स्टेटस भी मेनटेन कर रही है साइकिल
- सिटी के यूथ में बढ़ रही है स्पोर्ट्स साइकिलों की दीवानगी
- 7 हजार से एक लाख तक की साइकिलें मार्केट में अवेलबल KANPUR। साइकिल चलाने में अब रैपो डाउन होने जैसी कोई बात नहीं रह गई है। बल्कि साइकिल चलाने से अब आपका स्टेटस सिंबल मेनटेन होगा। साथ ही सस्ता भी पड़ेगा। शहर में स्पोर्टस साइकिलों का क्रेज इतना बढ़ चुका है कि ये लोगों के लिए यूटिलिटी ही नहीं। बल्कि शो-ऑफ करने की चीज भी बन चुकी है। सिटी के लोगों के मुताबिक क्0 से फ्0 हजार की रेंज वाली ये साइकिलें भ्0 से म्0 हजार की रेंज वाली बाइकों से कहीं ज्यादा स्टेटस गेन कराती हैं। सिटी के यूथ की बदलती हुई सोच का असर शहर की साइकिल दुकानों पर देखा जा सकता है। सिटी के इस बदलते साइक्लिंग ट्रेंड पर पेश है आईनेक्स्ट की रिपोर्ट। ये है शान की सवारीमार्केट में 7 हजार से लेकर क् लाख रुपए तक की स्पोर्ट्स साइकिल उपलब्ध हैं। लेकिन 7 हजार से फ्0 हजार की रेंज में आने वाली साइकिलें ज्यादा पसंद की जा रही है। इससे ऊपर की साइकिल स्पेशल डिमांड पर भी मंगाई जाती है। यंगस्टर इन साइकिलों की ओर ज्यादा खिंच रहा है। साइकिल कारोबारी राकेश कुमार शाही बताते हैं कि इन्हीं साइकिलों की मांग सबसे ज्यादा बढ़ रही है। स्टेटस सिंबल मेनटेन करने के चक्कर में युवा इन साइकिलों की ओर तेजी से खिंच रहे हैं।
माउंटेन साइकिल की बिक्री ज्यादा स्पोर्ट्स साइकिले दो तरह की होती हैं। माउंटेन साइकिल व हाइब्रिड साइकिल। साइकिल कंपनियों ने माउंटेन साइकिलें पहाड़ी इलाकों व ग्रामीण ऊबड़-खाबड़ इलाकों को ध्यान में रखकर बनाई है। इन साइकिलों की बनावट ऐसी होती है कि ये ऊबड़-खाबड़ व पथरीले रास्तों पर चल सकें। वहीं हाइब्रिड साइकिलें शहरी इलाकों में चलने के हिसाब से बनाई गई हैं। लेकिन कानपुर शहर की खस्ताहाल सड़कों व रश ने यहां पर माउंटेन साइकिलों को लोगों की पसंद बना दिया। जबकि शहरों के लिए बनी हाइब्रिड साइकिलें कम ही बिकती हैं। स्पीड के हिसाब से बदलते हैं गियररोड स्टार साइकिलें व स्पोर्ट्स साइकिलों में जमीन व आसमान का अंतर है। स्पोर्ट्स साइकिलों के शौकीन राजन कुमार बताते हैं कि साइकिलों की ब्रेकिंग स्ट्रांग होती है। स्मूथ शॉकर से सड़क पर झटके पता ही नहीं चलते। स्पीड के हिसाब से गियर बदलते हैं। एल्मुनियम बॉडी की वजह से इन साइकिलों का वेट काफी कम होता है। स्पोर्ट्स साइकिलें अधिक से अधिक क्भ् किलो तक होती हैं। जबकि रोड साइकिलें फ्0 किलो तक होती हैं। वहीं स्पोर्ट्स साइकिले लो मेंटीनेंस की होती हैं। साइकिल कारोबारी बताते हैं कि अब धीरे-धीरे रोड स्टार साइकिलों की मांग खत्म होती जा रही है।
स्पोर्ट्स साइकिल की खासियत - स्ट्रांग ब्रेकिंग - स्मूथ शॉकर - गियर(ख्क् स्पीड) - कम वेट - लो मेंटीनेंस फोल्ड करके बैग में रखिए, कहीं भी ले जाइए अब लैपटाप की तरह कहीं भी साइकिल लेकर जाया जा सकता है। मार्केट में फोल्ड होने वाली साइकिलें भी आ गई हैं। इन साइकिलों को फोल्ड करके एक बैग में रखकर ले जाया जा सकता है। जहां कहीं भी मन करे, साइकिल ले जाइए। हालांकि अभी कानपुर में ऐसी साइकिले नहीं हैं लेकिन दिल्ली में ऐसी साइकिलें खूब देखी जा सकती है। कानपुर में इन साइकिलों के चहेते इन्हें बाहर से मंगा रहे हैं। डिसब्रेक ने साइकिलों में बैठाए जॉन अब साइकिलों में भी बाइकर्स डिसब्रेक का मजा ले सकते हैं। साइकिलों में भी डिसब्रेक आ गए हैं। जिसने धीरे-धीरे साइकिलों को भी धूम में बदल दिया है। साइकिल व्यापारी बताते हैं कि डिसब्रेक ने बाइकर्स को जान अब्राहम में बदल दिया है। हाल में कुछ साइकिलों में ये सिस्टम आया है। ---साइकिल यूथ के लिए स्टेटस सिंबल बनी हुई है। यूथ साइकिल चलाने में संकोच नहीं महसूस करते बल्कि इसे स्टेटस सिंबल से जोड़कर देखते हैं।
- राकेश शाही, साइकिल कारोबारी पिछले कुछ वर्षो में स्पोर्ट्स साइकिलों की सेल बढ़ती ही जा रही है। कारण है कि यूथ इसे खूब पसंद करता है और स्टेटस से जोड़कर देखता है। - सनी, अग्या ट्रेडिंग कंपनी स्पोर्ट्स साइकिलों को यूथ व रिच फैमिली के लोग खूब पसंद करते हैं। - इंद्रपाल, साइकिल कारोबारी अपनी बाइक छोड़कर स्पोर्ट साइकिल ली है। इसे देख एक अलग ही फीलिंग नजर आती है। - देवाशीष दीक्षित, स्टूडेंट साइकलिंग का भी अपना मजा है। पहले बाइक से चलता था कोई ध्यान नहीं देता था। अब दोस्त साइकिल की काफी तारीफ करते हैं। - कौस्तुभ, स्टूडेंट मार्निग वॉक पर जाते समय मैं स्पोर्ट्स साइकिल का इस्तेमाल करता हूं। अब मुझे साइकलिंग ही अच्छी लगती है। - रवीश मिश्रा, एडवोकेट पहले कोचिंग में बाइक से जाता था। अब स्पोर्ट्स साइकिल से जाता हूं। स्टेटस सिंबल का सवाल है यार। - राम पाण्डेय, बीटेक स्टूडेंट