jamshedpur@inext.co.in

JAMSHEDPUR: जुगसलाई पानी टंकी के पास सोमवार को मलेनियल्स स्पीक के तहत 'राजनी-टी' का आयोजन किया गया. इसमें युवाओं ने शिक्षा की स्थिति में सुधार और चुनाव में इसके मुद्दे को लेकर अपनी बेबाक राय दी. चर्चा की शुरुआत करते हुए गौरव खंडेलवाल ने कहा कि एजूकेशन सिस्टम में सुधार तो हुआ है, लेकिन और प्रयास की जरूरत है. कहा कि एजूकेशन सिस्टम में जो भी सुधार हुए हैं, वो काफी नहीं है. देश में क्वालिटी एजूकेशन में गिरावट आई है, जिससे शिक्षितों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन युवा प्रतियोगिताओं में कुछ खास जौहर नहीं दिखा पा रहे हैं. पैसों के बल पर डिग्री बेची और खरीदी जा रही है. एजूकेशन सिस्टम में बदलाव होने से ही देश आगे बढे़गा. गवर्नमेंट स्कूलों-कॉलेजों की स्थित बदतर है. युवाओं ने कहा कि सरकारी स्कूलों की स्थित किसी से छिपी नहीं हैं. शहर के अधिकतर कॉलेजों के प्रोफेसर ही नहीं हैं, जिससे स्टूडेंट की क्लास ही नहीं हो पाती है. देश में अधिक से अधिक छात्र सरकारी स्कूल-कॉलेजों में ही पढ़ाई करते हैं. सरकार को डिग्री कॉलेजों की शिक्षा के साथ ही मैट्रिक और इंटरमीडिएट कॉलेजों की व्यवस्था में सुधार लाना चाहिए.

शिक्षा में खत्म हो आरक्षण
युवाओं ने कहा कि देश आज भी परंपरागत शिक्षा व्यवस्था का दामन थामे हुए हैं. इससे बाहर निकलने की जरूरत है. युवाओं ने कहा कि देश की शिक्षा व्यवस्था को आरक्षण के माध्यम से बांटने की कोशिश की गई है. उन्होंने कहा कि देश में आरक्षण व्यवस्था खत्म कर अनुभव और टैलेंट के हिसाब से छात्रों को रोजगार देना चाहिए. युवाओं ने कहा कि देश में काम न मिलने के चलते आज गल्फ कंट्री में जाकर लोग काम कर रहे हैं. युवाओं ने कहा कि युवा देश में ही काम करना चाहते हैं, लेकिन हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है जिससे रोजगार देने की काबिलियत कम है.

सरकारी स्कूल पर हो ध्यान
मिलेनियल्स ने कहा कहा की देश में क्वालिटी एजूकेशन को बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर टीचर का एक पैनल बनाया जाए, जो जिले के सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों के टीचरों की जांच कर उनकी गुणवत्ता की जांच करे. सरकार स्कूलों पढ़ने वाले बच्चों के सर्वागीण विकास का सपना दिखा रही है, जबकि स्कूलों में शिक्षा के अलावा सब कुछ दिया जा रहा है. मिड-डे मील योजना में हर माह सरकार के करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं. सरकार द्वारा मीनू के हिसाब से खाना तैयार होना है, लेकिन स्कूलों में हर दिन बच्चों को खिचड़ी दी जा रही है. स्कूलों में पढ़नेवाले छात्रों के लिए खेल का मैदान, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिये. शहर के कई प्राथमिक स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं हैं. स्कूल में टायलेट बना दिए हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल छात्रों को नहीं करने दिया जाता है. जिले में 50 प्रतिशत छात्रों को ठंड में स्वेटर ही नहीं दिया गया है.

मनमानी फीस पर लगे लगाम
चर्चा के दौरान युवाओं ने कहा कि पिछले पांच सालों में प्राइवेट शिक्षण संस्थानों पर कोई लगाम नहीं लगा है. इसके परिणाम स्वरूप केजी से लेकर इंटरमीडिएट स्कूलों में मनमानी फीस वसूली जा रही है. नई सरकारों ने देश में प्राइवेट विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति देकर शिक्षा की क्वालिटी को और बदतर करने का काम किया है. इससे जहां एक ओर छात्र लाखों रुपये लगाकर बीटेक, बीसीए, बीबीए और एमबीए जैसे कोर्स कर रहे हैं, लेकिन जॉब न मिलने से लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी युवाओं के हाथ निराशा ही आ रही है. युवा बोले कि हमारा एजूकेशन सिस्टम ठीक है जहां पर एक सिलेबस पढ़ने को ही डिग्री देना माना जाता है. प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने से ज्यादा खाने-पीने पर जोर दिया जा रहा है. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई न होने से आज कोई भी राजनेता, अधिकारी और व्यापारी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजते हैं, जबकि देश में जितने भी अधिकारी नेताओं में 70 प्रतिशत लोग सरकारी स्कूलों से ही पढ़कर आये हैं. युवाओं ने इसके लिए अधिकारियों और नेताओं को अपने बच्चों इन सरकारी विद्यालयों में भेजने का काम करना होगा जिससे इस परंपरा को बदला जा सके. युवाओं ने कहा कि कॉलेज में छात्रों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं है इस पर सरकार को फोकस करना चाहिए.

