RANCHI: रांची शहर में मिलेनियल्स स्पीक प्रोग्राम का दायरा बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम शहर के सामाजिक संगठन जूनियर चैंबर इंटरनेशनल(जेसीआई) के बीच पहुंची। राजनीतिक मुद्दे की शुरुआत रेडियो सिटी की आरजे वर्तिका ने की। वर्तिका ने युवा व्यवसायियों से जाना की आने वाले लोकसभा चुनाव 2019 में युवा उद्यमियों के मन में क्या चल रहा है। इन 4 सालों में युवा व्यवसायियों ने बिजनेस करने में कितनी परेशानियों को झेला और कितनी सुगमता से व्यवसाय किया। आरजे वर्तिका के तीखे सवालों का युवा व्यवसायियों ने अपने अंदाज में जवाब दिया। कहा-चुनाव में बिजनेस तो मुद्दा रहेगा।

अफसर नहीं कर रहे सपोर्ट

युवा व्यवसायियों ने कहा कि इन चार सालों में सरकार ने बहुत सारे नए सिस्टम इंट्रोड्यूस किए हैं। व्यवसाय में काफी बदलाव हो रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी परेशानी यह हो रही है है कि सरकार में शामिल अधिकारी मदद नहीं कर रहे हैं। आज भी अधिकारी जैसे पहले काम करते थे उसी ट्रेंड में काम करते हैं। जीएसटी से व्यवसायियों को बड़ी परेशानी है। जब इसके लिए अधिकारियों से मिलते हैं तो अधिकारियों का रवैया सहयोगात्मक नहीं होता है। सरकार कई तरह के नए बदलाव ला रही है, लेकिन अधिकारियों के मदद नहीं करने से व्यवसायी परेशान हैं।

जीएसटी को अगर थोड़ा ईजी बना दिया जाए तो व्यवसाय करना सुगम हो जाएगा। अभी हालत यह है कि जीएसटी की परेशानी को पूरा करने में ही समय लग जाता है। साथ ही जीएसटी भरने और जीएसटी से सारे काम को पूरा करने के लिए अलग से एक आदमी हायर करना पड़ रहा है। इसके लिए अलग से खर्च भी करना पड़ता है। यह परेशानी सरकार को समझने की जरूरत है ।

आशीष खोवाल

नोटबंदी के बाद नया बिजनेस शुरू करने में परेशानी बढ़ गई है। पहले कोई भी नया बिजनेस शुरू करने में इतनी परेशानी नहीं होती थी। लेकिन नोटबंदी और जीएसटी के बाद नए बिजनेस शुरू करने में युवा व्यवसायियों को थोड़ी परेशानी है। हालांकि जब देश बदल रहा है तो कुछ झेलने को हम लोग भी तैयार हैं।

अंकित जालान

सरकार ने स्टार्टअप को बढ़ाने के लिए कई तरह की सुविधाएं देने की बात की है, लेकिन जब भी कोई युवा व्यवसायी नया स्टार्टअप शुरू करने जा रहा है तो उसे पूरी जानकारी नहीं मिल पा रही है। साथ ही सरकार की ओर से क्या सुविधाएं मिलनी है वो भी नहीं पता चल रही है। इसलिए युवा नया कोई बिजनेस शुरू नहीं कर पा रहे हैं। यह मुद्दा तो रहेगा ही।

प्रतीक जायसवाल

व्यवसाय वर्ग सीधे-सीधे सरकार से जुड़ा है, जो पैसा कमाते हैं उसमें से एक हिस्सा सरकार को भी टैक्स देते हैं, लेकिन सरकार जो भी बात व्यवसायियों के हित की करती है उसे पूरा नहीं करती है। इस कारण परेशानी होती है, खासकर युवा व्यवसायी जो नया स्टार्टअप शुरू करते हैं उनको सरकार की ओर से मदद की आशा रहती है लेकिन मदद मिल नहीं पा रही है।

रौनक जैन

4 साल में सरकार ने बेहतर काम किया है। दो नए स्टेप लिए हैं जिससे आने वाले दिन में क्रंाति आएगी। व्यवसायी के हित में यह बेहतर है। फि लहाल इसका असर नहीं दिख रहा है, लेकिन आने वाले समय में यह व्यवसायियों के हित में होगा, टैक्स के जितने झंझट से हम व्यवसायी जूझते हैं इससे आने वाले दिनों में राहत मिलेगी।

हिमांशु

दूसरे राज्यों में सरकार व्यवसायियों को बिजली, पानी, सड़क सहित कई तरह की सुविधाएं बिजनेस करने के लिए देती हैं। बिजनेस में कई तरह की सब्सिडी भी दी जाती है, लेकिन राज्य में इसका अभाव है। इसके लिए सरकारी अधिकारी जिम्मेदार हैं जो सरकार की योजनाओं का लाभ व्यवसायियों को नहीं दे पा रहे हैं। साथ ही सरकार व्यवसायियों के लिए जो लाभकारी योजना बनाई है उसकी भी जानकारी सभी को उपलब्ध कराने की जरूरत है।

