छात्र की हत्या के विरोध में 10 घंटे छात्रों के कब्जे में रहा सिंहद्वार

- पूरे 24 घंटे तक कैम्पस में रहा जबरदस्त तनाव का माहौल

- चीफ प्रॉक्टर के बर्खास्तगी के लिए बढ़ा दबाव, छात्र जिद पर अड़े

- तीन दिन के अंदर कार्रवाई के आश्वासन के बाद हटे स्टूडेंट्स

बीएचयू को बवालिया यूनिवर्सिटी कहा जाए तो गलत नहीं होगा. मंगलवार को देर शाम बीएचयू स्टूडेंट गौरव सिंह की हत्या के बाद आक्रोशित छात्रों ने बुधवार को लगभग दस घंटे तक सिंहद्वार को अपने कब्जे में रखा. सुबह 11 बजे से गेट पर आंदोलित छात्रों को अंतत: रात आठ बजे के बाद जिला व विवि प्रशासन ने चीफ प्रॉक्टर पर तीन दिन के अंदर कार्रवाई करने का आश्वासन देकर आंदोलन समाप्त कराया. पूरे समय कैम्पस में बवाल की संभावना को देखते हुए बड़ी संख्या में पुलिस व अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गयी थी. मानो बीएचयू कैम्पस छावनी बन गया था.

शाम तक हाई वोल्टेज ड्रामा

बीएचयू के मेनगेट यानि सिंहद्वार पर स्टूडेंट्स का कब्जा और आने-जाने पर रोक के चलते हजारों लोग परेशान हुए. इस दौरान बड़ी संख्या में हत्या की घटना से आक्रोशित स्टूडेंट्स गेट के सामने धरने पर बैठे रहे. उन्हें समझाने में यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के अलावा जिला प्रशासन व पुलिस अफसरों के भी पसीने छूट गए लेकिन स्टूडेंट्स के तेवर देख सबको पीछे हटना पड़ा. हालांकि जिला व विवि प्रशासन से कई राउंड बातचीत के बाद छात्रों को यह भरोसा दिलाया कि चीफ प्रॉक्टर की आरोपी छात्रों संग संलिप्ता की पुष्टि हुई तो उनकी गिरफ्तारी तय है. तीन दिन के अंदर मामले की जांच व आरोप पुष्ट होने पर चीफ प्रॉक्टर पर कार्रवाई के आश्वासन के बाद स्टूडेंट्स हटे .

आंखों में आंसू, मन में उबाल

कैंपस के अंदर साथी छात्र गौरव सिंह की हत्या से उबले छात्रों ने बीएचयू सिंहद्वार को बुधवार की सुबह लगभग 11 बजे अपने कब्जे में ले लिया. सुबह अपने साथी की अंत्येष्टि से लौटने के साथ ही स्टूडेंट्स लामबंद हो गए और सिंहद्वार को बंद कर दिया. यहां छात्र चीफ प्रॉक्टर की गिरफ्तारी व बर्खास्तगी की मांग को लेकर मुखर रहे. आंदोलनरत छात्रों को समझाने के सारे प्रयास असफल रहे. दिन का पारा चढ़ने के साथ ही छात्रों के गुस्से का उबाल बढ़ा तो मामले को थामने पहुंचे डीएम-एसएसपी ने वीसी आवास पर छह छात्रों के प्रतिनिधि मंडल से लगभग तीन घंटे तक वार्ता की लेकिन बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला. शाम ढलते सैकड़ों स्टूडेंट्स सिंहद्वार पर नम आंखों से साथी गौरव सिंह को श्रद्वांजलि दी. गम में जहां कैंडल मार्च भी निकाला गया.

बिरला सी में हुई छापेमारी

शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए पुलिस फोर्स सहित पैरामिलिट्री फोर्स तैनात कर दी गई. देर शाम बिरला सी सहित अन्य हास्टल में पुलिस ने छापेमारी कर घटना की तफ्तीश की. गौरव सिंह के हत्यारोपी बिरला सी सहित अन्य हास्टलों में ठहरते थे. पुलिस ने जब छापेमारी की तो उस दौरान चारों आरोपी छात्रों का रूम भी नहीं सील किया गया था. गौरव के पिता राकेश सिंह की तहरीर पर लंका पुलिस ने चीफ प्रॉक्टर सहित सात नामजद छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.

फायरिंग बनी हत्या की वजह

मंगलवार की शाम बिरला ए हास्टल के पास एमसीए के छात्र गौरव सिंह 23 वर्ष की चार बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. हत्या के आरोपित चार छात्रों को लंका पुलिस ने अरेस्ट भी कर लिया है. हत्या किन वजहों से हुई इसे लेकर वर्चस्व की बात बताई जा रही है. चर्चा यह भी है कि कुछ दिन पूर्व बिरला सी हास्टल के पास हुए फायरिंग मामले को भी हत्या से जोड़कर देखा जा रहा है. यह भी चर्चा है कि कैंपस में नवनिर्मित हॉस्पिटल में दुकान आवंटन को लेकर भी छात्र गुटों में टकराहट चल रही थी. पिछले कुछ सालों से बिरला ए और बिरला सी के बीच चली आ रही टकराहट ने ऐसा रूप धारण किया कि छात्र गौरव को अपनी जान गंवानी पड़ी. बरलहाल, मामले के हर पहलू पर पुलिस जांच पड़ताल कर रही है.

आए थे 'नेताजी' को टपकाने

कैंपस में चर्चा का माहौल यह भी है कि छात्रहित की आवाज उठाने वाले आशुतोष सिंह यीशु को मारने की प्लैनिंग थी. छात्रों के बीच नेताजी के नाम से फेमस आशुतोष सिंह यीशु को टपकाने की नियत से आने वाले बाइक सवार शूटरों का निशाना चूक गया और लक्ष्य गौरव बना. हालांकि सूत्रों की माने तो गौरव और आशुतोष दोनों को मारने की प्लैनिंग से ही दो बाइक पर सवार चार शूटर आए थे.

चीफ प्रॉक्टर पर लगे गंभीर आरोप

साथी गौरव सिंह की हत्या के बाद आंदोलन की राह अपनाए छात्रों ने मौत का जिम्मेदार चीफ प्रॉक्टर प्रो. रायना सिंह को माना है. सिंहद्वार पर आंदोलनरत छात्रों ने जिला व विवि प्रशासन के अधिकारियों के सामने कहा कि हत्या से तीन दिन पूर्व आरोपी चारों छात्र कुमार मंगलम, रूपेश सिंह, आशुतोष त्रिपाठी, शिवम द्विवेदी की चीफ प्रॉक्टर संग मीटिंग हुई थी. सीसीटीवी फुटेज में भी यह पाया गया है. कहीं न कहीं चीफ प्रॉक्टर ही गौरव सिंह की मौत की वजह है. छात्रों ने आरोप लगाया कि बिरला अ, ब और राजाराम, रूईय्या, एलबीएस में छापेमारी होती है लेकिन बिरला सी में कभी नहीं हुई क्योंकि बिरला सी में चीफ प्रॉक्टर के खास गुर्गे रहते है. गौरव के पिता ने लंका थाना में 120 बी के तहत चीफ प्रॉक्टर रोएना सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है. आंदोलन छात्रों में आशुतोष सिंह यीशू, चक्रपाणि ओझा, अनुराग सिंह अन्नू, नवनीत, चेतन राज, केके अग्रहरि, आनंद मोहन झा आदि शामिल रहे.

Posted By: Vivek Srivastava