राज्य के क्रिमिनल्स को पुलिस के स्पीडी ट्रायल का खौफ
क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: झारखंड के क्रिमिनल्स पर पुलिस की बदलती काम करने की शैली और प्लानिंग के साथ-साथ स्पीडी ट्रायल का खौफ बढ़ता जा रहा है. हाल के कुछ दिनों में पुलिस ने कांडों का खुलासा करने के साथ-साथ क्रिमिनल्स की गिरफ्तारी भी सुनिश्चित की और स्पीडी ट्रायल के तहत उन्हें सजा भी दिलवाई गई. इसे देखकर अपराधियों को जेल जाने का खौफ सताने लगा है. खूंखार अपराधी किसी कांड में अपना नाम सामने आने पर पुलिस के सामने सफाई तक दे रहे हैं.
क्या कहते हैं आंकड़ेपिछले नौ माह में डकैती, आर्म्स एक्ट, दुष्कर्म, हत्या, पोक्सो एक्ट, मानव तस्करी, मादक द्रव्य और महिला प्रताड़ना से जुड़े 700 केसों का स्पीडी ट्रायल के जरिए निपटारा किया गया है. इसमें से 500 केसों में आरोपियों को सजा हुई है. बचे हुए केसों का निष्पादन मई में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. पुलिस मुख्यालय में स्पीडी ट्रायल से जुड़े मामलों की समीक्षा में यह जानकारी सामने आई है कि राज्य भर में संवेदनशील और उग्रवादी मामलों में पुलिस स्पीडी ट्रायल कराकर जल्द से जल्द अपराधियों को सजा दिलाने की मुहिम पर काम कर रही है.
जुलाई माह से शुरू हुआ कामस्पीडी ट्रायल के लिए कुल 1001 केसों को चुना गया था. इसमें से 894 केसों का स्पीडी ट्रायल जुलाई में शुरू किया गया था. इसमें से 700 केसों का निपटारा हो गया. सिर्फ 194 केस बचे हैं. इसमें से 110 केस ऐसे हैं जिनका निष्पादन मई माह के अंत तक करने का निर्णय लिया गया है जिसपर तेजी से काम हो रहा है. विदित हो कि 84 केसों को मई माह में ही निष्पादित करने का लक्ष्य रखा गया है.
...... चार केस में फांसी की सजा स्पीडी ट्रायल के चार मामलों में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई है. इसमें दुमका के काठीकुंड में नक्सल हमले में शहीद हुए एसपी अमरजीत बलिहार हत्याकांड में शामिल आरोपी भी हैं. इनके अलावा गुमला, दुमका और घाटशिला का एक-एक मामला भी शामिल है. साइबर क्राइम के 12 मामलों में सजा अभियोजन निदेशालय से मिली जानकारी के अनुसार, साइबर क्राइम से जुड़े 12 मामलों में अब तक आरोपियों को सजा दिलाई गई है. इनमें मधुपुर का चार, जामताड़ा का एक, तेनुघाट का एक और दुमका का एक मामला शामिल है. वर्जनझारखंड में स्पीडी ट्रायल से जुड़े मामलों के निपटारे की दर 13 परसेंट थी. लेकिन जुलाई में अभियोजन निदेशालय बनने के बाद केसों के निष्पादन का परसेंटेज 23 पहुंच गया है. निदेशालय का प्रयास है कि कांडों में वांटेड अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद उन्हें सजा दिलाने तक दिन-रात प्रयास किया जाए. पुलिस किसी भी अपराधी के साथ कोई रियायत नहीं करने जा रही है.
-दिग्विजयमणि त्रिपाठी, अभियोजन निदेशक