एंटीसेपेट्री बेल व्यवस्था यूपी में फिर लागू होने पर अधिवक्ताओं ने रखी अपनी बात

PRAYAGRAJ: सेशन कोर्ट से गैर जमानती अपराधों पर अग्रिम जमानत मंजूर किये जाने को हरी झंडी दिए जाने के फायदे और नुकसान दोनों होंगे. इससे पुलिस की मनमानी रुकेगी तो निर्दोष को कानूनी पचड़े से थोड़ी राहत होगी. माफिया और शातिर इसका फायदा उठाकर मुसीबत बन सकते हैं. यह मानना है डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अधिवक्ताओं का. गुरुवार को वह एंटीसेपेट्री बेल पर दैनिक जागरण नेक्स्ट के साथ परिचर्चा में अपना व्यू रख रहे थे.

पुलिस की कार्यप्रणाली पर अंकुश

अधिवक्ता बोले, अक्सर देखा जाता है कि पुलिस प्रभावी के दबाव मे आकर निर्दोष को सलाखों के पीछे डाल देती है. ये लोग हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत लेने की स्थिति में नही होने पर जेल में रहते हैं. नया विधेयक पास होने के बाद इस समस्या पर विराम लग जाएगा. कहा, यूपी में यह व्यवस्था लागू थी लेकिन कुछ साल पहले इस पर रोक लगा दी गयी थी. इससे हाइकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट पर प्रेशर बढ़ गया था.

बढ़ेगा कमाई का जरिया

कुछ अधिवक्ताओं का कहना था कि इससे वकीलों के पास काम भी बढ़ेगा और कमाई का जरिया भी. अभी तक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के वकील अच्छी फीस लेकर अग्रिम जमानत दिलवाने में मदद करते थे. अब सेशन कोर्ट के वकील अपने मुवक्किलों को यह फायदा कम फीस में दिलवा सकेंगे.

सरकार का फैसला स्वागत योग्य है. इससे हाईकोर्ट पर बोझ कम होगा. इसका नाजायज फायदा शातिर अपराधी भी उठा सकते हैं. जिस पर ध्यान देना जरूरी है.

श्यामजी टंडन, पूर्व शासकीय अधिवक्ता

कुछ अफेंस में बिना विवेचना सिर्फ रिपोर्ट दर्ज होने पर नामजद को जेल जाना पड़ जाता है. अब ऐसा नही होगा. कोर्ट नियमानुसार उनको निचले स्तर पर जमानत दे सकेगी.

राम अभिलाष सिंह, पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता

कानून में बदलाव से पालिटिशियंस को अधिक लाभ हासिल होगा. उनमें माफिया शामिल हैं. इसलिए कोर्ट को नियम के तहत अग्रिम जमानत देते समय कई आयामों पर विचार करना होगा.

शंकरलाल गुप्ता, अधिवक्ता

कानून के दोनो पक्ष होते हैं. डावरी डेथ जैसे मामले में देख लीजिए. 95 फीसदी फर्जी मुकदमे दायर किए गए. इसी तरह इस फैसले के भी दोनो पक्ष हैं और यह भविष्य में क्लीयर हो जाएगा.

देवेंद्र मिश्र नगरहा, वाइस चेयरमैन यूपी बार काउंसिल

पुलिस को सामान्य या निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने से बचाना चाहिए. हीनियस क्राइम है तो अपराधी को इस बदलाव का लाभ नही मिलना चाहिए. यह विचार कोर्ट को करना है.

रवि प्रकाश मिश्र, यंग लायर्स एसोसिएशन मीडिया प्रभारी

अग्रिम जमानत का प्रावीजन फिर से लागू करना हर्ष का विषय है. इसे लेकर भ्रमित होने की जरूरत नही है. इससे बेकसूर और निर्दोष को अधिक लाभ होगा.

इरशाद अहमद अंसारी, पूर्व उपाध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ

इस कानून के लागू होने से वकीलों के आय में वृद्धि होगी. वह उचित फीस लेकर अपने मुविक्कलों का फायदा करा सकेंगे. साथ ही पुलिस की मनमानी पर भी लगाम लगेगी.

विद्या भूषण द्विवेदी, अधिवक्ता

सरकार का निर्णय सराहनीय है. इससे जन साधारण को न्यायिक लाभ प्राप्त करने में सुविधा प्राप्त होगी. उन्हें हाईकोर्ट का चक्कर नही लगाना होगा.

गुलाब चंद्र अग्रहरि, जिला शासकीय अधिवक्ता

Posted By: Vijay Pandey