-दलाई लामा ने दिया संदेश, कालचक्र मैदान में प्रोग्राम शुरू

GAYA/PATNA: निर्वाण के लिए भगवान बुद्ध के संदेश को समझना होगा। तिब्बतियों के धर्म गुरु दलाई लामा ने इसे समझाते हुए कहा कि बुद्ध कह गए हैं कि मैं मार्गदाता हूं। आप कुशल कर्म का अभ्यास कर स्वयं निर्वाण प्राप्त कर सकते हैं। प्रज्ञा पारमिता के हृदय सूत्त में इसके लिए पांच मार्ग (सम्मार्ग, प्रयोग मार्ग, दर्शन मार्ग, भावना मार्ग और असच्च मार्ग) बताए गए हैं। इनका निरंतर अभ्यास करना चाहिए। बोधगया के कालचक्र मैदान में तीन दिवसीय टीचिंग प्रोग्राम की शुरुआत सोमवार से हुई। दलाई लामा को सुनने के लिए श्रद्धालु बहुत पहले से जुट हुए थे। सम्मान में खड़ा होकर अभिवादन करने वाले सभी श्रद्धालुओं को दलाई लामा ने हाथ हिलाकर आशीष दिया।

अनुभव से दिखाया मार्ग

टीचिंग प्रोग्राम की शुरुआत करते हुए दलाई लामा ने कहा कि भगवान बुद्ध ने अपने अनुभव से हमें मार्ग दिखाया है। धर्म को मानने-नहीं मानने की आपकी स्वतंत्रता है, लेकिन मनुष्य होने के नाते स्वभाव को करुणामय बनाए रखना चाहिए। क्रोध से शारीरिक क्षमता नष्ट होती है। इसलिए क्रोध पर नियंत्रण जरूरी है।

महिमा और मुक्ति का मार्ग

दलाई लामा ने कहा कि जब 9वीं सदी में तिब्बत में बौद्ध धर्म का हृास होने लगा तो आचार्य शांत रक्षित आए। उन्होंने बौद्ध धर्म के उत्थान में पुन: मदद की। बुराई को दूर करने वाले गुरु का साथ रहना श्रेयस्कर है। गुरु की 10 विशेषताएं होती हैं, जो कल्याण मित्र के समान हैं। कल्याण मित्रों के संगत से क्लेश का क्षय होता है। जे रिनपोछे ने भी कहा है कि जो अपने चित्त को विशुद्ध कर लेता है, वह अच्छा गुरु है। आचार्य नार्गाजुन और असंग का कोई आवासन नहीं था, लेकिन वे अच्छे गुरु थे। एक अच्छा शिष्य होने के नाते तटस्थ चित्त रखकर चिंतन करना चाहिए। सोच-समझ कर गुरु के शरणागत होना चाहिए। प्राय: दूषित स्थान का त्याग कर देने से क्लेश घट जाता है।

Posted By: Inextlive