केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल यानी CRPF में काेबरा कमांडो अपनी जांबाजी के लिए जाने जाते हैं। कोबरा कमांडो घने जंगलों में आतंकियों आैर माआेवादियों से मोर्चा लेने में बड़ी अहम भूमिका निभाते हैं। एेेेसे में आइए आज यहां जानें इनकी खासियत...

कानपुर। काेबरा कमांडो सीआरपीएफ की स्पेशल टास्क फोर्स है। इसके जाबांज कमांडो आतंकियों और माओवादियों का सफाया बेहद चालाकी से करते हैं। कोबरा के नाम से ये कांप उठते हैं। सीआरपीएफ की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक भारत सरकार ने 12 सितंबर, 2008 में विद्रोहियों और आंतकियों के साथ निपटने के लिए कमांडो बटालियन (कोबरा) को स्थापित करने की मंजूदी दी थी। कोबरा मुख्यालय पुराना सचिवालय, सिविल लाईन दिल्ली में है। इसकी 2008-09 में दो बटालियन, 2009-10 में चार बटालियन और 2010-11 में चार बटालियन स्थापित हुईं।

देश में इन जगहों पर स्थापित हैं कोबरा कमांडो की 10 बटालियन

कोबरा कमांडो गुरिल्ला/जंगल वॉरफेयर में एक्सपर्ट होते हैं। देश में सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन की देश के अलग-अलग स्थापना हुई थी। इनकी 201 बटालियन जगदलपुर (छत्तीसगढ़), 202 बटालियन कोरापुट (ओडिशा), 203 बटालियन सिंदरी (झारखंड), 204 बटालियन जगदलपुर (छत्तीसगढ़), 205 बटालियन मोकामाघट (बिहार), 206 बटालियन गाधचिरौली (महाराष्ट्र), 207 बटालियन दुर्गापुर (पश्चिमबंगाल), 208 बटालियन इलाहबाद (उत्तर प्रदेश), 209 बटालियन खुंती (झारखंड), 210 बटालियन दालगांव (असम) मे तैनात है।

कोबरा कमांडो के नाम पर ही माओवादियों के पसीने छूट जाते     
सीआरपीएफ कोबरा कमांडो ने अब तक कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। 17 सितंबर, 2009 सिंगामग्दु दंतेवाड़ा जिले में 30-40 माओवादी मार गिराए। इसके बाद 9 जनवरी, 2010 में दंतेवाडा में 4 माओवादी ढेर किए। इसके साथ ही कई बड़े माओवादी कैम्प को भी नष्ट किया।  15 जून, 2010 में पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले कोबरा कमांडो ने 8 माओदियों को ढेर किया। कोबरा की तरह आक्रमण के करने वाले इन कमांडो की चाल चीते जैसी और नजर बाज जैसी होती है। कोबरा कमांडो जिस समय सर्च ऑपरेशन चलाते हैं उस समय माओवादियों के पसीने छूट जाते हैं।

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Posted By: Shweta Mishra