JAMSHEDPUR: दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से आयोजित मिलेनियल्स स्पीक के तहत युवाओं ने शनिवार को बिष्टुपुर स्थित जी टाउन ग्राउंड में राजनीटी में पूरी बेबाकी के साथ अपनी राय रखी। सभी ने 'जेनरल कैटेगरी के गरीब तबके आरक्षण का लाभ, क्या यह एक चुनावी मुद्दा होगा' पर चर्चा की। इसे किसी ने सरकार के आरक्षण के फैसले की सराहना की, तो किसी ने इसे बस एक चुनावी जुमला बताया। चर्चा की शुरुआत करते हुए सौरव सिंह ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार आर्थिक आधार पर आरक्षण बारे जो निर्णय हुआ है, उससे सामान्य वर्ग के युवाओं को उच्च शिक्षा तथा नौकरियों में और बेहतर अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान करना केंद्र सरकार का साहसिक कदम है।

पहली बार सामान्य वर्ग की सुध
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए शुभम ने कहा कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार सामान्य वर्ग की किसी सरकार ने सुध ली है, इसका स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सबसे अहम बात यह है कि इस निर्णय से अनुसूचित जाति, अनुसूचित-जनजाति और ओबीसी के आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं इस मुद्दे पर बोलते हुए खुर्शीद ने कहा कि सामान्य वर्ग को आरक्षण देना पर सरकार का एक चुनावी स्टंट है। अगर सरकार को सामान्य वर्ग की इतनी ही चिंता थी तो सरकार बनने के साथ ही सवर्णों को आरक्षण देते। सरकार के आखिरी समय में गरीब सवर्णो को आरक्षण का लॉलीपॉप दिखाना साबित करती है, सरकार डरी है हुई है। सलीम ने इसपर बोलते हुए कहा की इससे सरकार हर धर्म के फारवर्ड क्लास को साधने की कोशिश है।

युवाओं को मिले नौकरी
सलीम ने कहा देश तथा राज्य में रोजगार की क्या स्थिति है इसे सारे लोग जान रहे हैं। सरकार बस आईवास करने का काम कर रही है, आज सरकारी विभाग में वैकेंसी ना के बराबर है। सवाल यह है कि इलेक्शन के मौसम में कहीं यह सरकार का चुनावी स्टंट तो नहीं है। इमरान ने कहा आज का युवा की सबसे बड़ी मांग रोजगार है। कौशल विकास के तहत सरकार ने युवाओं को प्राइवेट सेक्टर में नौकरी देने का प्रयास किया है, लेकिन सरकारी नौकरी देने में सरकार को सफल नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि रोजगार की बात करने पर सरकार पकौड़ा बेचने को कहती है, जब हम पकौड़ ही बेचेंगे तो आरक्षण का क्या काम। रौशन ने कहा आज देश के युवा नौकरी के लिए भटक रहे हैं। अगर उन्हें नौकरी मिल जाएगी तो आरक्षण की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। बंटी खान ने कहा कि आरक्षण के कारण ही देश विकास में बाधा आ रही है। उन्होंने कहा कि आरक्षण को पूरी तरह से समाप्त कर देना चाहिए। आरक्षण के कारण ही देश का असली टेलेंट छिप जा रहा है। लेकिन देश की राजनीति बिना आरक्षण के चल ही नहीं सकती है, इसलिए चुनाव से पहले सरकार ने जेनरल कैटेगरी को आरक्षण देने का काम किया है।

धर्म का अड़चन नहीं
चर्चा के दौरान युवाओं ने कहा सरकार ने सामान्य वर्ग में आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर तबके को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है, वह सराहनीय है। केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले में धर्म का कोई अड़चन नहीं रखा गया है, जो सबसे अच्छी बात है। इससे सामान्य श्रेणी में आने वाले देश के हर गरीब नागरिक को इस व्यवस्था का लाभ मिलेगा, इसमें हिंदू मुस्लिम से लेकर दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यक भी शामिल हैं।

मेरी बात
सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने के फैसले का स्वागत है। क्यों कि समाज में एक ही तबका है जिसको किसी तरह की छूट नहीं मिलती हैं। जिसके चलते गरीब सवर्ण विकास की राह में पिछड़ते जा रहे थे। सरकार के इस फैसले के बाद गरीब तबके के सवर्ण स्टूडेंट को लाभ मिलेगा। सरकार ने गरीब तबके के सवर्ण को आरक्षण में शामिल कर चुनावी दांव भी खेलने की कोशिश की हैं। अगर वाकई सरकार को यह फैसला करना था तो पांच साल से क्यो आरक्षण नहीं दिया।

