RANCHI : आपकी पॉकेट पर हर साल लगभग सात करोड़ का बट्टा लग रहा है। आपको एक बार भले यकीन न हो, पर यह सच्चाई है। यह मामला है कटे-फटे पुराने नोटों की बदली का। अपनी सिटी के बिजनेसमेन के साथ ही वैसे लोग जिन्हें डैमेज नोट की बदली करानी होती है, वे यहां के वेंडर्स पर डिपेंड करते हैं।

36 करोड़ का है कारोबार

सिटी के कचहरी चौक पर कटे-फटे नोटों को बदलने का काम करनेवाले मनोज कुमार ने बताया कि रांची में हर दिन 10 लाख रुपए के पुराने नोटों की बदली का काम होता है। उन्होंने बताया कि सिटी में लगभग 50 वेंडर्स हैं। हर वेंडर के पास एक दिन में एवरेज 20 हजार रुपए के नोटों की बदली होती है। इस तरह से एक दिन में 10 लाख, एक महीने में तीन करोड़ और एक साल में लगभग 36 करोड़ का कारोबार होता है। नोट की स्थिति के अनुसार बदली के नाम पर लोगों से 10 से 50 परसेंट तक बट्टा काटा जाता है, जिसका एवरेज लगभग 20 परसेंट होता है। यानी एक साल में 36 करोड़ के ट्रांजेक्शन पर 7.2 करोड़ रुपए बट्टा के नाम पर कट जाते हैं।

तो नहीं होगी दिक्कत

सिटी के कचहरी चौक पर ही नोट बदली का काम करनेवाले छोटेलाल गुप्ता कहते हैं कि यदि यहां आरबीआई का फुल लेज्ड ऑफिस ाुल जाए तो लोगों को नोट बदलने में कोई दिक्कत नहीं होगी और हमें ाी नोट बदली के लिए पटना आरबीआई की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।

मधु कोड़ा ने किया था इनॉगरेशन

सिटी के कचहरी रोड स्थित प्रगति सदन बिल्डिंग में आरबीआई के किराए के ावन का इनॉगरेशन 15 नवंबर 2007 को तत्कालीन सीएम मधु कोड़ा ने किया था। उस समय बैंक के जीएम इंचार्ज डॉ रवि मिश्रा थे। बैंक आी ाी उसी स्थिति में है। यहां रूरल प्लानिंग एंड क्रेडिट डिपार्टमेंट और फाइनेंशियल इंक्लूजन सेल है। यहां न तो डैमेज नोट की बदली होती है और न ही लोगों को सिक्के प्रोवाइड कराए जाते हैं।

Posted By: Inextlive