RANCHI: रांची के प्राइवेट बैंकों व उनके सीजरों द्वारा गुंडागर्दी की जा रही है। पहले लोगों को लोन उपलब्ध कराने के लिए लुभावने वादे करते हैं और जब उनकी किस्त फेल हो जाती है तो उन्हें नन परफॉमर्ेंस अकाउंट में डाल दिया जाता है। फिर उनकी गाड़ी को ट्रेस कर सीजर (जो आज स्थानीय गुंडे पाल करके रखते हैं )द्वारा जबरन गाड़ी छीन ली जाती है। इसके बाद जब गाड़ी छुड़वाने के लिए लोग बैंक जाते हैं तो उनसे सरकारी गारंटी की मांग की जाती है। वहीं, लोन के पूरे पैसे भी वसूलने की बात कही जाती है नहीं तो केस में फंसाने की धमकी दी जाती है। राजधानी रांची में इन दिनों यही हो रहा है प्राइवेट बैंक और उनके सीजरों द्वारा लोन पर ली गई गाडि़यों के मालिक को प्रताडि़त किया जा रहा है और उनसे जबरन गाड़ी छीन ली जा रही है।

बिना कोर्ट के ऑर्डर छीन रहें व्हिकल

हाईकोर्ट के ऑर्डर के बाद ही गाड़ी सीज करने का अधिकार है। जानकारी के मुताबिक, लगातार शिकायत मिलने के बाद और प्राइवेट बैंकों पर शिकंजा कसने के लिए हाईकोर्ट में यह नियम बनाया गया है कि जब भी कोई व्यक्ति लोन पर गाड़ी लेता है या उस पर कुछ करता है तब वह कोर्ट से ऑर्डर लेकर आए ताकि कोई और उसके लिए मजिस्ट्रेट नियुक्त करे। पर, बैंकों द्वारा इस तरह के काम नहीं किए जाते हैं वह बैंकों द्वारा दी गई गाड़ी की लिस्ट उन्हें थमा देते हैं और उन गाडि़यों का पता कर उन्हें जबरन उठाकर यार्ड में खड़ा कर दिया जाता है।

थाना पुलिस से गंठजोड़

राजधानी में सीजर का काम करने वालों का कहना है कि गाड़ी जब्ती के क्रम में पहले थाना को सूचित किया जाता है। जबकि अब यह नियम बदल गया है। सूचना के मुताबिक थानेदार या थानों के पुलिसकर्मी को एक गाड़ी पर 2000 देने का प्रावधान है। 2000 के लालच में थाना पुलिस भी गाड़ी मालिकों के विपक्ष में खड़ी हो जाती है। गाड़ी मालिक डर से गाड़ी छोड़ देते हैं। इस संबंध में बैंक मैनेजर से पूछा जाता है तो कहा जाता है कि उनका काम है और इसके लिए बकायदा थानों को राशि दी जाती है।

पिस्कामोड़ से उठा ली कार

12 दिनों पहले पिस्कामोड़ में ऐसी ही एक घटना घटी है। एक मालिक से जबरन उनकी गाड़ी ले ली गई और उन्हें बाइक से बस स्टैंड पहुंचाया गया। इतना ही नहीं, इन प्राइवेट बैंकों द्वारा एक वकील भी रख लिया जाता है। जो उन्हें कानूनी प्रक्रिया में मदद पहुंचाते हैं। उनकी दलील कुछ अलग ही होती है। ऐसे प्राइवेट बैंक और चिटफंड कंपनियां गरीबों को गाडि़यों और मकान का लालच देकर उनसे पहले राशि लेती है। फिर एक रोज परेशान कर देती है यदि वह किस्त नहीं दे पाए तो उनकी गाडि़यों को जबरन छीन लिया जाता है।

हड़बड़ी में करा लेते हैं सिग्नेचर

बैंक से गाड़ी लेने के वक्त एग्रीमेंट पेपर में एक क्लाउज दिया रहता है। बैंककर्मी का क्लाउज इतना छोटा होता है कि उसके क्लाउज को आदमी पढ़ नहीं पाता और हड़बड़ी में सिग्नेचर करवा लिया जाता है। इसके बाद उनकी गुंडागर्दी शुरू हो जाती है।

कोट

ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। शिकायत आने पर कार्रवाई होगी। जिन प्राइवेट बैंकों को गाड़ी सीज करनी है। उन्हें कोर्ट का ऑर्डर लेकर थाने में जमा करना है। डाइरेक्ट थाना में बैंक की पर्ची नहीं ली जाएगी। यदि कोर्ट के ऑर्डर के बाद कोई थाना का पुलिस अधिकारी गाड़ी सीज करने में साथ देता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

अनीश गुप्ता, एसएसपी, रांची

Posted By: Inextlive