JAMSHEDPUR: बिष्टुपुर थाने के साइबर थाने में हर दिन 10 से 15 केस रोज आ रहे है। साइबर क्राइम के ज्यादातर मामले एप के माध्यम से हो रहे है। मार्केट में आने वाली विभिन्न गेम और फाइंनेशियल एप के माध्यम से लोग ठगी का शिकार हो रहे हैं। आंकड़ों की मानें, तो ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग साइबर क्राइम के कम ही शिकार होते है।

इन एप से हो रहा साइबर क्राइम
गूगल आक्ट्रा-
यह एक गेम बनाने वाली एप है, जिसके माध्यम से गेम खेलते रहने पर तीन से चार स्टेप के बाद एप आगे खेलने के लिए आपके से चार्ज करने की विंडो खोलता है। एक स्टेप के लिए पांच से 10 रुपये पे करने के चलते अधिकांश लोग यह सोचकर एकांउट नंबर डाल देते है कि पांच से 10 रुपये ही कटेगा। प्रारंभ में इस एप के माध्यम से पांच से दस रुपये डिटेक्ट कर लिए जाते है। पांच से 10 रुपये कटने पर ग्राहक इसे बैंक चार्ज समझकर अनदेखी करते है। लेकिन धीरे-धीरे ये रकम हजारों में पहुंच जाती है।

रिमोट टैब-
यह एक एप है जिसके माध्यम से किसी भी पर्सन का मोबाइल दूसरे मोबाइल के माध्यम से ऑपरेट किया जा सकता है। इस एप के माध्यम से ही हैकर मोबाइल में आने वाले डाटा, मैसेज के माध्यम से आपका डाटा प्राप्त कर लेते है। इस एप के माध्यम से आपके मोबाइल में आने वाले मैसेज और ईमेल हैकर के मोबाइल पर भी आ जाते है जिससे उसे एकांउट हैक करने में कोई दिक्कत नहीं होती है। एनीडेस्क- इस एप के माध्यम से आपसे मिलने वाले आपके दोस्त या रिस्तेदार अपने फोन से लॉगइन कर आपके मोबाइल पर आने वाले पासवर्ड को पूछ लेते है। जिससे आपके मोबाइल के माध्यम से ही हैकि ग की जाती है। लॉगइन पासवर्ड होने के चलते वह आपके एकाउंट से लाखों की हेराफेरी कर लेते है।

ओएलएक्स-
आधुनिक युग में पुरानी चीजों को बेंचने के लिए बने ओएलएक्स एप के माध्यम से हैकर साइबर क्राइम करते हैं। आएलएक्स में समान की फेक कीमत और सस्ती रेट दिखाकर हैकर पैसे ऐंथ लेते है। आईडी बनाने में किसी तरह के डाक्यूमेंट बेरीफाई न होने के चलते किसी तरह की पकड़ नहीं हो पाती है।

लोकेंटो एप-
यह एक अमेरिकी एप है। इसका प्रयोग पहले ओएलएक्स की तरह ही किया जाता था। इस एप पर सबसे ज्यादा मामले सोसल साइट्स के होते है। जहां पर किसी भी महिला पुरुष को बदनाम करने के लिए उसके बारे में गलत पोस्ट डाले जाते है। इस एप का शिकार शहर की महिलाएं हो चुकी है।

बढ़े साइबर क्राइम के मामले

-पांच वर्षो में साइबर के 198 मामले जिनमें से 70 प्रतिशत मामले एटीएम से ठगी के है।

2013 में साइबर क्राइम के दर्ज हुए थे दो मामले

2016 में साइबर क्राइम की संख्या 112 हो गई

2017 में ही दर्ज हुए साइबर क्राइम के 166 मामले

2018 में अब तक साइबर क्राइम के 176 केस

साइबर ठगी के मामले

गूगल आक्ट्रा के माध्यम से मानगो के आजाद नगर रोड नं 14 निवासी ए आर रहमान के एकांउट से पांच दिनों में 74 हजार रुपये कट निकाले गए थे। पीडि़त ने बताया कि प्रारंभ में एक से पांच और 10 रुपये कटने पर ध्यान नहीं दिया लेकिन पांच दिनों में 74 हजार रुपये कटने पर रिपोर्ट की जिसके बाद डिटेक्शन बंद हुआ।

7 अगस्त 2018 : जामताड़ा निवासी स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट के जूनियर इंजीनियर उज्ज्वल कुमार दास को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पूछताछ में जूनियर इंजीनियर ने बताया कि एक माह में उसके पास लगभग 90 हजार रुपये आते थे। गिरफ्तारी के एक दिन पहले ही उसने डिमना रोड स्थित आईलेक्स से 25 हजार रुपये की खरीदारी की थी।

13 सिंतबर 2018 : बिष्टपुर स्थित पेकको मोटर्स का जॉली चेक हैकरों ने एसबीआई मेन शाखा से आठ लाख रुपये कैश कराकर भाग निकले थे। पेमेंट करने के बाद जांच में पता चला था कि चेक जॉली है।

 

जिले में ज्यादातर साइबर क्राइम के मामले लापरवाही और अपनी सूचनाएं शेयर करने के चलते होते है। लोगों में जागरुकता बढ़ी है लेकिन हैकर अब पुराने माध्यम को छोड़कर नये-नये माध्यमों से घटनाओं को अंजाम दे रहे है। विभाग के पास टेक्नोलॉजी का अभाव है जल्द ही साइबर के केस साल्व किए जाएंगे।

-जयश्री कुजूर, डीएसपी, साइबर सेल, जमशेदपुर

Posted By: Inextlive