- खुल्दाबाद पुलिस कालोनी बिल्डिंग की तीसरी मंजिल का गिरा बारजा

- पुलिस कांस्टेबल समेत तीन लोग हुए जख्मी, क्षतिग्रस्त क्वार्टर में घंटों फसी रही फैमिली

- आई नेक्स्ट की पहल पर चला रेस्क्यू अभियान, फायर बिग्रेड ने फैमिली को बचाया

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ALLAHABAD: खुल्दाबाद पुलिस स्टेशन का आवासीय परिसर। तीन मंजिला इमारत में बसे 106 लोग। संडे मार्निग पुलिस स्टेशन के पीछे की इमारत से अचानक कुछ गिरने की आवाज के बाद चीख पुकार मच जाती है। पता चलता है कि तीसरी मंजिल पर रहने वाले कांस्टेबल रोहित साहनी की के कमरे का बारजा ढह गया है। हादसे में कांस्टेबल सहित तीन लोग घायल हो गए है और बाहर निकलने का रास्ता बंद हो जाने के कारण उसकी फैमिली अंदर कैद हो गई है। इसके बाद परिसर में हड़कंप मच गया।

खुद ही करा रहा था मरम्मत

सुबह यूं था कि बारजे की स्थिति जर्जर हो चुकी थी। तीसरी मंजिल पर एक तरफ कांस्टेबल रोहित तो दूसरी ओर दीपक की फैमिली रहती है। बारजा से होकर रूम में जाने का रास्ता है। जर्जर बारजा को ठीक कराने के लिए रोहित ने खुद के पैसे ही दो मजदूर बुलाया। मजदूर ने बताया कि मकान पूरा जर्जर है। इसे तोड़कर ठीक करना होगा। सुबह साढ़े आठ बजे जैसे एक मजदूर ने बारजा को सही करने की कोशिश की कि अचानक से पूरा बारजा ढह गया। उस दौरान वहां रोहित के साथ दोनों मजदूर थे। तीनों नीचे गिरे और गंभीर रूप से जख्मी हो गए। इस घटना से वहां हड़कंप मच गया। पहली मंजिल में रहने वाले स्तब्ध रह गए। बारजा गिरने से उनके आंगन में रखा सामान भी पूरा खराब हो गया।

पहुंचाया हॉस्पिटल

अचानक हुए इस हादसे ने वहां के लोगों के होश उड़ा दिए। रोहित के घर में उसकी वाइफ मनीषा, बेटा आकाश और बेटी काजल रोने लगे। उन्होंने देखा तो चिल्लाना शुरू किया। लेकिन वह चाह कर भी कमरे से बाहर नहीं आ सकते थे। क्योंकि बाहर निकलने का रास्ता ही नहीं बचा था। पड़ोसियों ने मदद की। रोहित और दोनों मजदूरों को जख्मी हालत में हॉस्पिटल में पहुंचाया। रोहित के हाथ में चोट लगी थी। उसको डॉक्टर ने फ‌र्स्ट एड करके छोड़ दिया। जबकि एक मजदूर का सिर फटने के कारण उसे हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा।

पांच घंटे रहे कैद

दो घंटे के बाद रोहित घर वापस आ चुके थे। करेली में पोस्टेड रोहित को अपने से ज्यादा अपने परिवार की चिंता बनी थी। सुबह साढ़े आठ बजे से फैमिली कमरे में कैद थी। उन्हें बाहर निकालना था। किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था। रोहित ने अपने पड़ोसी दीपक से मदद मांगी।

खतरनाक था बाहर निकलना

दीपक ने एक रस्सी और फोल्डिंग चारपाई का इंतजाम किया। फोल्डिंग को चारों तरफ से रस्सी से बांध दिया गया। फिर उसे टूटे बारजे में फंसाने की कोशिश की गई। ताकि उस पर चढ़ कर रोहित के बच्चे और वाइफ बाहर आ सकें। लेकिन ऐसा करना खतरे से खाली नहीं था। क्योंकि वहां की स्थिति देखकर यह लग रहा था कि ऐसा करने पर एक और हादसा हो सकता है।

आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने की पहल

इस घटना की जानकारी मिलने के बाद आई नेक्स्ट रिपोर्टर वहां पहुंच गए। पता चला कि खुल्दाबाद पुलिस मीटिंग में गई है और अधिकारी इस हादसे से अंजान हैं। रिपोर्टर ने इनीसिएटिव लेते हुए रिपोर्टर ने डीआईजी भगवान स्वरूप को हकीकत से रूबरू कराया। इसके बाद खुल्दाबाद पुलिस मौके पर पुलिस पहुंच गई।

