Bareilly: वाकई कानपुर जू एडमिनिस्ट्रेशन ने लापरवाही की सारी हदें पार कर दीं. इसका नतीजा ट्यूजडे देर रात को देखने को मिला जब बाघिन त्रुशा के तीसरे बच्चे गौरी ने दम तोड़ दिया. बेशर्मी की हद तो तब हो गई जब उसका अंतिम संस्कार भी खुले मैदान में कर दिया गया. जू एडमिनिस्ट्रेशन की लापरवाही का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले ढाई महीने में अब तक चार जानवरों की मौत हो चुकी है.


हद कर दी इन्होंनेभले ही जू डायरेक्टर और ऑफिसर्स ये कहकर अपना पल्ला झाड़ लें कि कॉर्निवोरस कैटेगरी में बाघिन के बच्चों का सर्वाइवल सिर्फ 50 परसेंट ही होता है, लेकिन जू ऑफिसर्स ने लापरवाही में कोई सुधार नहीं किया। इनकी संवेदनहीनता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि त्रुशा के दो बच्चों की मौत के बाद भी तीसरे बच्चे की देखभाल का प्रॉपर ध्यान नहीं दिया, जिससे उसकी भी मौत हो गई। आखिर अब क्या हो गया


30 मई को कानपुर जू में बाघिन त्रुशा ने तीन बच्चों को जन्म दिया था। एक्सपर्ट के मुताबिक कॉर्निवोरस कैटेगरी में बच्चों का सर्वाइवल जन्म के तीन महीनों तक ज्यादा टफ होता है। पर त्रुशा के तीनों बच्चे उस टफ पीरियड को पार कर चुके थे। सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि पांच महीने से लेकर साढ़े छह महीने की उम्र में बच्चों को ऐसा क्या हो गया कि उनकी मौत हो गई।तो बच जाती जान

अगर बाघिन त्रुशा के तीनों बच्चों का फुल डायग्नोस पहले ही करा लिया गया होता तो शायद एक-एक करके तीनों बच्चों की मौत न होती। दूसरे बच्चे की मौत के बाद तीसरे बच्चे गौरी के यूरिन के सैम्पल के साथ ही ब्लड सैम्पल भी लिया गया था। इससे पीएच, ब्लड शुगर, एलसीपीटी, किडनी में प्रोटीन की क्वांटिटी लेवल की जांच की गई थी। जू एडमिनिस्ट्रेशन ने उसकी सभी रिपोर्ट नॉर्मल बताईं थी। अब गौरी की मौत के बाद इस रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। चार animals की मौतबीते ढाई महीनों में कानपुर जू में 4 जानवरों की मौत हो चुकी है। इनमें त्रुशा के तीन बच्चे और एक जेब्रा शामिल है। त्रुशा के पहले बच्चे की मौत 2 अक्टूबर, दूसरे की मौत 13 नवंबर और तीसरे की मौत 14 दिसंबर को हुई। इसी बीच 12 दिसंबर को एक फीमेल जेब्रा की भी मौत हो गई। त्रुशा के दो बच्चों की भी मौत का कारण किडनी इंफैक्शन ही था और अब तीसरे बच्चे की मौत की वजह भी किडनी में इंफैक्शन ही निकला है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर जू में टाइग्रेस के तीनों बच्चों की किडनी में ही इंफैक्शन कैसे हो गया। 200 से ज्यादा की मौत

