क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : समुद्र तल से करीब 2140 मीटर की ऊंचाई पर रांची हिल की चोटी पर स्थित पहाड़ी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. पहले इस हिल को फांसी टुंगरी नाम से जाना जाता था, क्योंकि स्वतंत्रता सेनानियों को यहां पर फांसी दी जाती थी. पहाड़ी मंदिर कैंपस स्थित 200 साल पुराना यह बरगद का पेड़ न जाने आजादी के कितने दीवानों की शहादत का गवाह है. उनके बलिदान को याद करने के लिए यहा स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराया जाता है. मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको सीढि़यों पर 300 कदम का सफर करना होगा. ऐसी मान्यता है कि मंदिर में भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. बरगद के पेड़ के आसपास विभिन्न तरह के पेड़ लगे हुए हैं, लेकिन उनके बीच खड़ा यह बरगद आज भी आजादी के मतवालों की याद छुपाए अटल खड़ा है.

मंदिर पर था अंग्रेजों का कब्जा

पहाड़ी मंदिर की कहानी बेहद ही रोचक है. पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का यह मंदिर देश की आजादी के पहले अंग्रेजों के कब्जें में था. यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां स्वतंत्रता दिवस के दिन तिरंगा फहराया जाता है. भारत को दुनिया में मंदिरों का देश कहा जाता है. इनमें कुछ मंदिर अपनी खास वास्तुकला, मान्यता और पूजा के नियमों में अलग ही मायने रखते हैं. पहाड़ी मंदिर में उन्हीं शहीदों को याद कर भगवान की भक्ति और धार्मिक झंडे के साथ राष्ट्रीय झंडे को भी फहराया जाता है.

रांची रेलवे स्टेशन से 7 किमी दूर है मंदिर

रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर दूर स्थित भगवान शिव के इस मंदिर में सावन मास में करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. पहाड़ी बाबा मंदिर का पुराना नाम टिरीबुरू था, जो आगे चलकर ब्रिटिश के समय में फांसी गरीब में बदल गया, क्योंकि अंग्रेजों के राज में यहा फ्रीडम फाइटर्स को फांसी पर लटकाया जाता था.

Posted By: Prabhat Gopal Jha