'चालान' के लिए भी 'तारीख'
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गाडि़यों का किया गया तीन महीने में चालान 01 काउंटर पुलिस लाइन में है जहां जमा होता है चालान का जुर्माना 100 लोग ही एक दिन में जमा कर पाते हैं एक दिन में काउंटर पर पैसा 444 दिन लग जाएंगे सिर्फ अप्रैल से जून के बीच काटे गये चालान का शुल्क जमा होने में 14717 गाडि़यों का कुल अप्रैल महीने में हुआ चालान 8977 वाहनों का मई माह में ट्रैफिक पुलिस ने किया चालान 20938 गाडि़यों का जून महीने में विभिन्न धाराओं में हुआ चालान सीज व चालान गाडि़यों को छुड़ाने के लिए भटक रहे हैं लोग जुर्माना जमा होने पर मिलती है रसीद, कागज के लिए जाना पड़ता है ट्रैफिक लाइन mukesh.chaturvedi@inext.co.inPRAYAGRAJ: शासन का दबाव और जुर्माने की रकम बढ़ने के बाद गाडि़यों की चेकिंग और चालान में जबरदस्त तेजी आई है। चालान के बाद गाडि़यों के जुर्माने की रकम जमाकर वाहन छुड़ाने की व्यवस्था यहां कंडम है। जुर्माना जमा करने के लिए पब्लिक को सिर्फ एक काउंटर मिला है। इस पर डेली औसत 100 लोग ही फीस जमा कर पा रहे हैं। इससे पब्लिक परेशान है। उन्हें तारीख पर तारीख मिल रही है।
अव्यवस्था बनी परेशानी का सबबहाल ही में शासन ने गाडि़यों पर जुर्माने की रकम बढ़ायी है। जुर्माने की राशि बढ़ने के बाद वाहन चेकिंग व चालान ने रफ्तार पकड़ लिया है। चालान की गई गाडि़यों पर लगाए गए जुर्माने की रकम जमा करने के लिए पुलिस लाइंस में सिर्फ एक काउंटर है। गांव तो दूर शहर के ही तमाम लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। लोग चालान की रसीद लेकर भटक रहे हैं। सीओ ट्रैफिक कार्यालय सूरज कुंड से लेकर तमाम जगह चक्कर काटने के बाद वह पुलिस लाइंस में बने काउंट तक पहुंच पा रहे है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियलिटी चेक में चौंकाने वाली बातें सामने आई।
मालिकों का जाया होता है समय पुलिस लाइंस में स्थित एक काउंटर पर दो लोग तैनात किए गए हैं। इनमें एक कागजात की चेकिंग तो दूसरा कैस की इंट्री व जमा करने का काम करता है। इससे गाड़ी मालिकों को अपने नंबर आने का इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद सर्वर काम न करने की समस्या कॉमन है। गलती अफसर की भुगत रहे लोगजुर्माने की रकम जमा करने कागजात छुड़ाने पुलिस लाइंस काउंटर पर दर्जनों लोग मिले। दो कार के मालिक वहां खड़े थे। वह इस बात से परेशान थे कि उनकी गाड़ी का चालान कहां और किसलिए हुआ, यह मेंशन ही नहीं था। चालान करने वाले अधिकारी द्वारा गाड़ी की फोटो दूर से खींचे जाने के कारण नंबर स्पष्ट नहीं था। चालान पर भी गाड़ी नंबर अंकित नहीं था। उनकी इस समस्या का हल भी बताने वाला वहां कोई नजर नहीं आया।
किस गाड़ी का कितना चालान माह ट्रक बस कार तिपहिया बाइक अप्रैल 1464 248 3768 1675 7562 मई 1692 45 3066 1253 2921 जून 2274 -- 6167 3825 8672 चालान रसीद पर काउंटर कहां है इसका भी जिक्र होना चाहिए। पहले ट्रैफिक सीओ के यहां जुर्माना जमा हो जाता था। अब चालान कहीं का भी हो, जुर्माना पुलिस लाइंस में काउंटर पर ही होगा। मेरी कार का चालान रसीद घर पहुंची थी। रसीद पर न तो चालान का स्थान है और न ही गाड़ी नंबर फोटो में स्पष्ट समझ आ रहा। आनन्द कुशवाहा, दारागंजबड़ी दिक्कत है भाई साहब, दो दिन पहले शंकरगढ़ से सिर्फ गाड़ी जुर्माना जमा करने ही आया था। सुबह से दोपहर हो गया काउंटर खोजने में। किसी तरह पहुंचे तो पता चला कि सर्वर डाउन है। चालान रसीद पर गाड़ी नंबर गलत बता रहा है। जबकि पता और नाम मेरा ही है। बता रहे हैं कि साहब से मिलना पड़ेगा। बड़ी नौटंकी बढ़ गई है।
रमेश कुशवाहा, शंकरगढ़ सिविल लाइंस में मेरी गाड़ी सीज कर दी गई थी। जुर्माना जमा कर चुका हूं। अब कागज के लिए बता रहे हैं कि ट्रैफिक लाइन जाना पड़ेगा। एक तो खोजते हुए यहां पुलिस लाइंस में बने काउंटर पर पहुंचे। अब चलें ट्रैफिक लाइन खोजें। अरे जमा किए गए कागज के लिए भी पुलिस लाइंस में ही एक काउंटर बना देते। प्रदीप मिश्र, नवाबगंज पहली चीज तो एक ही काउंटर हैं। जो दो लोग यहां बैठाए गए हैं एक कागजात की चेकिंग तो दूसरे कैस जमा करने में ही व्यस्त रहते हैं। कागजात व चालान का कम्प्यूटर पर चेकिंग में काफी वक्त लगता है। आधे घंटे लाइन में लगने के बाद जुर्माने की रकम जमा कर सका। पंकज मिश्र, म्योराबाद काउंटर पर इतनी भीड़ नहीं होती कि दो या तीन काउंटर खोलना पड़े। सर्वर डाउन होने की समस्या विभागीय नहीं है। पैसा कहां जमा करना यह जानकारी हो लोगों को नहीं है, तो वह चौराहों पर ड्यूटी में लगे ट्रैफिक के जवानों से पूछ सकते हैं। इसमें भटकने जैसी कोई बात नहीं है। कुलदीप सिंह, एसपी ट्रैफिक