एयरफोर्स में पायलट रह चुके अवशीष सहगल देहरादून से देश के डिफेंस सेक्टर का फ्यूचर गढ़ रहे है। अवशीष ने ग्राउंड जीरो डिफेंस इंस्टीट्यूट खोलकर देश सेवा के लिए डिफेंस सेक्टर को पिछले 18 वर्ष में 6500 से अधिक युवा दिए हैं। ग्राउंड जीरो डिफेंस इंस्टीट्यूट में कोचिंग ले चुके कई युवा सेना में मेजर पद तक पहुंच चुके हैं। युवाओं में देश सेवा के प्रति क्रेज को अवशीष नया आयाम दे रहे हैं। आर्मी नेवी और एयरफोर्स में उनके हजारों सिलेक्शंस देश सेवा में अहम योगदान है।


सीडीएस के थ्रू एयरफोर्स में एज ए पायलट का करियर शुरु करने वाले अवशीष सहगल ने प्रारम्भिक शिक्षा देहरादून के सेंट जोसेफ स्कूल से और फिर ग्रेजुएशन डीएवी कॉलेज से किया। वर्ष 1996 में एयरफोर्स ज्वाइन करने के बाद बतौर पायलट करियर शुरु किया। इसके बाद दून लौटकर अपने डिफेंस से जुड़े जज्बे को बरकरार रखते हुए देश के युवाओं को डिफेंस सेक्टर में भविष्य बनाने के लिए तैयार करने में जुट गए।18 वर्ष, 6500 से अधिक सिलेक्शन


वर्ष 2000 में अवशीष सहगल ने देहरादून में ही ईसी रोड पर ग्राउंड जीरो नाम से डिफेंस इंस्टीट्यूट स्टार्ट किया था। कुछ ही वर्षों में अपनी धाक कायम करते हुए एक के बाद एक डिफेंस में सिलेक्शन का कारवां खड़ा कर दिया। सिलेक्शन का आंकड़ा 6500 से अधिक  और ग्राउंड जीरो डिफेंस इंस्टीट्यूट का दायरा देश के अधिकतर राज्यों से डिफेंस सेक्टर में जाने की इच्छा रखने वालों तक फैल चुका है। ग्राउंड जीरो ने करीब 4000 से अधिक सिलेक्शन सिर्फ आर्मी को दिए। दूसरा नंबर एयरफोर्स का है, जहां ग्राउंड जीरो के स्टूडेंटस स्क्वॉड्रन लीडर तक पहुंच चुके हैं। नेेवी में भी उनके सैकडों सिलेक्शन है। ग्राउंड जीरो जैसे इंस्टीट्यूट की बेहतर कोचिंग के चलते देहरादून में डिफेंस सेक्टर की तैयारी के लिए एक अलग ही माहौल है। इसी माहौल में ग्राउंंड जीरो के अवशीष युवाओं को अपने अनुभवों के जरिए डिफेंस सेक्टर में करियर बनाने में मदद कर रहे हैं।समाजिक सरोकारों से जीता लोगों का दिलअवशीष सहगल सामाजिक सरोकारों में हमेशा आगे रहते हैं। ग्राउंड जीरो में वे आर्थिक रुप से कमजोर स्टूडेंट्स को निशुल्क डिफेंस कोचिंग देते हैं। उनके यहां निशुल्क कोचिंग पाने वाले युवा आज डिफेंस में ऑफिसर लेवल तक पहुंच गए। यही नहीं कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े अवशीष गवर्नमेंट स्कूल्स के बच्चों को पर्सनली सपोर्ट करने और उन्हें अच्छे भविष्य की राह दिखाने के अलावा अंग्रेजी और नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ाते हैं। चैरिटी फाउंडेशन के साथ जुडक़र वे समाज सेवा भी करते हैं।ग्राउंड जीरो से सफलता का मंत्र

