JAMSHEDPUR: बागबेड़ा शिवनगर में रविवार को दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से मिलेनियल्स स्पीक के तहत राजनी-टी का आयोजन किया किया गया। इसमें युवाओं ने 'स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट देश के विकास के लिए कितना जरूरी है और क्या इसकी प्रगति इस बार चुनावी मुद्दा रहेगा?' विषय पर अपने विचार रखे। मिलेनियल्स ने कहा कि स्मार्ट सिटी एक अच्छा फैसला है पर, इसके काम में तेजी लाई जानी चाहिए। चर्चा की शुरुआत करते हुए कुमोद यादव ने कहा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार बनाने के साथ ही देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी के के रूप में विकसित करने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर काम तो हुआ है, करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन इसकी प्रगति संतोषजनक नहीं है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर सिर्फ सकड़ें चौड़ी करने और फ्लाइओवर बनाने के प्रस्ताव रखे जा रहे हैं। बेशक सड़कों किनारे हरियाली ही क्यों न खत्म करनी पड़े।

देश की 100 सिटी स्मार्टनेस की ओर
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए राकेश चौबे ने कहा केंद्र सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी को लेकर लोगों को कई सपने सरकार ने दिखा तो दिए पर उस हद कार्य करने में सफल नही हुई है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को पूरा करने में सरकार को कम से कम और पांच साल लग जाएंगे। राजकमल यादव ने कहा स्मार्ट सिटी के कारण आज देश के 100 सिटी स्मार्टनेस की ओर अग्रसर हैं। स्मार्ट सिटी में लोगों को हर तरह का इंफ्रास्ट्र्क्चर मिलेगा, पानी-बिजली चौबीसों घंटे मिलेगी, सुरक्षा होगी, शिक्षा के विकल्प होंगे, स्पो‌र्ट्स तथा मनोरंजन के साधन होंगे, इन सारी चीजों पर सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर सरकार अभी तक उतनी सफल तो नहीं हो पाई है, लेकिन खुशी की बात है कि किसी ने तो इसकी शुरुआत की। ऐसे प्रोजेक्ट तुरंत जमीनी तौर पर नहीं दिखने लगते। इसमें 10 से 15 साल का वक्त तो लग ही जाता है।

स्मार्ट सिटी देश बनेगा स्मार्ट
संदीप कुमार ने कहा आज हमारे शहर का कंपनी एरिया स्मार्ट सिटी की श्रेणी में आता है, इसमें कोई दोराय नही क्योंकि इसके लिए टाटा कंपनी काफी कुछ किया है, और लगातार कर रही है। इसलिए देश के 100 स्मार्ट शहर बनाने की सूची में जमशेदपुर का नाम नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर हम अपने राज्य के स्मार्ट सिटी राजधानी रांची, धनबाद या बिहार के स्मार्ट सिटी की बात करें को प्रोजेक्ट को संतोषजनक कहा जा सकता है। मिलेनियल्स ने कहा कि स्मार्ट सिटी में 400 मीटर की दूरी पर स्कूल, पार्क, मनोरंजन पार्क मौजूद हो, 20 फीसदी मकान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए हो, बिजली हमेशा मिले, पानी सप्लाई द्वारा मिले, लोग पानी बिजली की कोई चोरी नहीं कर पाएं। जो इन सिद्धांतों को पूरा करेंगे हम उन्हीं को वोट देंगे, क्योंकि स्मार्ट सिटी से ही देश बनेगा स्मार्ट।

बहुत से कार्य हुए
संतोष प्रसाद ने कहा जिन जिन शहरों को स्मार्ट सिटी के लिए चयनित किया गया, वहां काफी कार्य हुए। पूरी तरह कार्य दिखने में तो समय लगेगा ही, इसके लिए हमें सरकार को और समय देना चाहिए। स्मार्ट सिटी के कारण साफ-सफाई इतनी हो रही है। जो कार्य नही हुए वो भी पूरे हो जाएंगे, इसे चुनावी मुद्दा बनाते हुए इस इलेक्शन हम वोट करेंगे। क्योंकि देश स्मार्ट तभी हो सकता है जब शहर स्मार्ट हो।

लचर सरकारी व्यवस्था सिटी को स्मार्ट बनाने में बनी बाधा
रमन कुमार वर्मा ने कहा लगभग चार साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को स्मार्ट सिटी का सपना दिखाया था। साल गुजरते गए और स्मार्ट सिटीज की लिस्ट भी लंबी होती गई। शहरों की तस्वीर बदलने की उम्मीद में साल दर साल गुजरते चले गए। न उम्मीदों को पंख लगे, ना बदलाव आया।

देना होगा ओर ध्यान
शहादत अंसारी ने कहा स्मार्ट सिटी कॉन्सेप्ट की पांच वर्षो के बाद भी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, स्टॉर्म सीवरेज, सड़क, सफाई, ट्रैफिक जाम, साफ पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी स्मार्ट सिटी को नहीं मिली है। युवाओं ने कहा सरकार ने तो स्मार्ट सिटी पर पैसे आवंटित कर दिए पर लोकल लेवल पर कार्य शून्य दिखता है। वहीं, पवन गिरी ने कहा स्मार्ट सिटी कॉन्सेप्ट पूरी तरह से स्थानीय निकायों पर निर्भर है। देश के नगरपालिकाओं की हालत कैसी सबको पता है।

