-37 दिन में दोहरा दी गई बीएचयू में यूपी कॉलेज जैसी घटना, यूपी कॉलेज में छात्र नेता विवेक सिंह की भी हुई थी गोली मारकर हत्या

-विद्यापीठ छात्रों का भी रहा है खूनी संघर्ष, जेएचवी डबल मर्डर बनी थी देश भर की सुर्खियां

वर्चस्व और आपसी गुटबाजी में जुर्म और जरायम की दुनिया से नाता जोड़ने की विधा तो पुरानी है. मगर, इतना दुस्साहसिक हो जाएगा इसका अंदाजा शायद पुलिस प्रशासन को भी न होगा. बनारस पुलिस के लिए चुनौती यह है कि सिर्फ 37 दिनों के अंदर दो छात्रों को कैंपस स्थित हास्टल के बाहर गोलियों से भून डाला गया. भले ही हत्यारे पकड़ में आए गए लेकिन क्राइम के ग्राफ पर असर नहीं पड़ा है. बीएचयू छात्र गौरव सिंह की हत्या ठीक उसी तरह हुई जैसा कि 24 फरवरी की रात यूपी कॉलेज में हास्टल के बाहर छात्रनेता विवेक सिंह की गोली मारकर कर दी गई थी. यूं तो विद्या के मंदिर में मौत का खेल खेलने के मामले में अकेला सिर्फ बीएचयू और यूपी कॉलेज की नहीं बल्कि काशी विद्यापीठ का रक्त रंजित इतिहास रहा है. 31 अक्टूबर को हुए जेएचवी दोहरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी में विद्यापीठ छात्र आलोक उपाध्याय का नाम जुड़ा हुआ है. छोटी-छोटी बात पर हत्या, हत्या के प्रयास और अपहरण, रंगदारी जैसे वारदात को अंजाम देने की विधा मानो पाठशाला से ही निकल पड़ी है. हाल के दिनों में जरायम की दुनिया में नया नाम सामने आया तो उसमें अधिकतर बीएचयू, यूपी कालेज और विद्यापीठ से जुड़े छात्र ही निकले हैं.

हरिश्चंद्र में हो चुकी है बमबाजी

मैदागिन का हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज भी कम नहीं रहा है. दो साल पूर्व छात्रसंघ चुनाव के दौरान कैंपस में बमबाजी भी हुई थी. दो गुटों के दौरान खुलेआम असलहे लहराए गए थे. हालांकि मामले में पुलिस भले ही आरोपियों को अरेस्ट किया था लेकिन यह भी बात सामने आ गई थी कि विद्या के मंदिर में कुछ भी संभव है. संस्कृत यूनिवर्सिटी में भी बात-बात पर असलहे चमकाए जाते है.

ख्वाहिशें ले रही दम

बीएचयू यूनिवर्सिटी, काशी विद्यापीठ, यूपी कॉलेज और हरिश्चंद्र पीजी कॉलेज से लेकर संस्कृत यूनिवर्सिटी में आए दिन मारपीट की घटनाएं हो रही है. छात्रसंघ चुनाव की रंजिश तो कहीं ठेकेदारी और कहीं सफेदपोश की संरक्षण में पल रहे नवागत छात्रों की कम समय में अधिक पा लेने की अथाह ख्वाहिशें अपराध की ओर ले जा रही हैं. कम समय में अधिक से अधिक चाह रखने वाले छात्रों को जब राह में रोड़े मिलते हैं तब वह आग बबूला हो उठते हैं. उस दौरान यह तनिक भी नहीं देखते कि सामने वाला जिंदा रहेगा या मौत की नींद सो जाएगा. बीएचयू, यूपी कॉलेज और विद्यापीठ इसका उदाहरण है.

Posted By: Vivek Srivastava