क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: कहते हैं कि जल ही जीवन है. लेकिन जब जल के स्रोत ही नहीं रहेंगे तो पानी कहां से आएगा. यही वजह है कि सिटी में लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. कुछ ऐसा ही नजारा हिंदपीढ़ी के खेत मोहल्ला में देखने को मिल रहा है, जहां एक समय में तीन बड़े तालाब हुआ करते थे. लेकिन उन तालाबों को भरकर मैदान बना दिया गया. इतना ही नहीं, आज आसपास इलाके में दस हजार से अधिक मकान भी बन चुके हैं. इससे पानी के सोर्स तीन तालाबों का नामो निशान गायब हो गया है. वहीं प्रशासन ने कभी इन तालाबों को बचाने पर ध्यान ही नहीं दिया. इसका खामियाजा पब्लिक भुगत रही है.

कभी कम नहीं होता था वाटर लेवल

इस इलाके में तीन बड़े तालाब थे, जिससे कि आसपास में दूर-दूर तक वाटर लेवल अच्छा था. कुछ फीट की बोरिंग में ही लोगों को पानी का लेयर मिल जाता था. लेकिन अब डीप बोरिंग के बाद भी पानी का लेयर नहीं मिल पा रहा है. एक समय था जब बोरिंग या कुएं में भी वाटर लेवल कम नहीं होता था. आज स्थिति पहले की तुलना में बिल्कुल ही उलट गई है.

तालाब गायब, पानी का संकट

हिंदपीढ़ी का खेत मोहल्ला तालाबों के लिए जाना जाता था. लेकिन आज उन तालाबों को भरने के बाद वहां कई मोहल्ले बस गए हैं. जिसमें हजारों लोग घर बनाकर रह रहे हैं. वहीं कई बड़े-बड़े अपार्टमेंट भी वहां आकार ले रहे हैं. लेकिन आज भी लोगों को पानी के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है. सैकड़ों फीट बोरिंग करने के बाद भी नाममात्र का पानी मिलना बड़े संकट की आहट है.

तालाब के ऊपर बन गए मोहल्ले-अपार्टमेंट

तीन बड़े तालाबों को भरकर पहले तो मैदान बना दिया गया. इसके बाद आसपास के इलाकों में घर बनने शुरू हो गए. इलाके में आबादी बढ़ने के साथ ही अपार्टमेंट भी बनाने का काम तेजी से चल रहा है. इसके बावजूद न तो नगर निगम ने कभी इस ओर ध्यान दिया और न ही जिला प्रशासन ने. इसी का नतीजा है कि आज वहां पर तेजी से अतिक्रमण जारी है. आज भी लोग धीरे-धीरे जमीन पर कब्जा जमाकर घर और दुकान बनाने में जुटे हैं.

Posted By: Prabhat Gopal Jha