अवशीष ग्राउंड जीरो डिफेंस इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट्स की सक्सेस का राज बताते हैं कि वे फैकल्टी चूज करते समय सावधानी बरतते हैं।  शिक्षा के नाम पर समझौता नहीं करना पहली प्राथमिकता रखते हुए सिर्फ और सिर्फ बेहतर फैकल्टी अप्वाइंट करते हैं। वर्तमान में 15 हाइली एजुकेटेड और एक्सपीरियंस्ड  फैकल्टी ग्राउंड जीरो में कोचिंग दे रही है। ग्राउंड जीरो में पर्सनालिटी डेवलपमेंट की क्लासेज खुद अवशीष लेते हैं। एसएसबी की क्लासेज के लिए डिफेंस के रिटायर्ड ऑफिसर्स को साथ जोड़ा है। जिनके जरिए स्टूडेंट्स को ग्राउंड जीरो में डिफेंस सेक्टर जैसा माहौल उपलब्ध हो जाता है। जो भविष्य में उसके संपूर्ण विकास में मददगार साबित होता है। रिटायर्ड डिफेंस ऑफिसर्स से स्टूडेंट्स को सिलेक्शन के टिप्स भी दिलाए जाते हैं। अवशीष का मानना है कि डिफेंस के बारे में खासकर एसएसबी क्रेक करने के तरीकों को रिटायर्ड डिफेंस पर्सन से बेहतर कोई नहीं समझा सकता।ये है पसंदफेवरिट सांग : जगजीत सिंह की गजलेंड्रीम : अच्छा मोटिवेटर बननारोल मॉडल : सैम मानेकशॉफेवरिट मूवी : गॉडफादर, जिंदगी ना मिलेगी दोबाराफेवरिट एक्टर : अजय देवगनफूड : इंडियन वेजफेवरिट गेम : फुटबॉलअवशीष सहगल, डायरेक्टर (ग्राउंड जीरो डिफेंस इंस्टीट्यूट, देहरादून)

प्रारम्भिक शिक्षा देहरादून के सेंट जोसेफ एकेडमी से हासिल करने वाले अवशीष ने प्रतिष्ठित डीएवी कॉलेज से बीएससी किया। ग्रेजुएशन के बाद ही देश के लिए कुछ करने की तमन्ना लेकर सीडीएस एग्जाम देकर फर्स्ट अटेंप्ट में ही रिटर्न और एएसबी क्लियर किया। एयरफोर्स में बतौर पायलट देश सेवा शुरु कर रक्षा सेक्टर को अहम योगदान किया। सन 2000 में देश के डिफेंस सेक्टर से युवाओं को जोडऩे के लिए देहरादून में ग्राउंड जीरो डिफेंस इंस्टीट्यूट स्टार्ट किया। वर्तमान में अवशीष सहगल के ग्राउंड जीरो डिफेंस इंस्टीट्यूट की दून में तीन ब्रांच हैं। जिनमें लगभग 3000 से अधिक स्टूडेंट्स पढ़ रहे हैं। अपने पहले ही बैच में अवशीष ने डिफेंस सेक्टर को रिकॉर्ड सिलेक्शन देकर सबको चौंका दिया था।अच्छे अफसर बनाना पहला उद्देश्यअवशीष सहगल बताते हैं कि ग्राउंड जीरो डिफेंस इंस्टीट्यूट में वे न केवल फौज के लिए अफसर बल्कि अच्छे अफसर बनाना अपना पहला उद्देश्य मानते हैं। स्टूडेंट्स को फौज के मापदंडों के हिसाब से तैयारी कराई जाती है, ताकि आगे चलकर वे देश और रक्षा क्षेत्र में एक बड़ा उदाहरण बन सके। इसके लिए फौज से रिटायर्ड ऑफिसर्स से स्टूडेंट्स को पर्सनॉलिटी डेवलपमेंट के टिप्स दिलाए जाते हैं।अचीवमेंट्सटाइम्स आईकन अवार्ड अचीवर्स अवार्डडिफेंस सेक्टर में 6500 से अधिक सिलेक्शन दिए

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Posted By: Shweta Mishra