मेरी बात
एजूकेशन सिस्टम में सुधार तो हुआ है, लेकिन अभी और सुधार की जरूरत है. एजूकेशन सिस्टम में जो भी सुधार हुए हैं, वो काफी नहीं हैं, उनमें अनेक सुधारों की जरूरत है. देश में क्वालिटी एजूकेशन में गिरावट आई है, जिससे शिक्षितों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन युवा प्रतियोगिताओं में कुछ खास जौहर नहीं दिखा पा रहे हैं. पैसों के बल पर डिग्री बेची और खरीदी जा रही है. एजूकेशन सिस्टम में बदलाव होने से ही देश आगे बढे़गा.

गौरव खंडेलवाल

कड़क मुद्दा
देश की शिक्षा व्यवस्था को आरक्षण के माध्यम से बांटने की कोशिश की गई है. देश में आरक्षण व्यवस्था खत्म कर अनुभव और टैलेंट के हिसाब से छात्रों को रोजगार देना चाहिए. देश में काम नहीं मिलने के चलते आज गल्फ कंट्री में जाकर लोग काम कर रहे हैं. युवा देश में ही काम करना चाहते हैं, लेकिन हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है जिससे रोजगार देने की काबिलियत नहीं होने से युवाओं को बाहर जाकर काम करना पड़ रहा है.

कमल वर्मा

गवर्नमेंट स्कूलों कॉलेजों की स्थित बदतर है. सरकारी स्कूलों की स्थित किसी से छिपी नहीं है. शहर के अधिकतर कॉलेजों के प्रोफेसर ही नहीं हैं. सरकार को डिग्री कॉलेजों की शिक्षा के साथ ही मैट्रिक और इंटरमीडिएट कॉलेजों की व्यवस्था में सुधार होना चाहिए.

रोहित खंडेलवाल

क्वालिटी एजूकेशन को बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर एक टीचर का पैनल बनाया जाए जो जिले के सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों के टीचरों की जांच कर उनकी गुणवत्ता चेक करे. मिड-डे मील योजना में हर माह सरकार का करोड़ों रुपए बर्बाद हो रहे हैं. सरकार द्वारा मीनू के हिसाब से खाना तैयार होना है, लेकिन स्कूलों में हर दिन बच्चों को खिचड़ी दी जा रही है.

विशाल शर्मा

स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए खेल का मैदान, शुद्ध पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिये. शहर से जड़े हुए कई प्राथमिक स्कूलों में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. इससे बच्चे घर से ही पानी लेकर स्कूल आते हैं. स्कूल में टायलेट बना दिए हैं, लेकिन इनका उपयोग छात्रों को नहीं करने दिया जाता है. जिले में 50 प्रतिशत छात्रों को ठंड में स्वेटर ही नहीं दिया गया है.

दिनेश

पिछले पांच सालों में प्राइवेट शिक्षण संस्थानों पर कोई लगाम नहीं है. इसके परिणाम स्वरूप केजी से लेकर इंटरमीडिएट स्कूलों में मनमानी फीस वसूली जा रही है. नई सरकारों ने देश में प्राइवेट विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति देकर शिक्षा की क्वालिटी को और खराब किया है.

माही अग्रवाल

सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होने से आज कोई भी राजनेता, अधिकारी और व्यापारी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजते है. जबकि देश में जितने भी अधिकारी नेताओं में 70 प्रतिशत लोग सरकारी स्कूलों से ही पढ़कर आये हैं. अधिकारियों और नेताओं को अपने बच्चों इन सरकारी विद्यालयों में भेजने का काम करना होगा जिससे इस परंपरा को बदला जा सके. जिससे सरकारी विद्यालयों दशा बदल जाए.

जेपी यादव

एजुकेशन में सुधार तथा बदलाव आया है, लेकिन पढ़ाई में और निष्पक्षता लानी की जरूरत है. सरकारी कॉलेजों में क्वालिटी एजुकेशन होना चाहिए. सरकार ने महंगाई कंट्रोल करने की कोशिश तो की है, पर एजुकेशन में सफल नहीं हुई.

महेश

एजुकेशन बदलाव आएगा तभी देश आगे बढ़ेगा. सरकारी स्कूलों में जो बदहाली है उसे सरकार जल्द सही नहीं कर पाई तो, आने वर्ष में देश काफी समस्या होगी. इसलिए सरकार को एजुकेशन सिस्टम को सुदृढ़ करना चाहिए.

आशीष सिंह

देश तभी तरक्की करेगा जब एजुकेशन सिस्टम मजबूत होगा. अभी हमारे देश की सबसे ज्यादा जनसंख्या सरकारी स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर रही है. सरकारी स्कूल की हालत किसी से छिपी नहीं है. स्कूल में टीचर गायब रहते हैं और कुछ पढ़ाने के नाम पर खानापूर्ति करते हैं. इसमें सरकार को काम करना चाहिए.

बापी साहू

सतमोला खाओ कुछ भी पचाओ

चर्चा के दौरान जुगसलाई की सड़कों पर लगनेवाले जाम का मुद्दा उठा. इसमें युवाओं ने जाम की समस्या को लेकर सरकार तथा प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया. लोगों ने कहा कि इतने वर्षो से जुगसलाई ओवरब्रिज के बनाने की बात चल रही है, लेकिन ओवरब्रिज कब बनाया जा रहा है, जब चुनाव सर पर है. इससे सरकार की मंशा पर शंका हो रही है.

Posted By: Kishor Kumar