- 180 केस साइबर ठगी के साइबर सेल में आए

- 152 केसेस का कर दिया गया निस्तारण

- 28 केस कंपनियों से जानकारी न होने से पेंडिंग

- 18.5 लाख रुपए अकाउंट से उड़ाए

- 14 लाख रुपए साइबर ठगों से कराए वापस

- बरेली में 13 तरह से लोगों से हुई है साइबर ठगी

- ठगों ने अकाउंट से साढ़े 18 लाख उड़ाए

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- बगैर चिप वाले पुराने एटीएम कार्ड के नम्बर से ठगी का प्रयास

- बगैर ओटीपी और मैसेज के कट रहे अकाउंट से रुपए पीडि़त ने की शिकायत

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केस:1

डीएक्टीवेट कार्ड से भी ठगी होने से बची

सिविल लांइस निवासी रोहित सिंह ने हाल में मैगनेटिक स्ट्रिप वाले डेबिट कार्ड को चिप वाले कार्ड से रिप्लेस करया था. पुराना कार्ड डीएक्टीवेट भी हो चुका था. वेडनेसडे को ठगों ने बैंक अफसर बनकर फोन कर कहा कि उनका डेबिट कार्ड ब्लॉक होने वाला है. और अगर वे इससे बचना चाहते हैं तो तो उन्हें अपने डेबिट कार्ड के डिटेल बताने होंगे. रोहित ने ठग के मजे लेने के लिए उसे डीएक्टीवेट हो चुके कार्ड मैगनेटिक स्ट्रिप वाले अपने कार्ड का नंबर बता दिया. फिर सीवीवी नंबर मांगा गया, जो रोहित ने गलत बता दिया. इसके कुछ सेकंड बाद ही उनके मोबाइल पर बैंक से मैसेज आया कि किसी ने उनके अकाउंट से 12 हजार रुपए निकालने की कोशिश की है. कुछ देर बात बैंक की सिक्योरिटी टीम ने रोहित सिंह को कॉल कर पूछताछ की और नए डेबिट कार्ड को ब्लॉक करने का मैसेज भेज दिया. रोहित सिंह को लगा था कि नया कार्ड इश्यू होने के बाद उनका पुराना कार्ड बंद हो चुका है. ऐसे में उन्हें यह मजाक भारी पड़ते-पड़ते बचा.

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केस:2

बगैर ओटीपी निकल गए डेढ़ लाख

सनराइज निवासी ओमपाल का निजी बैंक में अकाउंट है. वह डेबिट और क्रेडिट कार्ड दोनों ही यूज करते हैं. उनके डेबिट और क्रेडिट कार्ड से छह माह में करीब डेढ़ लाख की शॉपिंग कर ली गई. अकाउंट से पैसे डेबिट होने के मैसेज भी उन्हें नहीं आए. उन्होंने न तो किसी को अपने कार्ड के डिटेल बताई थी और न ही ओटीपी. जब उन्होंने पासबुक अपडेट कराई तो उन्हें इसकी जानकारी हुई. बैंक से शिकायत की तो उन्होंने उन्हें टरका दिया. अब उन्होंने मामले की तहरीर बारादरी थाने में देकर ठगी की रकम वापस कराने और कार्रवाई की मांग करते हुए तहरीर दी है. लेकिन पुलिस और बैंक से उन्हें कोई समाधान नहीं मिला. बैंक कर्मियों ने उनकी रकम वापस कराने से इनकार कर दिया.

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बरेली. साइबर ठगी के ये दोनों मामले चौंकाने वाले हैं. ठगों ने आपके अकाउंट में सेंध लगाने के लिए नए तरीके इजाद कर लिए हैं. ऐसे में यदि आपने ईमवी बेस्ड चिप कार्ड ले लिया है तो भी अपने पुराने मैगनेटिक स्ट्रिप वाले डेबिट और क्रेडिट कार्ड को संभाल कर रखिए या फिर उसे नष्ट कर दीजिए. नहीं तो आपकी लापरवाही से आपके साथ ठगी हो सकती है.

31 मार्च है डेड लाइन

दरअसल रिजर्व बैंक ने मैगनेटिक स्ट्रिप वाले डेबिट और क्रेडिट कार्ड को ईएमवी बेस्ड चिप कार्ड में बदलने के लिए 2018 में आदेश जारी किया था. इसके बाद सभी बैंकों ने अपने अकाउंट होल्डर्स को ईएमवी बेस्ड चिप जारी करने शुरू कर दिए. लेकिन कई कस्टमर्स को नए कार्ड जारी नहीं कर पाए. इसे देखते हुए रिजर्व बैंक ने मैगनेटिक स्ट्रिप वाले कार्ड को यूज करने की लिमिट बढ़ाकर 31 मार्च कर दी है.

बेकार समझ कर डिटेल न बताएं

साइबर एक्सप‌र्ट्स का कहना है कि अगर किसी के पास दोनों कार्ड हैं तो वे संभल कर रहें. बेकार समझकर पुराने कार्ड के डिटेल किसी को न बताएं. इन डेबिट और क्रेडिट कार्ड को या तो नष्ट कर दें या फिर अपने पास सुरक्षित रखे. फेंके नहीं.

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एक्सपर्ट की बात

कुछ बैंकों ने अपने अकाउंट होल्डर के लिए मैग्सि्ट्रप वाले डेबिट कार्ड को यूज करने की डेट बढ़ा दी है. जबकि कुछ बैंकों ने डेट में छूट नहीं दी है. ऐसे में कस्टमर्स कंफ्यूजन में है. कई कार्ड धारकों ने अपने मैग्सि्ट्रप वाले डेबिट कार्ड को यूज का न समझकर फेंक दिया है, लेकिन ये एक्टिवेट हैं तो ठगी हो सकती है. पुराना डेबिट और क्रेडिट कार्ड फेंके नहीं नष्ट कर दें.

ओमपाल बढ़ेरा, एलडीएम

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Posted By: Radhika Lala