-बुधवार को नौ कंटेनर से साढ़े छह सौ मवेशी बरामद होने के बाद हुआ खुलासा

-गौ तस्करी का है मास्टर माइंड, चंदौली से कानपुर और उन्नाव तक सेट किया हुआ है थाना

-कोड वर्ड में 'गाय' को सफेद व 'भैंस' को काला के नाम से किया जाता है संबोधन

मिर्जामुराद थाने की पुलिस के गौ तस्करी में खुद शामिल होने की पुख्ता खबर ने तस्करों का खेल ही बिगाड़ दिया है। चंदौली (बिहार बार्डर) से उन्नाव जिले तक सेट गौ तस्करी का धंधा बिना 'खाकी' के गठजोड़ से संभव नहीं है। बीते दिनों इस थाने के कारखास की वायरल हुई एक आडियो से भी यह बात कंफर्म हो गयी थी। यही वजह रही कि पुलिस फास्ट हुई तो बुधवार को बिहार से कानपुर की ओर जा रहे नौ कंटेनर से साढ़े छह सौ मवेशी बरामद किये गए। तफ्तीश शुरू हुई तो पता चला कि मवेशियों से भरे सभी कंटेनर उन्नाव में किसी लंबी दाढ़ी वाले लादेन नाम से चर्चित एक व्यक्ति के चमड़ा फैक्ट्री में जा रहे थे। लादेन की पड़ताल हुई तो चौंकाने वाले फैक्ट सामने आए। गौ तस्करी का मास्टर माइंड लादेन ही चंदौली से कानपुर तक गाडि़यों का रेट तय करता है। कोड वर्ड में 'गाय' को सफेद और 'भैंस' को काला के नाम से संबोधन किया जाता है।

चंदौली से कानपुर तक सेट हैं थाने

बिहार से उठने वाले मवेशियों को उन्नाव व कानपुर स्थित चमड़ा फैक्ट्रियों तक पहुंचाने के लिए इस लादेन ने तगड़ी सेटिंग कर रखी है। सत्ता किसी की हो लेकिन हाईवे पर इसी के नाम का सिक्का चलता है। जबकि सत्ता में आते ही योगी सरकार ने सबसे पहले गौ तस्करी पर लगाम लगाने का फरमान सुनाया मगर उसके बाद भी हर दिन गौ तस्करी होती रही। बस तस्करों को रेट थोड़ा और बढ़ाना पड़ा। इसका असर भी यह देखने को मिला कि बिहार से चले नौ कंटेनरों को सैयदराजा, चंदौली, अलीनगर, रामनगर, लंका, रोहनिया थाने में से कोई एक भी थानी पकड़ नहीं सका। मिर्जामुराद थाना इसलिए एक्टिव हुआ क्योंकि पोल-पट्टी वहीं से खुली थी जिसे अब डैमेज कंट्रोल किया जा रहा है।

गाड़ी पीछे फेंकते हैं दो से ढाई लाख

गौ तस्करी में दो दशक से लिप्त लादेन ने चंदौली से लेकर कानपुर तक हाइवे से सटे हर जिले में अपना आदमी सेट कर रखा है। इनके पास गाय-भैंसें पास करने वाली गाडि़यों की लिस्ट होती है। रात आठ से नौ बजे के बाद चंदौली से गाडि़यां कानपुर की ओर पास होना शुरू हो जाती हैं। एक गाड़ी पीछे तस्कर थानों पर दो से ढाई लाख रुपये फेंकते हैं। सूत्रों की मानें तो एक दिन में करीब डेढ़ से दो सौ गाडि़यां पास होती हैं।

खादी-खाकी का है गठजोड़

गौ तस्करी के लिए तस्करों की ओर से अकूत पैसा खर्च किया जाता है। बिना खादी के सपोर्ट से खाकी अकेले इतना बड़ा रकम नहीं पचा सकती। इसलिए संबंधित जिले के माननीय भी इसमें भागीदारी निभाते हैं। कुछ तो इस किनारा कस सिर्फ खेल देखते हैं जबकि कुछ ऐसे हैं कि समय पर पैसा नहीं मिला तो दूसरे दिन संबंधित थाने के प्रभारी के तबादले पर जोर देते हैं।

चंदौली में 'बड़े साहब' का सिक्का

पशु तस्करी के लिए कुख्यात चंदौली जिले में पुलिस विभाग के एक बड़े साहब का शह मिल जाने के बाद एक सवर्ण फिर से गौ तस्करी में एक्टिव हो गया है। बसपा सरकार में अकूत दौलत कमा चुके कथित इस तस्कर पर बड़े साहब की मेहरबानी इन दिनों कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है। चंदौली में चर्चा यह भी है कि कभी बड़े साहब जब छोटे साहब हुआ करते थे तो किसी विभागीय जांच में बुरी तरह फंसे थे तो इसी तथाकथित तस्कर ने उन्हें मुसीबतों से उबारा था।

Posted By: Inextlive