खुर्शीद आलम

कड़क मुद्दा
एक अच्च फैसला है, किसी सरकार ने अभी तक गरीब जनरल कंडीडेट की ओर ध्यान नहीं दिया हैं। मेरे हिसाब से सभी जातियों को आरक्षण देना सरकार का मुद्दा नहीं है बल्कि सभी वर्ग के लोगों से आरक्षण पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिये। सरकार बिना रोजगार के ही सभी वर्ग को रोजगार दे रही है। सरकार सभी विभागों में लोगों की नियुक्ति अनुबंध के आधार पर कर रहा है। जिससे सवर्ण को इसका लाभ नहीं मिलेगा। देश के विकास के लिए यह जरूरी है कि सभी को समान अवसर प्रदान किया जाए।

मोहम्मद सलीम

इससे सरकार हर धर्म के फारवर्ड क्लास को साधने की कोशिश है, धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बांटने की कोशिश की जा रही है। सवर्ण आरक्षण से गरीब तबके के लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी। यह एक वर्ग के लिए राहत की खबर है कि सरकार ने 10 प्रतिशत आरक्षण सवर्ण को देकर गरीब सवर्ण के विकास पर ध्यान दिया है लेकिन इसका कितना फायदा सवर्ण उठा पाते है यह देखने वाली बात होगी।

आरिफ

आज युवाओं की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है, सरकार अपने वादे के मुताबिक युवाओं को रोजगार देने में नाकाम रही है। तेजी से मार्डन हुई अर्थव्यवस्था में घरेलू और कुटीर उद्योग पूरी तरह से तबाह हो चुका है। सरकार विभिन्न ट्रेनिंग सेंटर के माध्यम से युवाओं को रोजगार संबंधित प्रशिक्षण देने का काम कर रही है। लेकिन पूजी के अभाव में युवा अपना रास्ता नहीं तलाश पा रहे है। युवाओं को सरकार पर डिपेंड होकर नहीं बैठना चाहिये। सवर्ण आरक्षण से गरीब सवर्ण को लाभ मिलेगा।

इमरान खान

सवर्ण आरक्षण का फैसला सही है। जब देश का हर वर्ग आरक्षण का लाभ पा रहा है। तो सवर्ण के ही साथ ही भेदभाव क्यों हो। देश तथा राज्य में बेरोजगारी के चलते आरक्षण का लाभ युवाओं को ठीक से नहीं मिल पा रही हैं। सरकार को चाहिये कि देश में इंड्रस्टी का विकास करें जिससे सभी वर्ग के युवाओं कको रोजगार मिल सके।

दीपक महतो

आज देश के युवा नौकरी के लिए भटक रहे है, नौकरी उपलब्ध करवानी चाहिए सरकार को इससे आरक्षण की जरूरत ही नही होगी। सरकार बस आईवास करने का काम कर रही है, आज सरकारी विभाग में वैकेंसी ना के बराबर है। चुनाव के समय में इसे हम चुनावी स्टंट कह सकते है। इससे युवाओं को फायदा नही मिला है।

रौशन

स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार आर्थिक आधार पर आरक्षण बारे जो निर्णय हुआ है उससे सामान्य वर्ग के युवाओं कचे उच्च शिक्षा तथा नौकरियों में और बेहतर अवसर प्राप्त होंगे। सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण प्रदान करना केंद्र सरकार का साहसिक कदम है।

सौरव सिंह

पहली बार सामान्य वर्ग की किसी सरकार ने सुध ली है। सबसे अहम बात यह है कि इस निर्णय से अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी के आरक्षण पर कोई असर नहीं पड़ा। इसका लाभ सरकार को मिलेगा।

शुभम

आरक्षण के कारण ही देश विकास में बाधा आ रही है। मेरे हिसाब से आरक्षण को हटा देना चाहिए, आरक्षण के कारण ही देश का असली टेलेंट छिप जा रहा है। लेकिन देश की राजनीति बिना आरक्षण के चल ही नही सकती है, इसलिए चुनाव से पहले सरकार ने जेनरल कैटेगरी को आरक्षण देने का काम किया है।

बंटी खान

सरकार ने सामान्य वर्ग में आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर तबके को नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है, यह सराहनीय है। केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले में धर्म की अड़चन नहीं रखी गई है, जो सबसे अच्छी बात है।

यश कुमार

इससे सामान्य श्रेणी में आने वाले देश के हर गरीब नागरिक को इस व्यवस्था का लाभ मिलेगा, उसमें हिंदू से लेकर मुस्लिम और दूसरे धार्मिक अल्पसंख्यक भी शामिल हैं।

फवाद अहमद

Posted By: Inextlive