अमरीकी अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि अमरीकी रक्षा मुख्यालय पर एक बड़ा साइबर हमला हुआ है और विदेशी हैकर उसकी हज़ारों फ़ाइलों से जानकारियों चुरा ले गए हैं.

रक्षा उपमंत्री विलियम लाइन ने कहा है कि मार्च में और दूसरे और साइबर हमलों में हैकरों ने 'बहुत संवेदनशील व्यवस्थाओं के बारे में' जानकारियाँ चुरा ली हैं। पेंटागन की ये स्वीकारोक्ति ऐसे समय में आई है जब पेंटागन ने नई साइबर नीति की घोषणा की है। यह नीति साइबर हमलों के ख़तरों को कम करने की दृष्टि से बनाई गई है।

नई रणनीति के अनुसार अब साइबर स्पेस को जल, थल और वायु की तरह ही देखा जाएगा। विलियम लाइन के अनुसार, "21वीं सदी में बिट्स और बाइट्स उतने ही घातक हो सकते हैं जिस तरह से गोलियाँ और बम होते हैं."

24 हज़ार फ़ाइलें चोरी

नेशनल डिफ़ेंस यूनिवर्सिटी में अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि मार्च के महीने में रक्षा विभाग के कंप्यूटर नेटवर्क पर हुए साइबर हमले में पेंटागन की लगभग 24 हज़ार फ़ाइलों से जानकारियाँ चुरा ली गईं। उन्होंने इसे अमरीकी इतिहास का सबसे बड़ा साइबर हमला भी बताया। उन्होंने कहा कि इससे पहले वर्ष 2008 में पेंटागन के क्लासिफ़ाइड कंप्यूटर सिस्टम पर जो साइबर हमला हुआ था वह एक विदेशी ख़ुफ़िया एजेंसी की ओर से किया गया था।

अपने इस भाषण से पहले एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि मार्च में हुआ साइबर हमला किसी विदेशी सरकार की ओर से किया गया है। इससे पहले हुए हमलों के लिए चीन या रूस को दोषी ठहराया गया था।

समाचार एजेंसी एपी से विलियम लाइन ने कहा, "हमें इस बात का ठीक ठीक अंदाज़ा है कि ये किसने किया है." अपने भाषण के दौरान उन्होंने कहा, "जो जानकारियाँ चुराई गईं है उनमें से कुछ तो एकदम आम जानकारियाँ हैं, मसलन टैंकों, विमानों और पनडुब्बियों के छोटे पुर्जों की जानकारियाँ."

उन्होंने कहा, "लेकिन हमारी चिंता संवेदनशील तंत्रों के बारे में जानकारियों को लेकर है, जिसमें वैमानिकी, निगरानी की तकनीकें, सैटेलाइट संचार व्यवस्था और नेटवर्क की सुरक्षा शामिल हैं."

उन्होंने कहा कि इस तरह के साइबर हमलों से न केवल जानकारियाँ चोरी होती हैं बल्कि इससे अमरीका की रक्षा व्यवस्था को भी नुक़सान हो सकता है और इससे लोगों की जानें भी जा सकती हैं।

रक्षा उपमंत्री लाइन के अनुसार साइबर हमलावरों ने इससे पहले अमरीका के मिसाइल ट्रैकिंग सिस्टम और ज्वाइंट स्ट्राइक फ़ाइटर के बारे में जानकारियाँ चुराने की कोशिश की थी।

हालांकि इससे पहले के साइबर हमलों के लिए अमरीका ने चीन और रूस जैसे देशों को दोषी ठहराया था लेकिन उसकी चिंता ये है कि कहीं चरमपंथी अमरीकी कंप्यूटर नेटवर्क पर हमला करके जानकारियों की चोरी न कर लें।

 

Posted By: Inextlive