निशांत मोदी

कड़क बात

युवा व्यवसायी मंजीत जाजोदिया ने कहा कि इन 4 सालों में सरकार ने दो नए स्टेप लिये हैं, जिसका सीधा असर व्यवसाय पर पड़ा है। नोटबंदी और जीएसटी दो नई चीजों से व्यवसायियों को रूबरू होना पड़ा, जिसका उनके बिजनेस पर सीधा असर पड़ा है। नोटबंदी सरकार का बेहतर कदम है, लेकिन इससे होने वाली परेशानियों को दूर करने का प्लान पहले बनाना चाहिए था। जिस समय नोटबंदी हुई उस समय कैश ट्रांजेक्शन रोक दिया गया। इससे कई व्यवसायियों के व्यवसाय पर बहुत असर पड़ा। हालांकि अब नोटबंदी का असर धीरे-धीरे कम होने लगा है। वहीं, जीएसटी का भी बिजनेस पर सीधा असर पड़ा है। एक टैक्स एक देश यह अच्छा कांसेप्ट है, लेकिन जीएसटी को और ईजी करने की जरूरत है। इसमें कई सरलीकरण करने से व्यवसायियों को फ ायदा होगा। बहुत सारे लोग हैं जो जीएसटी के बारे में अभी भी हर चीज नहीं जानते हैं। इसलिए खासकर जो व्यवसायी वर्ग है जिनका इनसे सीधा संबंध है, उन्हें जीएसटी के बारे में हर चीज जानना जरूरी है।

मंजीत जाजोदिया

मेरी बात

युवा व्यवसायी राकेश जैन का मानना है कि जब से कैश ट्रांजेक्शन पर मॉनिटरिंग की जा रही है, उससे व्यवसायियों को भी लाभ हो रहा है। व्यवसाय में ट्रांसपेरेंसी आई है। साथ ही एक टैक्स जीएसटी लागू होने से जो हर जगह हर विभाग में अलग-अलग टैक्स देना पड़ता था उससे भी मुक्ति मिली है। बस जरूरी है कि जीएसटी को और ईजी बनाया जाए। जीएसटी में हर आदमी एक्सेस कैसे हो इसके बारे में सोचने की जरूरत है। नोटबंदी के बाद कैश ट्रांजेक्शन पर रोक लगने से व्यवसाय और कंज्यूमर दोनों के बीच ट्रांसपेरेंसी आई है। नोटबंदी और जीएसटी सरकार के दो ऐसे कदम हैं, जिससे व्यवसाय पर इसका असर पड़ा है। शुरुआत में कुछ दिनों तक परेशानी हुई लेकिन अब धीरे-धीरे सभी व्यवसायी इसे एडॉप्ट कर रहे हैं और बिजनेस में शामिल करके व्यवसाय को आगे बढ़ा रहे हैं।

राकेश जैन

वर्जन

व्यवसायियों के प्रति अधिकारियों का नजरिया अब तक नहीं बदल पाया है। गवर्नमेंट अधिकारियों से व्यवसाय वर्ग टकराना भी नहीं चाहता हैं, क्योंकि उनको व्यवसाय करना है। जब सरकार इतने तरह के नए बदलाव ला रही है तो अधिकारियों से सहयोगात्मक रवैया अपनाने की आशा की जाती है।

गौरव महेश्वरी

सरकार ने इन चार सालों में कुछ नई चीजों को इंट्रोड्यूस किया है। नोटबंदी और जीएसटी के बाद से नए व्यवसायियों को कुछ भी नया व्यवसाय करने में परेशानी हो रही है। जीएसटी जितना कॉम्पि्लकेटेड हो गया है उससे व्यवसायियों की परेशानी बढ़ गई है। जीएसटी को आसान बनाने की जरूरत है।

निखिल पोद्दार

अब भी व्यवसाय वर्ग जीएसटी और नोटबंदी से नहीं उबर नहीं पाया है। हालांकि धीरे-धीरे कोशिश है कि जीएसटी के कॉम्पि्लकेशन को समझ लिया जाए, लेकिन जीएसटी इतना टफ है कि हर आदमी के समझ से बाहर है। सरकार द्वारा खासकर व्यवसायियों को जीएसटी के बारे में सारी जानकारी, सारी ट्रेनिंग उपलब्ध कराने की जरूरत है, क्योंकि व्यवसायियों का सीधा संबंध जीएसटी से ही पड़ता है।

सिद्धार्थ जायसवाल

अभी भी कई व्यवसायी जीएसटी को अडॉप्ट नहीं कर पाए हैं। बहुत सारे व्यवसायी अपने बिजनेस से अधिक जीएसटी के कॉम्पि्लकेटेड मामले को सुलझाने में समय लगा रहे हैं। हालांकि यह सरकार का बेहतर कदम है कि हम लोगों को एक ही जगह टैक्स देना पड़ता है, लेकिन इसकी कांप्लीकेशन को सुधारने की जरूरत है।

मोहित वर्मा

Posted By: Inextlive