-सैलानियों की सुरक्षा दरकिनार करके नाविक कर रहे हैं मनमानी

सीन-1

बम धमाके का गवाह बन चुके दशाश्वमेध घाट के एंट्री प्वाइंट पर डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर लगा है लेकिन यह काम नहीं कर रहा है। कोई भी कुछ भी लेकर घाट तक पहुंच जा रहा।

सीन-2

शीतला घाट पर बम धमाके के बाद यहां बने पिकेट पर ताला लगा है। पुलिसकर्मी नदारद हैं, घाट पर क्या हो रहा है इस पर किसी की नजर नहीं है। लोगों का कहना है कि सिर्फ आरती के वक्त पुलिसकर्मी नजर आते हैं।

सीन-3

घाट किनारे पानी से बाहर एक जर्जर नाव की मरम्मत की जा रही है। सड़ी-गली लकड़ी लगाकर बस इसे तैरने की तैयारी है। बोट मालिक बताता है कि देवदीपावली में इससे मोटी कमाई करने वाला है।

सीन-4

गंगा में ओवरलोड नावें चल रही हैं। लगभग सभी पर क्षमता से कहीं अधिक सवारी हैं लेकिन किसी पर भी सुरक्षा उपकरण मौजूद नहीं हैं। कुछ नावों को तो बच्चे चला रहे हैं। उसमें सवार लोगों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।

यह सीन बता रहे हैं कि गंगा और घाटों पर सुरक्षा का इंतजाम नहीं है। जबकि कुछ दिनों बाद ही देवदीपवाली है और लाखों की भीड़ उमड़ेगी। ऐसे में हादसे की संभावना हर वक्त रहेगी। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के रिएलिटी चेक में नजर आया कि गंगा में संचालित नावों नावों में दर्शनार्थियों को क्षमता से अधिक भरा जा रहा है। नावों पर सुरक्षा संबंधी कोई इंतजाम नहीं है। यही नहीं राजेन्द्र प्रसाद घाट पर लगाए गए डोर मेटल डिटेक्टर भी खराब पड़े हैं। ऐसी स्थिति में अगर घाट पर कोई संदिग्ध वस्तु मिल जाए तो हैरानी नहीं होगी।

उड़ा रहे मानकों की धज्जियां

नावों में सवार होकर गंगा के मनोरम छटा को निहारने वाले शैलानियों की जान हर वक्त खतरे में रहती है। नाविकों ने हर नियम कानून को ताक पर रख दिया है। ज्यादातर नावें बिना परमिट के संचालित हो रही हैं। ढेरों नाविक ऐसे हैं जिन्होंने संचालन के लिए लाइसेंस नहीं लिया है। किसी नाव पर क्षमता नहीं लिखी है। लाइफ जैकेट, ट्यूब जैसे सुरक्षा उपकरण कुछ नावों पर होता तो सिर्फ दिखावे के लिए। जर्जर नावों का भी संचालन गंगा में हो रहा है लेकिन उनकी जांच नहीं की जाती है। मोटी कमाई को देखते हुए जर्जर नावों की जैसे-तैसे तैरने लायक बनाया जा रहा है।

गोताखोर बगैर जल पुलिस

घाटों पर जल पुलिस की तैनाती गंगा में लोगों की सुरक्षा के लिए की गई है, लेकिन इसके पास गोताखोर नहीं है। पुलिस चौकी प्रभारी की मानें तो यहां थानों के पुलिस की तैनाती की जाती है जो सिर्फ गंगा में तैरना जानते है, डूबते को बचाना उनके बस में नहीं होता। ऐसे में अगर कोई डूबता है तो उसे बचाने के लिए एनडीआरएफ के जवान या प्राइवेट गोताखोर की मदद ली जाती है। यही नहीं यहां पांच स्टीमर है, लेकिन इसे चलाने वाले सिर्फ तीन है।

एनडीआरएफ मुस्तैद

बनारस में एनडीआरएफ की बटालियन तैनात है इसके जिम्मे गंगा की सुरक्षा भी है। अधिकारियों की मानें तो अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों से लैस एनडीआरएफ के 18 से 20 जवान दशाश्वमेध घाट पर हर वक्त मौजूद रहते है। इधर छठ पूजा के दौरान 25 जवानों की छह टीमें तैनात की गई थीं। देव दीपावली में इससे कहीं ज्यादा टीम लगाने का प्लान तैयार किया जा रहा है।

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जल पुलिस के पास एक भी गोताखोर नहीं है। इसलिए निजी गोताखोर की मदद ली जाती है। रही बात सुरक्षा की तो इसकी जिम्मेदारी एलआईयू और प्रशासन की है।

प्रमोद कुमार पांडेय, प्रभारी, जल पुलिस

Posted By: Inextlive