विदेशों से हैं पीछे
रमन कुमार ने कहा विदेशों की बात करें तो हम अभी बहुत पीछे हैं। विश्व के हैप्पीयेस्ट देश फिनलैंड की स्मार्ट सिटीज में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की जो व्यवस्था है वह पाइप लाइनों पर टिकी है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ नीयत, सही विकास का नारा तो दे डाला था मगर राज्य में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में न तो साफ नीयत नजर आई और न ही सही विकास हुआ। जिसके कारण सिटी को स्मार्ट बनने में समय लग रहा है।

मेरी बात
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार बनते साथ देश के 100 नगरों को स्मार्ट नगरों के रूप में विकसित करने की बात कही थी, काम तो हुआ है। स्मार्ट सिटी पर इसमें सरकार ओर समय चाहिए होगा, इसके लिए करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं। स्मार्ट सिटी के नाम पर केवल सड़कें चौड़ी करने या फ्लाईओवर बनाने के प्रस्ताव रखे जा रहे हैं। अभी हाल ही में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर ही स्थानीय निकाय विभाग ने कुछ शहरों में नई पार्किंग पॉलिसी का एलान किया है।

कुमोद यादव

कड़क मुद्दा

केंद्र सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी को लेकर लोगो को कई सपने सरकार ने दिखा, तो दिए पर उस हद कार्य करने में सफल नहीं हुई है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को पूरा करने में सरकार को कम से कम और पांच साल सरकार में बने रहने की जरूरत है। स्मार्ट सिटी के कारण आज देश के 100 सिटी स्मार्टनेस की ओर अग्रसर है,

राकेश चौबे

सरकार ने स्मार्ट सिटी की शुरुवात तो की है। ऐसे प्रोजेक्ट तुरंत जमीनी तौर पर नहीं दिखने लगते। इसमें 10 से 15 साल का टाइम तो लग ही जाता है। इस पोजेक्ट को संतोषजनक कहा जा सकता है।

शिव कुमार पांडे

स्मार्ट सिटी में बहुत कम ही कार्य होते हुए दिखते हैं। इसकी प्लानिंग फ्यूचर को देखते हुए होनी चाहिए। सोसायटी के पुअर सेक्शन को भी इसका फायदा मिले तो बेहतर होगा।

भीम

जिन जिन शहरों को स्मार्ट सिटी के लिए चयनित किया गया है, वहां काफी कार्य हुए हैं। अब पूरी तरह कार्य दिखने में तो समय लगेगा ही। इसके लिए हमे सरकार को और समय देना चाहिए।

राज कमल यादव

स्मार्ट सिटी में ओवर ब्रिज बनाए जा रहे है। सड़कों की हालत में सुधार किया जा रहा है। जो कार्य नही हुए वो भी पूरे हो जाएंगे, इसे चुनावी मुद्दा बनाते हुए इस इलेक्शन हम वोट करेंगे। क्योंकि देश स्मार्ट तभी हो सकता है जब शहर स्मार्ट हो।

संतोष प्रसाद

स्मार्ट सिटी कॉन्सेप्ट के पांच वर्षो के बाद भी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, स्टॉर्म सीवरेज, सड़क, सफाई, ट्रैफिक जाम, साफ पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी स्मार्ट सिटी को नही मिली है।

राहुल

सरकार ने तो स्मार्ट सिटी पर पैसे आवंटित कर दिए हैं, लेकिन लोकल लेवल पर कार्य शून्य दिखता है। स्मार्ट सिटी कॉन्सेप्ट पूरी तरह से स्थानीय निकायों पर निर्भर है। देश के नगरपालिकाओं की हालत कैसी सबको पता है।

पवन गिरी

विदेशों की बात करें तो हम अभी बहुत पीछे हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ नीयत, सही विकास का नारा तो दे डाला था मगर राज्य में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में न तो साफ नीयत नजर आई और न ही सही विकास हुआ। जिसके कारण सिटी को स्मार्ट बनने में समय लग रहा है।

संदीप कुमार

काम हुआ है, स्मार्ट सिटी को लेकर और कार्य होने बाकी, ऐसे कार्यो में सरकार को समय चाहिए होगा, देश तभी स्मार्ट होगा जब देश के शहर स्मार्ट होंगे। स्मार्ट सिटी कॉन्सेप्ट पूरी तरह से स्थानीय निकायों पर निर्भर है।

सुशील कुमार

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार द्वारा पैसे तो आवंटित कर दिए, लकिन लोकल लेवल पर कार्य शून्य दिखता है। सबसे बड़ी बात 100 स्मार्ट सिटी में हमारा शहर भी शामिल है। लेकिन इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में कितना समय लगेगा यह तय नहीं हो पाया है।

रुद्र नारायण

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में न तो साफ नीयत नजर आई और न ही सही विकास हुआ। इसके कारण सिटी को स्मार्ट बनने में समय लग रहा है।

गोपाल कुमार

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ

दो साल पहले इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास हुआ। अबतक करोड़ों रुपए खर्च भी किए जा चुके हैं। लेकिन कहीं भी धरातल पर कुछ नजर नहीं आ रहा है। भले ही स्मार्ट सिटी की नींव रख दी गई है। जब धरातल पर योजना ही दिखाई न दे तो इसके भविष्य को लेकर भी असमंजस की स्थिति है। सरकार को इसे लेकर गंभीर होने की जरूरत है। वरना योजनाएं तो हजारों बनती हैं, पर सब पेपर में ही रह जाती हैं। सरकार के पास काम करने का प्रॉपर विजन ही नहीं है। इसके अलावा एक बात जो है कि केवल धुर्वा को ही स्मार्ट सिटी डेवलप करने के लिए क्यों चुना गया। जबकि सिटी में कई ऐसे इलाके हैं जिसे डेवलप किया जाता तो आसपास के लोगों की भी किस्मत बदल जाती।

Posted By: Inextlive