RANCHI: रिम्स कैंपस में स्थित चैरिटी दुकान दवाई दोस्त लोकल कंपनी की दवाएं नहीं बेच सकेगा। डायरेक्टर डॉ। डीके सिंह ने इसकी बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया है। साथ ही वहां की दवाओं की क्वालिटी जांच भी कराई जा रही है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि दवाएं कितनी कारगर हैं। बताते चलें कि नवंबर में हुई रिम्स जीबी की बैठक में दवाई दोस्त समेत कई दुकानों को हटाने का आदेश दिया गया था। इसके बाद प्रबंधन ने अपनी ओर से कार्रवाई शुरू कर दी है।

मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की बेचनी होगी दवाएं

देश में कई तरह की दवा कंपनियां हैं जो दवाएं बना रही हैं। ये दवाएं मार्केट में अच्छी कीमतों पर भी मिलती हैं। हालांकि कुछ मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां जेनरिक और सस्ती दवाएं भी बनाती हैं। ये दवाएं भी ब्रांडेड जितनी ही कारगर होती हैं। ऐसे में डायरेक्टर ने तत्काल प्रभाव से दवाई दोस्त के संचालक को मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की दवाएं बेचने को कहा है।

लोकल कंपनी की बेच रहे दवाएं

कई ऐसी दवाएं भी हैं जिसका प्रोडक्शन लोकल लेवल पर कर मार्केट में बेचा जाता है। इसकी कीमत अन्य दवाओं की तुलना में काफी कम होती है। वहीं ऐसी दवाओं का सर्टिफिकेशन भी वैलिड नहीं होता। इसके बावजूद सिटी की दवाई दोस्त समेत अन्य दुकानों में लोकल कंपनी की दवाएं भी मरीजों को बेची जा रही है।

सस्ती दवा को लेकर दोबारा रिव्यू

हॉस्पिटल में इलाज के लिए हर तबके के मरीज आते हैं। इसमें ज्यादा मरीज गरीबी रेखा स्तर के होते हैं। ये लोग महंगी दवाएं खरीदने में असमर्थ होते हैं। ऐसे ही मरीजों की परेशानी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कैंपस में दवाई दोस्त खोलने की परमिशन दी थी। लेकिन टेन्योर खत्म होने के बाद भी दवाई दोस्त का संचालन जारी है। यह देख जीबी ने इसे हटाने का आदेश दिया था। लेकिन मरीजों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने की पहल को देखते हुए दोबारा से रिव्यू किया जा रहा है।

वर्जन

दवाई दोस्त के संचालक को लोकल कंपनी की दवाएं बंद करने को कहा गया है। वे केवल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी की ही दवाएं सस्ती दर पर मरीजों को उपलब्ध कराएंगे। दवाओं की क्वालिटी की भी जांच कराई जाएगी। अगर दवा को लेकर कोई कंप्लेन आती है तो कार्रवाई करेंगे।

डॉ.डीके सिंह, डायरेक्टर, रिम्स

Posted By: Inextlive