घट रहा भूगर्भ जल, पेयजल के लिए करना पड़ रहा संघर्ष
46 लाख कुल पॉपुलेशन
600 मिलियन लीटर रोजाना डिमांड 570 मिलियन लीटर रोजाना आपूर्ति 200 लीटर रोजाना हर व्यक्ति को जरूरत - शहर के ज्यादातर इलाकों में जलसंकट की तस्वीरें सामने आ रहीं - पानी को तरस रही जनता, जिम्मेदार नहीं दे रहे हैं कोई खास ध्यानLUCKNOW: भले ही हम गुलामी की बेडि़यों से मुक्त हो गए हों, लेकिन अभी तक हमें शुद्ध पेयजल के लिए तरसना पड़ रहा है। आलम यह है कि शहर के कई इलाके ऐसे हैं, जहां लोगों को गर्मी के दिनों में बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ता है। जिस तेजी से भूगर्भ जलस्तर गिर रहा है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में पेयजल संकट की स्थिति और भी ज्यादा भयावह होगी। हैरानी की बात यह है कि जिम्मेदारों की ओर से पेयजल संकट से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। जिसकी वजह से जनता की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं।
लगातार घट रहा जलस्तरगुजरते वक्त के साथ भूगर्भ जलस्तर तेजी से गिर रहा है। आलम यह है कि शहर का शायद ही ऐसा कोई इलाका हो, जहां भूगर्भ जलस्तर सामान्य स्थिति में हो। भूगर्भ जल विभाग के आंकड़ों पर गौर फरमाए तो साफ है कि अगर समय रहते भूगर्भ जल को सेव नहीं किया गया तो धरती को बचाना मुश्किल नहीं, बल्कि नामुमकिन होगा।
संसाधन एक नजर में कुल ओवरहैड टैंक-121 अंडरग्राउंड जलाशय-30 से 35 ट्यूबवेल-615 कुल हैंडपंप-22 हजार फैक्ट फाइल कुल नल कनेक्शनधारी-3 लाख 40 हजार करीब पूरे शहर में पेयजल लाइन बिछी-3 हजार किमी यहां एक मीटर तक घटा जलस्तर (प्री मानसून) इलाका घटा जलस्तर (मी.) जेलरोड 1.71 टूडि़यागंज 1.38 इलाकेवार घटता जलस्तर इलाके घटता जलस्तर (सेमी.) एयरपोर्ट 0.22 अमराई 0.03 कैंट सदर 0.48 दीनदयाल नगर 0.73 फैजुल्लागंज 0.17आलमबाग 0.74
सीतापुर रोड 0.62 जलालपुर क्रॉसिंग 0.84 कुकरैल फॉरेस्ट 0.34 लालकुर्ती 0.67 लामार्ट 0.64 लालबाग 0.72 माधोपुर 0.67 महानगर 0.52 नौबस्ता 0.50 चिनहट 0.58 अलीगंज 0.59 त्रिवेणीनगर 0.82(ये सभी आंकड़े प्रतिवर्ष प्री मानसून के हैं.)
फैक्ट फाइल -68532.78 हेक्टेयर मीटर शहर में भूगर्भ जल का स्तर -10635.96 हेक्टेयर मीटर भूगर्भ जल की उपलब्धता -18-20 सालों के लिए जल उपलब्ध कब मिलेगी आजादी इन आंकड़ों से साफ है कि इलाकों में पेयजल संकट गहराता जा रहा है। गर्मी के मौसम के बाद भी कई इलाकों में पेयजल संकट की स्थिति उत्पन्न होती है। रही सही कसर दू्िषत जलापूर्ति पूरी कर देती है। करीब दस फीसदी इलाके ऐसे हैं, जहां दूषित जलापूर्ति की समस्या सामने आती है। पानी की बर्बादी इलाकों में गिरते जलस्तर की एक प्रमुख वजह पानी की बर्बादी भी है। आलम यह है कि ज्यादातर लोग पीने योग्य पानी से अपनी गाडि़यां और सड़क पर पड़े गोबर को धोने लग जाते हैं। जिसकी वजह से बेहताशा पानी की बर्बादी होती है। इसके साथ ही घर-घर लगे सबमर्सिबल के कारण भी पानी की बर्बादी बढ़ी है। हम सभी को पानी की अहमियत समझनी होगी, तभी पानी की बर्बादी रुकेगी। अन्यथा भयावह परिणाम सामने आएंगे। वर्जनजिन इलाकों में पेयजल संकट की समस्या सामने आती है, वहां तत्काल टैंकर आदि भेजकर जनता की जरूरतें पूरी की जाती हैं। यह भी प्रयास किया जा रहा है कि जिन इलाकों में पेयजल लाइन नहीं है, वहां जल्द से जल्द लाइन बिछवाई जाए। जिससे जनता को भरपूर पानी मिल सके। हालांकि जनता को भी पानी की बर्बादी करने से बचना होगा।
संयुक्ता भाटिया, मेयर