मीराबाई संजीता चानू सतीश और वेंकट के बाद वाराणसी की पूनम यादव ने वेटलिफ्टिंग में इंडिया को एक और गोल्ड दिला दिया। 2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स की ब्रांज मेडलिस्ट पूनम ने इस बार अपने मेडल का रंग बदलते हुए इसे सोना कर दिया लेकिन उनके लिए पहले ब्रांज और फिर गोल्ड तक पहुंचना आसान नहीं था। पूनम की इस सफलता के पीछे जिसका सबसे बड़ा हाथ है तो वो है उनकी दोनों बहनें जिन्होंने अपनी रोटियां पूनम की थाली में डाली यहां तक कि उन्हें इस जगह तक पहुंचाने के लिए खुद खेल से बाहर हो गई। पूनम ने स्नैच में 100 केजी और क्लीन एंड जर्क में 122 केजी सहित कुल 222 केजी वजन उठाया।


खराब आर्थिक स्थिति


2014 में पूनम 63 केजी वेट कैटेगरी में उतरी थी और वहां ब्रांज मेडल जीता। हालांकि आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने के कारण परिवार के पास उनकी इस जीत पर लोगों को मिठाई तक खिलाने के पैसे नहीं थे। पिता किसानी करने के साथ ही भैंसों का दूध बेचते थे और दूसरी तरफ  परिवार भी बड़ा था। ऐसे में वेटलिफ्टिंग जैसे खेल को जारी रखना तीनों बहनों के लिए मुश्किल था। वेटलिफ्टिंग में खिलाड़ी को सप्लीमेंट्स के साथ साथ अच्छी डाइट की भी जरूरत होती है और परिवार इस हालत में नहीं था कि अतिरिक्त खर्चा कर पाए। ऐसे में पूनम की बड़ी बहन शशि ने उनके खेल को देखकर खुद की डाइट भी उनको देने लगी। अपनी थाली की रोटियां भी पूनम को दे देती थी। सुबह के नाश्ते में मिली दाल को भी शशि अपनी छोटी बहन पूनम को चुपके से खिला देती थी। यही नहीं दूध नापते समय एक गिलास दूध पूनम के लिए छुपाकर रखा जाता था।बहनों ने छोड़ा खेल

पूनम के साथ उनकी बड़ी बहन शशि और छोटी बहन पूजा भी वेटलिफ्टिंग करती थी, लेकिन जब पूनम 2012 में लोकल लेवल पर उन दोनों से अच्छा प्रदर्शन करने लगी तो दोनों बहनों ने खेल से दूरी बना ली। परिवार की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि छोटी बहन पूजा पत्ते बीनकर लाती थी तो घर का चूल्हा जल पाता था। आज भले ही पूनम के पास बेहतर ट्रैक सूट और जूते हों, लेकिन संघर्ष के दिनों में सर्दियों से बचने के लिए भी उनकी बड़ी बहन ने अपना ट्रैक सूट दे दिया था। यहीं नहीं जूते ना होने पर बड़ी बहन ने अपना जूता उताकर पूनम को दे दिया था, ये कहकर कि उनमें जूता छोटा हो रहा है। पूनम की दोनों बहनों के इसी संघर्ष के चलते पहले ग्लास्गो में ब्रांज में और फिर इंचियोन एशियाड में सिल्वर मेडल जीता और अब गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने सोना उठा लिया।विकास ने भी बजाया डंका

चौथे दिन वेटलिफ्टिंग में पूनम यादव के गोल्ड जीतने के बाद विकास ठाकुर ने पुरुषों के 94 केजी वेट कैटेगरी में एक और ब्रांज जीतकर यह साबित कर दिया कि अब इंडियन वेटलिफ्टर दुनिया भर में छाने के लिए तैयार हैं। विकास ठाकुर के स्नैच कैटेगरी में तीनों प्रयास कामयाब रहे। उन्होंने 152, 156 और 159 केजी भार उठाया, लेकिन क्लीन एंड जर्क में शुरुआती सफल प्रयास के बाद उनकी दूसरी कोशिश नाकाम रही। विकास ने क्लीन एंड जर्क में पहली बार में 190 केजी के भार को सफलतापूर्वक उठाया, लेकिन उनकी अगली 195 केजी की कोशिश नाकाम रही। हालांकि तीसरे प्रयास में उन्होंने वजन को फिर से 190 किया और यहां विकास बाजी मार गए। वेटलिफ्टिंग में पूनम और विकास से पहले मीराबाई चानू, संजीता चानू, सतीश कुमार शिवालिंगम और वेंकट राहुल ने गोल्ड जीता था।

Posted By: Mukul Kumar