- छह मगरमच्छ को बेतिया के जंगल में छोड़ा गया जिनमें दो की पीठ पर लगे हैं चिप

- बिहार से लेकर नेपाल तक पानी के रास्ते रखी जाएगी नजर

- बिहार फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और व‌र्ल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया का ज्वाइंट वेंचर

PATNA : जू के मगरमच्छ अब वहां से निकलकर खुले पानी और हवा में सांस लेने के लिए बेतिया पहुंच गए हैं। छह मगरमच्छ के साथ बिहार फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और व‌र्ल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की टीम भी है। इनका मकसद जू में बढ़ती मगरमच्छ की संख्या को नए एटमॉसफेयर में छोड़ना और दो सालों तक उससे रिलेटेड डाटा तैयार करना है। इसके जरिए पानी के अंदर और बाहर दोनों जगहों की मॉनिटरिंग भी की जा सकेगी। एक्सपर्ट बताते हैं कि मगरमच्छ को पहली बार नॉर्मल हैबिटेट में रखे जाने की यह कवायद है। मगरमच्छ में चिप लगाने वाले एक्सपर्ट डॉ। रमेश तिवारी ने बताया कि इस चिप के द्वारा दो साल तक मगरमच्छ की सेटेलाइट के जरिए आसानी से मॉनिटरिंग की जा सकती है। साथ ही यह भी पता लगाया जा सकता है कि मगरमच्छ नॉर्मल हैबिटेट में सरवाइव कर सकते हैं अथवा नहीं। यही नहीं इस मगरमच्छ के आसपास आने जाने वालों की एक्टिविटी को भी सही-सही पता लगाया जा सकता है। फिलहाल क्7 अप्रैल को लगाया गया चिप वाला मगरमच्छ क्8 अप्रैल की शाम में बेतिया के पास छोड़ा गया है।

बेतिया के रास्ते नेपाल तक चौकसी

जीपीआरएस सिस्टम के जरिए बेतिया के रास्ते नेपाल की सीमा के अंदर जहां तक मगरमच्छ आएगा-जाएगा, उसकी मॉनिटरिंग की जाती रहेगी। इस दौरान मगरमच्छ और आसपास के जलीय जीवों के साथ उसके रिएक्शन की भी मॉनिटरिंग होगी। बिहार फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और व‌र्ल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया का यह वेंचर पहली बार बिहार के जलीय जीवों पर अपनाया गया है। अगर यह सफल रहा तो फिर अन्य जीवों पर भी इसका प्रयोग किया जाएगा।

एक मेल और छह फीमेल

छह मगरमच्छ में से एक मेल और छह फीमेल मगरमच्छ को बेतिया में छोड़ा गया है। साथ ही इसमें से सिर्फ एक मेल और एक फीमेल पर ही चिप लगाया गया है। इसके अलावा पांच फीमेल को ऐसे ही छोड़ा गया है। इसकी मॉनिटरिंग बेतिया और पटना में एक साथ की जाएगी। सोर्सेज की मानें तो इसको लेकर कई सालों से तैयारी चल रही थी और देहरादून से घडि़याल स्पेशलिस्ट भी आए थे, जिन्होंने चिप लगाने से लेकर उसकी कई सारी स्टडी भी सामने लाए हैं।

जू में बढ़ रही है मगरमच्छ की तादाद

जू में बढ़ रही मगरमच्छ की तादाद को ध्यान में रखते हुए इस तरह का प्रयोग किया गया है। अगर यह सफल रहता है तो एक साथ कई मगरमच्छ को छोड़ा जा सकता है ताकि पानी में मगरमच्छ की तादाद को नॉर्मल हैबिटेट में रखा जाए।

बेतिया में दिखा था मगरमच्छ

इससे पहले साइंटिस्ट की टीम जब बेतिया के जंगलों में गयी थी तो वहां किनारे एक-दो मगरमच्छ दिखे थे। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि नॉर्मल हैबिटेट में इसे छोड़ने से नुकसान कम होगा। साल भर रिसर्च के बाद पहली बार यह प्रयोग किया गया है।

Posted By: Inextlive