'भाषणबाजी नहीं काम की बात करने वाले को ही देंगे अपना वोटÓ


- वृंदावन लॉन यशोदानगर में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाज्ड Óमिलेनियल्स स्पीकÓ यूथ ने दमदार तरीके से शेयर किए अपने चुनावी मुद्दे- महंगाई, अनइम्प्लाइमेंट, शिक्षा के स्तर, पुलिस की अराजकता से लेकर भयावह होती जा रही पॉपुलेशन पर यूथ के मन में है बहुत कुछ kanpur@inext.co.in


KANPUR : कंट्री में तेजी से बढ़ रही यूथ की पॉपुलेशन का हर फील्ड में अहम योगदान देश की राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोकसभा चुनाव नजदीक है और यूथ की निगाह भी इस ओर काफी गंभीरता से देखने को मिल रही है। ऐसे में उन यूथ के मन में क्या है, यह जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट उन्हें 'मिलेनियल्स स्पीकÓ के मंच पर लाया है। इस मंच में 18 से 38 साल की ऐज ग्रुप के यूथ अपने चुनावी मुद्दे को हमारे साथ शेयर कर रहे हैं, युवाओं ने जोश और उत्साह के साथ अपने कड़क मुद्दों को रखा। थर्सडे को 'मिलेनियल्स स्पीकÓ साउथ सिटी के यशोदानगर चौराहा के पास वृंदावन लॉन में ऑर्गनाइज किया गया। यहां अक्सर राजनीति के कई मुद्दों पर यूथ चर्चा करते हुए आपको मिल जाएंगे। तो फिर चलिए हमारे साथ लाइव मिलेनियल्स स्पीक में।।।जहां रेडियो सिटी के आरजे राघव ने युवाओं को उनकी ताकत का अहसास अपने अंदाज में कराया।पॉपुलेशन कंट्रोल होना बहुत जरूरीदोपहर करीब एक बजे चाय की चुस्की के बीच 'मिलेनियल्स स्पीकÓ का शुरू हुआ। कुछ यूथ गवर्नमेंट के कामों से सेटिस्फाइड दिखे तो कुछ की कई कम्प्लेंस भी सामने आईं। अभी हम यूथ को इस 'मिलेनियल्स स्पीकÓ के मेन प्वाइंट्स के बारे में बताना शुरू ही किया था कि अचानक विकास अवस्थी खड़े हो गए और बोले कि 'अगर गवर्नमेंट की किसी योजना का लाभ सभी को चाहिए तो इसके लिए सबसे पहले पॉपुलेशन को कंट्रोल करना होगा। उनकी इस बात से सहमत हुए नीरज गुप्ता ने भी कहा पॉपुलेशन कंट्रोल तो करनी ही पड़ेगी। कहा अगर गवर्नमेंट इस ओर गंभीर हो जाए तो हर व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का फायदा मिल सकता है। उनका वोट तो ऐसी ही सोंच रखने वाली पार्टी को जाएगा। तभी संदीप सिंह बोल पड़े कि कि देश में आरक्षण की कोई जरूरत नहीं है।जो काबिल है वो अपने आप ही आगे निकल जाएगा। शिक्षा क्षेत्र में तो आरक्षण को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहिए।रोजगार पर गंभीर हो गवर्नमेंट

बहस में गर्मी आ चुकी थी, इसी बीच अमित यादव ने बोलने का मौका मांगा और कहा कि युवा ऐसी पार्टी को चुनेंगे जो रोजगार की बात करेगी। गवर्नमेंट नौकरियां निकालती हैं, पार्टिसिपेन्ट पैसे खर्च कर फार्म भरते हैं। टेस्ट देने सेंटर पर भी जाते हैं और अंत में परीक्षा ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। यह तभी रुकेगा, जब गवर्नमेंट अनइम्प्लॉयमेंट के मुद्दे को गंभीरता से लेकर भ्रष्टचार में लिप्त अफसरों व कर्मचारियों को जेल भेजा जाए। उनकी इस बात पर शिवकुमार बाल्मीकि, सनी यादव, बंटी यादव ने उनके साथ हां में हां मिलाई। पुलिस की गुंडई पर हो अंकुशराजन सक्सेना, अजीत बाजपेई, विपिन शर्मा भी चर्चा में शामिल हुए और पुलिस उत्पीडऩ पर बोलने लगे। कहा कि जो पुलिस की गुंडई को खत्म करने की बात करेगा यूथ का वोट उसी को जाएगा। कहा थाना स्तर पर गवर्नमेंट की ओर से ऐसी व्यवस्था हो कि सच का साथ न देने पर उन्हें खुद पर कार्रवाई का डर हो। इसके अलावा कहाकि एजूकेशन में भी सुधार की बहुत जरूरत है। गर्वमेंट टीचर्स को खूब सैलरी दी जाती है, लेकिन काम के नाम पर महिला टीचर्स सर्दियों में स्वेटर बुनती दिख जाएंगी। महंगाई पर कंट्रोल की हो बात

