं। दो वर्ष की तुलना में इस साल का आंकड़ा 58 तक पहुंच चुका है। 2010 में नकबजनी की संख्या 34 व 2012 में 36 रहीं।चेन स्नैचर्स ने भी दिखाया दम

राह चलते किसी के गले से चेन छीन कर भाग जाना आसान नहीं है। फिर भी चेन स्नैचर्स अपने काम में पूरी तरह सफल रहे। 2010,11 में चेन स्नैचिंग की कुल 16 वारदात हुईं, जबकि इस वर्ष के महज पांच माह में ही यह संख्या 17 तक पहुंच गई है। पुलिस के लाख दावों के बावजूद बाइक सवार स्नैचर्स पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सके। ये बात और है कि हर घटना के बाद पुलिस ने वाहन चेकिंग का अभियान चलाने में देर नहीं की। .लूट की घटना अभी तक 8 हुई हैं, जिसमें से कुछ केस वर्क आउट भी किए गए।क्या कहती है राजधानी पुलिस बकौल एसएसपी नीरू गर्ग, उन्होंने राजधानी की कमान अभी दो माह पहले ही संभाली है। इस दौरान घटनाएं काफी कम हुई और केस अधिक वर्क आउट किए गए। साथ ही घटना की रिपोर्ट हर हाल में दर्ज करने के निर्देश भी साफ तौर पर जारी किए गए हैं। यही वजह है कि क्राइम का ग्र्राफ बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। पुलिस हर वारदात को लेकर संजीदा है। टीमें गठित की गई हैं, जो मामलों को वर्क आउट करने का प्रयास कर रही हैं।'मेरा यह मानना है कि हर वारदात की रिपोर्ट दर्ज होनी चाहिए। मैंने अपने मातहतों को इसके लिए साफ तौर पर निर्देश भी जारी किए हैं। घटना को छिपाने से क्राइम कंट्रोल नहीं हो सकता। पुलिस को अपराध रोकने के लिए सख्ती से काम करना होगा.'-नीरू गर्ग,एसएसपी दूनReport By: Mayank Rai

 

Posted By: Inextlive