मारा गया मोस्ट वांटेड बनारसी
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KANPUR: 50 हजार के ईनामी मोस्ट वांटेड रईस सिद्दीकी उर्फ रईस बनारसी शुक्रवार को गैंगवार में मारा गया। गैंगवार में उसका राइट हैंड राजेश अग्रहरि भी ढेर हो गया। ये खबर कानपुर तक पहुंची तो शहर के अंडरवर्ल्ड में खलबली मच गई। रईस बनारसी, जिसे पुलिस शिद्दत से तलाश रही थी, उसके खात्मे की खबर ने शहर के गैंगस्टर्स में भी खौफ भर दिया। रईस बनारसी प्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर मुन्ना बजरंगी के गैंग से भी जुड़ा था। मुन्ना की कुछ दिन पहले बागपत जेल में हत्या कर दी गई थी। रईस बनारसी की तलाश लंबे समय से कानपुर के अलावा वाराणसी पुलिस को भी थी। पुलिस कस्टडी से अक्टूबर 2015 में भागने के बाद उसे पकड़ने के लिए पुलिस लगातार दबिशें दे रही थी। 3 सितंबर को हीरामन का पुरवा में बनारसी के घर के बाहर पुलिस ने मुनादी भी कराई थी। जिसके ठीक 10 दिन बाद बनारस में उसका साथी समेत कत्ल कर दिया गया।
रईस सिद्दकी से रईस बनारसी तक
रईस बनारसी पर हत्या के आधा दर्जन से ज्यादा मुकदमों के साथ रंगदारी, लूट, आर्म्स एक्ट के मामले भी दर्ज हैं। मूलरूप से हीरामन का पुरवा में रहने वाले रईस ने जरायम की दुनिया में बेहद कम उम्र में कदम रखा। भाई की हत्या के बाद वह बनारस के खालिसपुरा इलाके में अपने ननिहाल में रहने लगा। यहां पर उसने राजेश अग्रहरि, राजकुमार बिंद उर्फ गुड्डू मामा, बच्चा यादव, अवधेश सिंह, बाले पटेल, पंकज उर्फ नाटे, जावेद खां के साथ मिल कर गैंग बना लिया। जोकि बनारस में लूटपाट और रंगदारी की वारदातें करने लगा। गैंग ने असलहों की तस्करी का काम भी शुरू किया। इस दौरान बनारसी ने कानपुर में भी अपनी सक्रियता बढ़ाई। अपने साथियों मामा बिंद, मोनू पहाड़ी के साथ वह एम गैंग में भी शामिल रहा।
रईस बनारसी की शहर के चर्चित डी-2 गैंग से लंबी अदावत थी। कानपुर में वह डी-2 गैंग के सरगना शानू ओलंगा की दिन दहाड़े हत्या करने के बाद चर्चा में आया। 29 नवबंर 2011 को एसएसपी ऑफिस के पास अपने साथी मामा बिंद के साथ मिल कर बनारसी ने शानू ओलंगा का कत्ल कर दिया था। शानू ओलंगा ने बनारसी के भाई नौशाद का कत्ल किया था। जिसका बदला लेने की बनारसी ने कसम खाई थी।
जान लेने से नहीं हिचकता था
प्रदेश में रईस बनारसी की गिनती ऐसे गैंगस्टर्स में होती थी जोकि लूटपाट के लिए जान लेने में नहंी हिचकता था। वह पिस्टल लेकर चलता था। लूटपाट के दौरान उसने कई बार व्यापारियों को गोली मारी। जिससे मार्केट में उसका खौफ बढ़ा। उसकी एक खासियत यह भी थी कि बड़ी वारदात के दौरान वह पुलिस की वर्दी भी पहनता था। 2007 में व्यापारी की हत्या कर लूटपाट के मामले में पुलिस को वर्दी भी बरामद हुई थी। कुछ दिन पहले कानपुर के चमड़ा कारोबारी से रंगदारी मांगने में भी उसका नाम आया था।
अक्टूबर 2015 में बनारस की जेल से बरेली शिफ्टिंग के दौरान रईस बनारसी भाग निकला। इसके बाद से वह लगातार एक शहर से दूसरे शहर घूम रहा था। कानपुर में भी ढकनापुरवा में रहने वाली उसकी प्रेमिका के घर होने की खबरे भी मिली। जूही में उसे पकड़ने गए एक दरोगा पर उसने खुलेआम फायरिंग कर दी थी। इसके बाद एसपी पूर्वी अनुराग आर्या ने भी उसे पकड़ने के काफी प्रयास किए। इस दौरान एक बार चमनगंज में छापेमारी हुई। साथ ही शाहजहांपुर में भी उसे पकड़ने के लिए टीम भेजी गई,लेकिन हर बार वह भागने में कामयाब रहा।
अंडरवर्ल्ड का बैलेंस बिगड़ा
रईस बनारसी के कत्ल के बाद अब सिटी के अंडरवर्ल्ड का बैलेंस गड़बड़ा गया है। मोनू पहाड़ी समेत एम गैंग के ज्यादातर मेंबर इस वक्त या तो जेल में है या फिर उन्होंने शहर से दूरी बना ली है। ऐसे में उसकी एंटी टीम ज्यादा मजबूत होगी। बनारसी का दुश्मन माना जाने वाला नौशाद कालिया इस वक्त जेल से बाहर है।