आई एक्सक्लूसिव

-जिला जेल में रह रहे आधा दर्जन से अधिक मासूम बच्चे

मम्मी तो कोई दादी के साथ गुजार रहा बचपन

पांच साल की संयोगिता को फूल बहुत पसंद हैं। उन पर मंडराने वाली तितलियों के पीछे दौड़ती है मगर ऊंची चहारदीवारी उसके कदम रोक देती है। दो साल की आयुषी किलकारियां तो भरती है लेकिन उसे गोद में उठाने कोई नहीं आता है। ये मासूम जिला जेल में सजा जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं क्योंकि इनकी मां यहां बंदी है। किसी ने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी, तो किसी ने दहेज के लोभ में बहू को ही आग के हवाले कर दिया। दौलत की चाहत में मां-बाप को मौत के घाट उतारा तो कोई रातों रात अमीर बनने का ख्वाब देख अपराध का रास्ता अख्तियार कर लिया। अब जेल में अपने गुनाह की सजा भुगत रहीं हैं। मगर इनके साथ मासूम बच्चे जेल में रहने को मजबूर हैं।

मां तो कोई दादी के साथ

चौका घाट स्थित जिला जेल में बंद कुल 106 महिलाओं में छह महिलाओं के पास दो माह से लेकर पांच साल आयु तक के बच्चे है। कोई दादी के साथ तो कोई मां के साथ जेल में है। जिला जेल में निरूद्ध पूजा मिश्रा को एक साल का बेटा शिवांश है, गोल्डी उर्फ एकता की पांच साल की बेटी संयोगिता है। नीतू की दो साल की बेटी आयुषी, शशि गुप्ता के दो जुड़वा बेटे समर व साहिल हैं जो अपने दादी के साथ जेल में है। चर्चित मामले में बंदी माला देवी को दो माह का बेटा और निधि को नेहा एक वर्ष व तीन साल का बेटा सनी है।

बंदी दे रहीं अक्षर ज्ञान

जिला जेल में बच्चों को प्यार तो मिलता है लेकिन उनका ही जो जेल में किसी न किसी गुनाह में बंद हैं। अपनों के नाम पर जेल में बंद मां या दादी ही होती है। पिता, दादा, चाचा को शायद जानते भी नहीं। इनकी दुनिया जेल की चहारदीवारी के भीतर ही है। बाहर क्या है उन्हें पता नहीं है। जेल प्रशासन की ओर से इन बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम किया गया है। छोटे बच्चों को महिला बंदी ही पढ़ाती हैं। बच्चों में सबसे बड़ी पांच साल की संयोगिता नदेसर स्थित प्राथमिक विद्यालय में कराया गया है। वो रोजाना जेल से ही स्कूल पढ़ने आती-जाती है। इसके लिए बकायदा जेल से गाड़ी तक आती-जाती है। उसकी मां गोल्डी उर्फ एकता पति की हत्या के आरोप में जेल में है।

जिन बच्चों की परवरिश कोई करने वाला नहीं होता है उन बच्चों को महिला बंदी अपने पास रखी हुई हैं। मां के अलावा दादी के साथ भी बच्चे हैं। एक लड़की का एडमिशन भी प्राइमरी स्कूल में कराया गया है। बाकि छोटे बच्चे हैं जिन्हें अभी फिलहाल महिला बंदी ही पढ़ा रही हैं।

पवन कुमार त्रिवेदी, जेलर

जिला जेल, चौकाघाट

जिला जेल एक नजर में

106

महिला बंदी हैं जेल में निरूद्ध

06

महिलाओं संग हैं बच्चे जेल में

08

बच्चे जेल में रहे खेल

03

बेटियां है जेल में

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बेटे है जेल में

Posted By: Inextlive