Allahabad: सिटी के लगभग हर मुहल्ले के लोग इस खौफ और दहशत के साए में जी रहे हैं. खास तौर से बरसात के दिनों में तो घर सुरक्षित होता है और न ही बाहर. इसके दो बड़े एग्जाम्पल एक पखवारे के भीतर ही हमारे सामने आए. पहली घटना सीएवी इंटर कॉलेज कैंपस के पास हुई थी. इस घटना में आधा दर्जन बेजुबान मवेशियों को जान गंवानी पड़ गई थी. दूसरी घटना थर्सडे को हुई थी. इसमें एक युवक बुरी तरह से झुलस गया था. इन दानों घटनाओं के बहाने हमने चेक किया अपने शहर को. कहां-कहां कभी भी खतरा बन सकते हैं हाईटेंशन वॉयर. लोगों के साथ बिजली विभाग के ऑफिसर्स से समझने की कोशिश की कि आखिर यह स्थिति क्यों है और इस खौफ से मुक्ति कब तक और कैसे मिल सकती है.


घनी आबादी में खतरा अधिक सिटी में ऐसे कई इलाके है जहां लोगों के घरों के ऊपर या फिर उनके बारजे के पास से बिजली का तार जा रहा है। इनमें करेली, दरियाबाद, खुल्दाबाद, कटरा, कर्नलगंज, कोतवाली, चौक जैसे मुहल्ले शामिल हैं जहां घनी आबादी है और व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी। इन एरियाज में अधिकतर घरों के ऊपर से हाईटेंशन वायर गुजरे मिले। ये तार कभी भी खतरा बन सकते हैं। सबसे ज्यादा नाजुक स्थिति करेली एरिया की है जहां घनी आबादी के बीचों बीच से 33 हजार केवीए की हाईटेंशन लाइन गई है। वॉयर यहां स्थित घरों से महज एक से डेढ़ फुट की ऊंचाई पर हैं। यहां के लोग बताते हैं कि हाईटेंशन तार से आने वाली आवाज रोंगटे खड़े कर देने वाली होती है। कोई रास्ता नहीं    
आई-नेक्स्ट ने लोगों की ओपीनियन ली तो उनका कहना था कि तार अत्यधिक पुराने हो गए हैं। ये इतने कमजोर हैं कि आंधी और बारिश के दिनों में इनके टूटकर गिर जाने की संभावना हमेशा बनी रहती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि मुहल्ले में लगने वाले बिजली विभाग के कैंप के दौरान वे लोग इस समस्या को उठा चुके हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं होता। इसे लेकर कई बार धरना-प्रदर्शन भी किया जा चुका है फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।लोग खुद ही हैं जिम्मेदारउधर, इस मामले में बिजली विभाग के जिम्मेदार ऑफिसर्स का कहना है कि इस स्थिति के लिए लोग खुद जिम्मेदार हैं। जिस वक्त तार लगाए गए थे उस वक्त इसके नीचे खाली जमीन हुआ करती थी। लोगों ने बहुमंजिली इमारतें बनवा ली और कनेक्शन नहीं था तो कटिया मारकर काम चलाने लगे। इससे तार कमजोर हो गए। तारों के टूटने का यही एक मात्र कारण है क्योंकि तारों से छेड़छाड़ न की जाय तो वे अपने से टूट ही नहीं सकते। आंकड़े जो कहानी कहते हैंपूरे जिले में दौड़ाए गए बिजली के तार                    500 किलोमीटरशहर में दौड़ाए गए बिजली के तार करीब                 20 किलोमीटरवर्तमान समय में चल रहे काम से तार बदले जाएंगे            100 किलोमीटरशहर की कुल आबादी (वर्ष 2010 की जनगणना के अनुसार)     करीब 16 लाखशहर में कुल वैध कनेक्शन धारकों की संख्या     1.87 लाखशहर में कुल अवैध कनेक्शन यूज करने वालों की संख्या         20 हजारक्र(वर्ष 2005 में एक विशेष योजना के तहत 10 परसेंट तार बदले गए थेक्र)


हमने थोड़े ही घरों के ऊपर से तार दौड़ाए हैं। लोगों ने जमीनें खरीदकर तारों के नीचे घर जरूर बनवा लिया है। यह शहर के आउटर एरिया की मेजर प्राब्लम है। इसे हटाया तभी जा सकता है जब सरकार की तरफ से इस मद में काम के लिए बजट एलॉट हो। दूसरा तरीका यह है कि लोग खुद अप्लीकेशन दें और तार/पोल शिफ्ट करने का खर्च वहन करें तो हम यह काम कर सकते हैं। थर्सडे को हुई घटना की जांच कराई जा रही है लेकिन एक बात जो सच है वह यह कि तार कभी अपने से नहीं टूटते। यह कटिया डालने या फिर किसी और तरीके से छेड़छाड़ करने पर टूटते हैं। लोगों को इस खतरे से खुद अॅवेयर होना होगा। मो। फिरोजएग्जीक्यूटिव इंजीनियर

Report by, Ajeet Pratap Singh

Posted By: Inextlive