बात करते वक्त यूथ में कभी जोश तो कभी गुस्सा भी देखने को मिला। अपनी बात रखने के लिए एक दूसरे से 'वाक युद्धÓ करते यूथ को शांत करने के लिए हमने 5 मिनट का वाटर ब्रेक लिया। लेकिन, इस बीच भी वे आपस में चुनावी मुद्दो को लेकर बहस करते ही रहे। ब्रेक खत्म होते ही मोहित दीक्षित, मुकेश सिंह, बंटी यादव ने कहा कि भइया एक बात जान लो, महंगाई इस बार का चुनावी मुद्दा होगी। महंगाई को कम करने की बात करने वाले को ही उनका वोट जाएगा।कड़क मुद्दापॉपुलेशन को मुख्य मुद्दा बनाने वाली पार्टी की सरकार बनने के बाद उसे ऐसा कानून लाना चाहिए, जिससे एक या दो बच्चों के बाद कोई तीसरे बच्चे के बारे में सोच भी न सके। तय किए गए समय के बाद अगर दो से ज्यादा बच्चे होते हैं तो ऐसी फैमली के लिए गवर्नमेंट की सारी सेवाओं पर रोक लगा देनी चाहिए। इससे पॉपुलेशन अपने आप कंट्रोल होने लगेगी।मेरी बात-पॉलटिक्स में भी रिटायरमेंट तय होना चाहिए। जिससे यूथ को पॉलटिक्स का मौका मिल सके। यूथ के फायदों की बात करने वाली पार्टी को ही उनका वोट जाएगा। चुनाव के वक्त झूठे वादे करने वालों को सबक सिखाने का समय है। कंट्री में टोटल वोटर्स का 50 परसेंट से अधिक का वोटर यूथ है, जो अपना फैसला वोट से करेगा।
मिलेनियल्स वर्जन-- सरकार किसी की भी हो, लेकिन उसे जनता के हित में फैसले लेने चाहिए। अगर बात नोट बंदी की ही करें तो इस फैसले के बाद न जाने कितनों की नौकरियां चली गईं। उनका परिवार भुखमरी की हालात पर आ गया- युवाओं को नेताओं के भाषण नहीं चाहिए। नौकरी चाहिए, जिससे वो अपने परिवार का पेट भर सकें। यह बात सच है कि कुटीर उद्योग बढ़े हैं। लेकिन, सिर्फ यही करना होगा तो फिर युवा शिक्षा क्यों ग्रहण करेगा। - स्कूल अगर सरकारी हो तो भी वहां कानवेंट स्कूलों की तर्ज पर शिक्षा मिलनी चाहिए। गवर्नमेंट करोड़ों रुपए इन स्कूलों और टीचर्स पर खर्च करती है तो फिर हम प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को क्यों भेजते हैं।- भ्रष्टाचार का मुद्दा हर सरकार में उठाया जाता है। लेकिन, खत्म कोई सरकार नहीं कर पाती है। निचले स्तर से होने वाले भ्रष्टाचार तक गवर्नमेंट पहुंच ही नहीं पाती है। इसके लिए कुछ सोचने की बहुत जरूरत है।- पॉपुलेशन कम होगी तो लोगों को रोजगार भी मिलेंगे। वैकेंसी से कहीं ज्यादा काम करने वाले होते हैं। इनमें से जो काबिल होते हैं, उनको जॉब मिल जाती है और जो रह जाते हैं, वो अनइम्प्लॉयमेंट का बात करते हैं।- पालीटिशियन्स युवाओं को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं। राजनीति में भी ऐज रिस्ट्रिक्शन होनी चाहिए। 65 से 70 साल की ऐज वालों को राजनीति से सन्यास ले लेना चाहिए, जिससे युवा आगे बढ़ सके।- चुनाव नजदीक आते ही नेता लुभावने वादे करने हमारे घर आ जाते हैं। लेकिन, यह हमें ही समझने की जरूरत है कि वोट किसको देना है। हमें ऐसे व्यक्ति को वोट देना चाहिए, जो हमारे मतलब के मुद्दे की बात करे।- शिक्षा के लिए लोग बाहर जा रहे हैं। जो व्यवस्थाएं स्टूडेंट्स को बाहर मिल रही हैं, वो कानपुर में क्यों नहीं मिल सकती है। शिक्षा के स्तर को सुधारने की बात करने वाली पॉलिटिकल पार्टी को यूथ का वोट जाएगा।- हमारे चुनावी मुद्दे बेहद साफ हैं। हमें साफ सुथरी छवि वाली गवर्नमेंट चाहिए। ऐसी गवर्नमेंट जो यूथ को उनका हक दिला सके और भ्रष्टाचार को दूर कर सके। हमारे मुद्दों की बात करने वालों को ही हमारा वोट जाएगा।

Posted By: Inextlive