GAYA/PATNA: बोधिसत्व की प्राप्ति में करुणा और मैत्री भाव अत्यधिक सहायक है। यह जीवन में विशेष ऊर्जा का संचार करता है। चाहे किसी धर्म के अनुयायी हों, हर धर्म की परंपरा को जानना चाहिए। तिब्बतियों के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने मंगलवार को टीचिंग प्रोग्राम के दौरान कालचक्र मैदान में श्रद्धालुओं को विनय का पाठ पढ़ाते हुए जीवन में इसकी उपयोगिता बताई। उन्होंने कहा कि शांति, करुणा और मैत्री भाव से ही बोधिसत्व की राह निकलती है। बौद्ध धर्म के पंचशील का अनुपालन उपासक और उपासिका के लिए निहायत ही जरूरी है। इसी से विनय का भाव जागृत होगा। उन्होंने कहा कि स्व हित के बारे में नहीं सोचें। परहित के बारे में सोचें, लेकिन ऐसा करने से पहले आपको ज्ञान की जरूरत होगी। ज्ञान अभ्यास से ही प्राप्त होगा। उन्होंने सभी को पंचशील की शिक्षा दी। दलाई लामा ने कहा कि बोधिसत्व प्राप्त करने के लिए दीक्षा लेनी जरूरी है। धरती के सभी जीव सुखी रहना चाहते हैं। पंचशील का अनुपालन नहीं करते हैं तो जीवन में क्षति का भी सामना करना पड़ता है। उन्होंने सभी धर्मो के अनुयायियों को निकट संपर्क बनाने और एक-दूसरे की परंपराओं से सीखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी धमरें में अनूठा ज्ञान समाहित है, जिससे लोग लाभान्वित होते हैं।

Posted By: Inextlive