पिछले कुछ सालों में जू में 200 से ज्यादा जानवरों की मौत हो चुकी है। 2008 में कुल 77 जानवरों की मौत हुई, 2009 में मरने वाले जानवरों की संख्या 70 से ज्यादा रही वहीं 2010 में 68 ने दम तोड़ दिया। सन् 2011 में अब तक ओपन रेंज सफारी और बाड़ों के अंदर के जानवरों को मिलाकर 35 से ज्यादा जानवर मर चुके हैं। गौरी को भी खुले में जलाया जानवरों के क्रिमेशन के लिए जू में इलेक्ट्रिक इनसिनरेटर लगवाया गया था। फिलहाल, यह कई महीनों से खराब पड़ा है। लिहाजा, जब किसी जानवर की मौत होती है। उसे खुले में ही जला दिया जाता है। त्रुशा के आखिरी बच्चे गौरी की मौत के बाद उसे भी खुले में जला दिया गया। जू हॉस्पिटल पहुंचकर आई नेक्स्ट की टीम ने देखा कि गौरी का क्रिमेशन वहीं किया जा रहा था। भेजा गया बिसरागौरी के क्रिमेशन के बाद उसका बिसरा बरेली स्थित आईवीआरआई और हैदराबाद के लेबोरेटरी फॉर कंर्जेवेशन ऑफ इनडेंजर्ड स्पिेसीज भेजा गया। जानकारी के मुताबिक सुबह 8.30 बजे गौरी का पोस्टमॉर्टम किया गया। क्रिमेशन से पहले उसका बिसरा निकाला गया। जू ऑफिशियल्स के मुताबिक गौरी की मौत के कारणों की असली वजह का पता रिपोर्ट आने के बाद ही पता लग पाएगी।
नहीं पहुंचा अब तक tissueमंडे को कानपुर जू में एक फीमेल जेब्रा की मौत हो गई लेकिन इसका टिश्यू अब तक आईवीआरआई नहीं पहुंचा। वहीं जू एडमिनिस्ट्रिेशन का दावा है कि जेब्रा के टिश्यू को आईवीआरआई भेज दिया गया है.  वेडनेसडे की देर रात गौरी की मौत हुई और थर्सडे को इसके भी टिश्यू आईवीआरआई में भेजे जाने की बात कही जा रही है जबकि आईवीआरआई के पास थर्सडे शाम तक दोनों में से एक के भी टिश्यू नहीं पहुंच पाए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद जितनी जल्दी टिश्यू आएंगे, उनकी मौत की असली वजह पता लगाने के चांसेज उतने ही बढ़ जाते हैं।खामोश रही त्रुशा अपने आखिरी बच्चे की मौत का सदमा त्रुशा भुला नहीं पा रही है। त्रुशा की गुर्राहट से आसपास के बाड़ों के जानवर भी दुबके रहते थे। थर्सडे को  त्रुशा खामोश थी। न खाना खा रही थी और ना कोई आवाज ही कर रही थी। दिन भर उसी जगह बैठी रही जहां उसने तीन शावकों को जन्म दिया था।

जताई थी चिंता
कानपुर जू में टाइग्रेस त्रुशा के दो बच्चों की मौत के बाद जब आईनेक्स्ट ने सरकार के नुमाइंदों और बेजुबान जानवरों के हित की खातिर काम करने वाले लोगों से बात की थी, तो उन्होंने भी इस पर अपनी गंभीर चिंता जताई थी। आइए जानते हैैं, तब उन्होंने क्या कहा था- 17 नवंबर - बाघिन त्रुशा के बच्चों का सर्वाइवल सिर्फ तीन महीने तक मुश्किल होता है, लेकिन बच्चे इस अवधि को पार कर चुके थे। इसलिए इनकी मौत चौंकाने वाली है। हम जल्द ही तीसरे बच्चे को देखने कानपुर जू आएंगे। -डॉ। अंजना पंत, एसोसिएट डायरेक्टर, वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन18 नवंबर- देश में कानपुर ओर इंदौर जू की हालत सबसे ज्यादा खराब है, इन दोनों को बंद  कर देना चाहिए। मैनें कई बार सेंट्रल गवर्नमेंट को लिखा है। बाघ के दो बच्चों की मरना कोई साधारण बात नहीं। मैं फौरन यह बात सरकार तक पहुंचाऊंगी। -मेनिका गांधी पैट्रल पीपुल फॉर एनिमल्स 20 नवंबर- मैं जानवरों की मौत से बहुत आहत हूं। इसके लिए मैं चीफ मिनिस्टर को लेटर लिखूंगा। साथ ही नेक्स्ट वीक जू जाकर जानवरों के खाने पीने और बाड़े की कंडीशन के बारे में जू एडमिनिस्ट्रेशन से जानकारी लूंगा। -श्री प्रकाश जायसवाल, केबिनेट मिनिस्टर

Posted By: Inextlive