- साइकिलिंग करके 64 साल की उम्र में भी युवाओं की तरह फिट हैं छोटेभाई नरोना

- साथियों संग मिलकर 'कानपुर नागरिक मंच' बनाया, साइकिलिंग के लिए करते हैं मोटीवेट

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KANPUR : साइकिलिंग करने से इंसान ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। उदाहरण के लिए जब आप एक रिक्शेवाले के बगल में साइकिल चलाते हैं तो आपको महसूस होता है कि एक पैडल मारने में कितना श्रम लगता है। इसके बाद आप कार में बैठेंगे और आगे कोई रिक्शा वाला आ जाएगा तो आप हॉर्न नहीं बजाएंगे। ऐसे कई छोटी-छोटी बातें-संवेदनाएं हैं जो आपको तेज रफ्तार गाडि़यों में बैठकर आते-जाते नहीं दिखती। ये सोच है कि शहर के प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखने वाले छोटेभाई नरोना की। म्ब् साल की उम्र में नरौना न सिर्फ एकदम फिट हैं। बल्कि, राजाना साइकलिंग कर स्वस्थ्य रहने के लिए शहरवासियों को मोटीवेट भी कर रहे हैं।

पोप फ्रांसिस की अपील पर

छोटे भाई कहते हैं कि सोच हेल्दी तभी होगी जब इंसान फिजिकली फिट रहेगा। और फिटनेस के लिए साइकलिंग से बेहतर कुछ भी नहीं। लग्जरी गाडि़यों से चलने वाले शख्स को आखिर साइकिलिंग का शौक कब और कैसे जागा.? जवाब में छोटेभाई बोले कि हमारे धर्म गुरु पोप फ्रांसिस की अपील पर, जिसमें सभी लोगों से साइकिलिंग करने, ईंधन बचाने और स्वस्थ्य रहने का संदेश था। पोप की अपील पर मैंने अखबारों में लेख भी लिखा। बाद में मैंने सोचा कि जब मैं खुद ही साइकिल नहीं चलाता तो दूसरों को भला कैसे मोटीवेट कर सकता हूं। उस दिन मैंने ठाना कि अब साइकिल से ही चलूंगा। मार्केट जाकर सबसे पहले साइकिल खरीदी।

रिटायर हूं तो क्या

म्0 साल की उम्र में सरकार रिटायर कर देती है पर साइकिलिंग ने मुझे जिंदगी को री-ट्राई करने का मौका दिया है। यह कहना है रोजाना 7-8 किमी साइकिलिंग करने वाले छोटेभाई का। उन्होंने बताया कि साइकिलिंग करने से इंसान ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। उदाहरण के लिए जब आप एक रिक्शेवाले के बगल में साइकिल चलाते हैं तो आपको महसूस होता है कि एक पैडल मारने में कितना श्रम लगता है। इसके बाद अगर मैं कार में बैठूंगा और मेरे आगे कोई रिक्शा वाला आ जाएगा तो मैं कभी हॉर्न नहीं जाऊंगा। ऐसे कई छोटी-छोटी बातें-संवेदनाएं हैं जो आपको तेज रफ्तार गाडि़यों में बैठकर आते-जाते नहीं दिखती।

साइकिल पर फिटनेस मंत्रा

साइकिल चलाओ, ईंधन बचाओ, सेहत बनाओ यानि साइकिल चलाने से इंसान तो फिट रहता ही है, वातावरण में पॉल्युशन भी नहीं होता। छोटेभाई की साइकिल पर हेल्थ और पॉल्युशन का यह फिटनेस मंत्रा उनकी पहचान बन चुकी है। साइकिलिंग के प्रति सबको मोटीवेट करने के लिए उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर 'कानपुर नागरिक मंच' की स्थापना भी की है। पिछले कुछ सालों में मंच के तत्वावधान में साइकिल रैलियां भी आयोजित की जा चुकी हैं। जिसमें शहरवासियों समेत स्कूली बच्चों, एनसीसी कैडेट्स समेत समाजसेवी संस्थाओं ने हिस्सा लिया है।

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सोचा नहीं था साइकिलिंग करूंगा

छोटेभाई नरोना ने भले ही कुछ साल पहले साइकिलिंग की शुरुआत की हो, लेकिन साइकिलिंग उनकी नियति बनना कई साल पहले ही तय हो गई थी। दरअसल, सन-क्99ब् में दो फॉरनर ग‌र्ल्स इंडोनेशिया से नीदरलैंड व क्997 में दो यूरोपियन चाइना से यूरोप साइकिल से जाते वक्त उनके घर पर ही रुके थे। छोटेभाई ने बताया कि क्997 में जब यूरोपियन ब्वॉयज उनके घर पहुंचे, उस दिन ख्भ् दिसंबर क्रिसमस था। उस रात नरोना परिवार का पूरा घर झालरों से सजा था। दोनों यूरोपियन ने उसे चर्च समझकर दरवाजा खटखटाकर नाइट हॉल्ट की रिक्वेस्ट की। तब उन्होंने दोनों को स्टे और डिनर करवाया। तब फॉरनर्स का साइकिलिंग जुनून देखकर वो और उनका परिवार काफी हैरान हुआ। पर कभी सोचा नहीं था कि आगे चलकर साइकिलिंग मेरा भी जुनून बन जाएगी।

Posted By: Inextlive