फायर टीम ने संभाली कमान

डीआईजी के आदेश पर वहां पर फायर ब्रिगेड की टीम पहुंच गई। मदद के लिए फायर टीम में राकेश तिवारी, छोटे लाल, विनोद और शिव पहुंच गए। लेकिन वहां पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुंचना संभव नहीं था। क्योंकि लोगों ने बिजली का तार अपने तरीके से लगाया था। हर जगह तार लटका था। फिर एक ही आप्शन बचा था। सीढ़ी की मदद से उन्हें बाहर निकाला जाए। फायर ब्रिगेड की टीम ने फोल्डिंग वाली सीढ़ी मंगाई। तीसरी मंजिल तक सीढ़ी लगाई गई और बालकनी साइड से पुलिस टीम ऊपर पहुंच गई।

चैन की सांस ली

साढ़े आठ बजे से घर में फंसी फैमिली ने दोपहर सवा एक बजे फायर ब्रिगेड टीम को सामने देख राहत की सांस ली। फायर बिग्रेड ने एक- एक करके दोनों बच्चों को नीचे उतारा। अब रोहित की वाइफ मनीषा की बारी थी। लेकिन मनीषा ने तय कर लिया था अब यहां नहीं रहना है। उसने अपना सामान पैक किया और पहले उसे उतारा। फिर डरते डरते तीसरी मंजिल से नीचे उतरी। इसके बाद रोहित अपने फैमिली मेम्बर्स को लेकर किसी रिलेटिव के यहां चले गए।

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1969 का बना है मकान

- वर्षो पुराने मकान में रहते हैं पुलिस वाले

- कोई पूछने वाला नहीं, ज्यादातर मकान जर्जर हालत में

ALLAHABAD: खुल्दाबाद थाना परिसर में पुलिस कांस्टेबल और सब इंस्पेक्टर, दोनों के रहने वाले लिए फ्लैट बने हुए हैं। स्थानीय लोगों की माने तो क्9म्9 में यह फ्लैट बने थे। उसके बाद से यहां पर कोई रिपेयरिंग का काम नहीं हुआ है। नतीजा यह है कि बिल्डिंग आज जर्जर हालत में पहुंच चुकी है। जो लोग यहां पर वर्षो से टिके हैं वह लोग अपने रुपए से रूम की डेंटिंग पेंटिंग कराते रहे हैं। ऐसे में बाहर से देखने में लगता है कि सब कुछ ठीक है। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। संडे को जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पड़ताल की तो यहां की ज्यादातर बिल्डिंग जर्जर होकर गिरने की कगार पर दिखी। कई मकानों के छज्जे टूट कर गिर चुके हैं।

सबने सुनाया अपना दर्द

परिसर में रह रही पुलिस वालों की फैमिलीज ने आई नेक्स्ट रिपोर्टर से अपने घरों की हालत बयां कीं। जिस बिल्डिंग में रोहित रहता है, उसी के नीचे सेंकेड फ्लोर पर शिव प्रकाश और श्रीराम चन्द्र की फैमिली रहती है। फ‌र्स्ट फ्लोर पर राम और संगम सिंह की फैमिली रहती है। सेकेंड फ्लोर पर रहने वाली फैमिलीज ने भी ने अपने घर की स्थिति दिखाई। जो हाल तीसरी मंजिल का था वही हाल दूसरी मंजिल का भी दिखा। बारजे की स्थिति नाजुक थी। इन लोगों ने बताया कि कुछ दिन पहले पुलिस हेड क्वार्टर से लोग देखने आए थे। कुछ नोट करके भी ले गए। लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ।

हमेशा होते हैं यहां हादसे

कैंपस में एक लड़के ने बताया कि हर साल एक-दो घटनाएं बारजा गिरने की होती रहती हैं। कुछ माह पहले ही एके सिंह के यहां भी यही हुआ था। जिससे वह सीधे नीचे गिरे और जख्मी हो गए थे। उनका भी बारजा टूटा था। केवल एके सिंह ही नहीं बल्कि यहां पर कई लोग मकान गिरने से हादसे के शिकार हो चुके हैं।

Posted By: Inextlive