बड़ा खुलासा : बैंक के सारे दावे फेल, चिप वाले एटीएम कार्ड का भी बन जा रहा क्लोन

 

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PATNA : साइबर फ्रॉड और क्लोनिंग की समस्या से ग्राहकों को निजात देने के देश भर के तमाम बैंकों ने मैगनेटिक एटीएम कार्ड को बंद कर ईएमवी चिप वाले डेबिट कार्ड जारी किए जा रहे हैं। इसके बाद भी क्लोनिंग की घटनाएं नहीं रूक रही है और लोगों के खाते से रुपए उड़ा लिए जा रहे हैं। इसकी शिकायत लगातार पटना के साइबर सेल में पहुंच रही है। हैरत की बात ये है कि लोगों के पास एटीएम है और उनके खाते से रुपया निकल जा रहा है। इस कारण लोगों की परेशानी बढ़ गई है। हालांकि ये ठगी कैसे और किस स्तर पर हो रही है साइबर पुलिस पुलिस मामले में पड़ताल कर रही है। पड़ताल के बाद ही पता चल पाएगा कि हैकर अब कौन सा तरीका उपयोग कर रहे हैं।

मैगनेटिक स्ट्राइप और चिप कार्ड में क्या है अंतर

मैग्नेटिक स्ट्राइप कार्ड से ट्रांजेक्शन के लिए कार्ड होल्डर के सिग्नेचर या पिन की जरूरत होती है। इस पर आपके अकांउट की डिटेल्स मौजूद होती है। इसी स्ट्राइप की मदद से कार्ड स्वाइप के वक्त मशीन आपके बैंक इंटरफेस से जुड़ती है प्रोसेस आगे बढ़ती है। वहीं, चिप वाले कार्ड में सारी इनफॉरमेशन चिप में मौजूद रहती है। इनमें भी मैग्नेटिक स्ट्राइप कार्ड की तरह ही ट्रांजेक्शन के लिए पिन या सिग्नेचर जरूरी होते हैं। लेकिन ईएमवी चिप कार्ड में ट्रांजेक्शन के वक्त यूजर को ऑथेंटिकेट करने के लिए एक यूनीक ट्रांजेक्शन कोड जनरेट होता है, जो वेरिफिकेशन को सपोर्ट करता है। ऐसा बिना चिप वाले कार्ड में नहीं होता।

 

चिप कार्ड को लेकर ये हैं दावे

चिप वाले एटीएम जारी करते हुए सभी बैंकों ने दावा किया था कि चिप वाले कार्ड, मैग्नेटिक स्ट्राइप वाले कार्ड से ज्यादा बेहतर सिक्योरिटी उपलब्ध कराते हैं। चिप वाले कार्ड में हर ट्रांजेक्शन के लिए एक इनक्रिप्टेड कोड क्रिएट होता है। इस कोड में सेंध लगाना बहुत ही मुश्किल है। इसलिए ये कार्ड ज्यादा सेफ हैं। वहीं दूसरी ओर केवल मैग्नेटिक स्ट्राइप वाले कार्ड से डाटा कॉपी करना मुश्किल काम नहीं है। अगर कोई स्ट्राइप पर मौजूद डाटा को कॉपी कर ले तो फिर उससे नकली कार्ड बनाना काफी आसान है।

 

केस-1

आर्मी जवान के साथ 2.5 लाख की ठगी

सिवान जिले के रहने वाले मुकेश आर्मी में जवान हैं। उनका खाता एसबीआई में है। उन्हें एक दिन मैसेज आया कि उनके खाते से 2.5 लाख रुपए डेबिट हो गया। बाद में जब उन्होंने पता किया तो उनके कार्ड से मुंबई से रुपया निकाला गया है। इसके बाद उन्होंने पटना साइबर सेल में शिकायत की है।

 

केस-2

शिक्षिका के खाते से निकाला 1.5 लाख

गया की उर्मिला देवी एक स्कूल में शिक्षिका हैं। उनका खाता भी एसबीआई बैंक में है। चिप लगा हुआ कार्ड उन्हें मिला था। इसके बाद अचानक एक दिन 1.5 लाख रुपए डेबिट का मैसेज आया। मैसेज देख उनके होश उड़ गए। पहले तो उन्होंने अपने बैंक में संपर्क किया लेकिन वहां से कुछ पता नहीं चला। बाद में वो पटना के साइबर सेल में थाने में आकर शिकायत की।

 

केस-3

मैसेज देख छात्र के उड़े होश

रामकृष्णा नगर निवासी कमल उपध्याय ग्रेजुएशन कर रहे हैं। इनका भी एसबीआई में खाता है। उन्होंने बताया कि मेरा भी चिप लगा कार्ड आया। इसके बाद मैं खाते से रुपया निकालता रहा। अचानक एक दिन खाते से 10 हजार रुपए कटने का मैसेज आया। इसके बाद जब मैंने पता किया तो बैंक से कोई सकरात्मक जानकारी नहीं दी गई।


पहले ऐसे होती थी क्लोनिंग

साइबर ठग पहले एटीएम कार्ड एंट्री माउथ पर स्कीमर लगा देते थे। इसके बाद जब कोई कार्ड अंदर डालता तो उसका सारा डेटा उस स्कीमर में रिकॉर्ड हो जाता था। इसके बाद वो लोग ब्लैंक एटीएम कार्ड में डाटा ट्रांसफर कर देते थे। वहीं पासवर्ड के लिए की-बोर्ड पर एक मैट लगा देते या ऊपर कैमरा। इसी दोनों माध्यम से पासवर्ड चुराकर आसानी से लोगों के खाते से रुपया उड़ा लेते थे।

Posted By: Inextlive