JAMSHEDPUR: सोमवार को मानगो ओल्ड पुरुलिया रोड स्थित जाकिर नगर में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मिलेनियल्स स्पीक के तहत राजनी-टी का आयोजन किया। इसमें जाकिर नगर के लोगो ने 'पेट्रोल डीजल की कीमतें कितनी रही नियंत्रित, क्या इस बार लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा हावी रहेगा?' विषय पर अपनी राय रखी।

सबसे पहले हुई इस बात पर चर्चा
चर्चा की शुरुआत करते हुए मोहम्मद निसार अहमद ने कहा कि अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण देश में पेट्रोल-डीजल के मूल्यों में बढ़ोतरी होती है, पर इसे सरकार कंट्रोल करने में काफी हद तक सफल रही है। हाल के दिनों में देखें तो पेट्रोल के दाम में मामूली बढ़ोतरी हुई है। इस सरकार ने ही पेट्रोल के दाम कम करने के लिए वैट में कटौती की, क्योंकि आम जनता को इसका लाभ मिले। इकोनॉमी के हिसाब से सरकार ने तेल के रेट को नियंत्रित करके रखा है। विपक्ष को पेट्रोल के रेट को लेकर कोई मुद्दा नहीं मिलेगा। पिछले चार-पांच वर्षो में पेट्रोल कीमतों में चार से पांच रुपए की बढ़ोतरी हुई है। चर्चा को आगे बढ़ाते हुए तनवीर अहसन ने कहा की सरकार एक समय पेट्रोल के मूल्य में बढ़ोतरी की थी, लेकिन वह मूल्य अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल कीमत बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण हुआ था। इसके बाद जो सरकार ने कीमतों पर काबू पाया वो काफी अच्छा रहा है। निश्चित तौर पर लोकसभा चुनाव में पेट्रोल-डीजल की कीमत एक चनावी मुद्दा हो सकता है।

पेट्रोल के दाम स्थिर
वजीर खान ने कहा आज सभी चीजों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके हिसाब से पेट्रोल के दाम में भी बढ़ोतरी हुई है। इस सरकार ने पेट्रोल डीजल को कंट्रोल करने की कोशिश की है, लेकिन अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने के कारण पेट्रोल-डीजल के मूल्यों में बढ़ोतरी हुई। जिसे सरकार ने वैट कम करके पेट्रोल के दाम को कम किया, यह सरकार का सराहनीय कदम था। यह एक अहम मुद्दा रहता है हर चुनाव में, क्योंकि यह मुद्दा देश के मध्यम वर्गीय तथा गरीब लोगो से डायरेक्ट जुड़ा हुआ है।

आए जीएसटी के दायरे में
फतीमा शाहीन ने कहा कि पांच सालों में पेट्रोल मूल्य को नियंत्रित रखने में सरकार काफी सफल रही, अंतराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल के मूल्य के बढ़ोतरी के कारण देश में पेट्रोल का दाम बढ़ोतरी हुई, जिससे ने सरकार ने कंट्रोल कर लिया। हम सरकार से चाहते हैं कि पेट्रोल डीजल जीएसटी के दायरे में आए जिससे पेट्रोल में लगने वाले टैक्स कम हो और पेट्रोल डीजल और सस्ता मिले। अगर पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आएगा, तो पेट्रोल और डीजल की कीमत काफी कम हो जाएगी।

जस के तस हालत
गुलाम मोला ने कहा कोई भी सरकार आ जाए वो गरीबों के बारे में नहीं सोचती है। पेट्रोल डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। पेट्रोल के दाम सरकार तब ही कम करती है, जब इलेक्शन आता है। सरकार को इसपर सोचना चाहिए। पहले की भी सरकार ऐसा ही करती आई है, सरकार को पेट्रोल-डीजल पर इतने ज्यादा वैट नहीं लगाना चाहिए, वैट के कारण ही देश में पेट्रोल का दाम इतना ज्यादा है। पड़ोसी मुल्क हमसे पेट्रोल खरीदते है, वहां की सरकार वैट कम लगाती है तो वहां पेट्रोल के मूल्य कम है। देश को भी ऐसा ही करना चाहिए,

पेट्रोल डीजल के कारण महंगाई भी बढ़ी
मिलेनियल्स ने कहा पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने से महंगाई बढ़ी है। वर्तमान प्रदेश और केंद्र सरकार निरंतर मूल्य वृद्धि करने में लगी है। ऐसे में आम जनता बेबस है। मूल्य वृद्धि का सीधा असर गरीबों की थाली पर पड़ रहा है। पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम का असर दूसरी चीजों पर भी सीधे तौर पर देखने को मिल रहा है। पेट्रोल-डीजल के साथ साथ अन्य चीजों की दाम आसमान छू रही है। आम लोगों को इससे काफी दिक्कतें हो रही हैं।

मेरी बात
अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण देश में पेट्रोल डीजल के मूल्यों में बढ़ोतरी हुई है। पर इसे सरकार कंट्रोल करने में काफी हद तक सफल रही है। इकोनॉमी के हिसाब से सरकार ने तेल के रेट को नियंत्रित रखा है। हाल के दिनों में देखें तो पेट्रोल के दाम में मामूली बढ़ोतरी हुई थी, जिसे कम करने के लिए सरकार ने वैट में कटौती की, क्योंकि आम जनता को इसका लाभ मिले।

मोहम्मद निसार अहमद

कड़क मुद्दा

सरकार ने एक समय पेट्रोल-डीजल के मूल्यों में बढ़ोतरी की थी, लेकिन वह मूल्य अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल कीमत बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण हुआ था। उसके बाद जो सरकार ने कीमतों पर काबू पाया वो काफी अच्छा रहा है।

तनवीर अहसन

आज सभी चीजों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही। इसके हिसाब से पेट्रोल-डीजल के दाम में भी बढ़ोतरी हुई है। इस सरकार ने पेट्रोल डीजल को कंट्रोल करने की कोशिश की है। केंद्र के साथ राज्य सरकार ने भी वैट में कटौती करके पेट्रोल के दामों में और कमी लाई, जिससे राज्य तथा शहर की जनता को और राहत मिली।

वजीर खान

हम सरकार से चाहते हैं कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए। अगर पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में आएगा तो इसकी कीमत में काफी कमी आएगी और लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।

फतीमा शाहीन

अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने के कारण पेट्रोल-डीजल के मूल्यों में बढ़ोतरी हुई, जिसे सरकार ने वैट कम करके पेट्रोल के दाम को कम किया। यह सरकार का सराहनीय कदम था, और यह एक अहम मुद्दा रहती है हर चुनाव में, क्योंकि यह मुद्दा देश के मध्यम वर्गीय तथा गरीब लोगों से डायरेक्ट जुड़ा हुआ है।

ताहीरा बानो

पांच सालों में पेट्रोल मूल्य को नियंत्रित रखने में सरकार काफी सफल रही है। अंतराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल के मूल्य के बढ़ोतरी के कारण देश में पेट्रोल का दाम बढ़ोतरी हुई, जिससे ने सरकार ने कंट्रोल कर लिया। इसका फायदा सरकार को मिलेगा।

सलमा खातून

कोई भी सरकार आ जाए, वो गरीबों के बारे में नहीं सोचती है। हालांकि फिलहाल पेट्रोल-डीजल के दाम थोड़े नियंत्रण में हैं, लेकिन पहले इसकी कीमत आसमान छू रही थी। वैट के कारण ही देश में पेट्रोल का दाम इतना ज्यादा है, पड़ोसी मुल्क हमसे पेट्रोल खरीदते है, वहां की सरकार वैट कम लगाती है तो वहां पेट्रोल के मूल्य कम है।

गुलाम मोला

पेट्रोल-डीजल की कीमत ज्यादा होने से महंगाई अपने उच्चतम शिखर पर पहुंच गई है। मूल्य वृद्धि का सीधा असर गरीबों की थाली पर पड़ रहा है। पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम का असर दूसरी चीजों पर भी सीधे तौर पर देखने को मिल रहा है।

हाजी सोहेल

बिल्कुल यह एक अहम मुद्दा रहेगा लोकसभा चुनाव में। पेट्रोल-डीजल का मुद्दा हर चुनाव में रहता है। सरकार पेट्रोल के दाम कम करने में दूसरी सरकारों से कुछ हद तक सफल रही है। जो पेट्रोल-डीजल की कीमत पर नियंत्रण रखेगा उसे ही वोट मिलेगा।

फरहान खान

आने वाली सरकार से यही उम्मीद रहेगी कि वह तेल के दाम कंट्रोल में रखे। सरकार मूल्यों को कंट्रोल करने में सफल नहीं रही है। इससे आम लोग परेशान हो रहे हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमत पर कंट्रोल रखनेवालों की ही सरकार हम चुनेंगे।

मोहम्मद सरफराज

पेट्रोल-डीजल की कीमत थोड़ी नियंत्रण में हैं, लेकिन अन्य चीजों की दाम आसमान छू रहे हैं। आम लोगों को इससे काफी दिक्कते हो रही है। आने वाले लोकसभा इलेक्शन में यह सबसे अहम मुद्दा रहेगा।

मोहम्मद राशिद

Posted By: Inextlive